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सुख व ऐश्वर्य प्रदाता व्रत अनंत चतुर्दशी 23 को , जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान अनंत (श्रीहरि) की पूजा और व्रत किया जाता है. इस वर्ष अनंत चतुर्दशी रविवार, 23 सितंबर को है. इस व्रत को महिलाएं और पुरुष दोनों पूर्ण श्रद्धा के साथ करते हैं. महिलाएं सौभाग्य की रक्षा और सुख के लिए, […]

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान अनंत (श्रीहरि) की पूजा और व्रत किया जाता है. इस वर्ष अनंत चतुर्दशी रविवार, 23 सितंबर को है. इस व्रत को महिलाएं और पुरुष दोनों पूर्ण श्रद्धा के साथ करते हैं. महिलाएं सौभाग्य की रक्षा और सुख के लिए, जबकि पुरुष ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए यह व्रत करते हैं.

अनंत सूत्र की होती है पूजा
व्रती प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु की सविधि पूजा करें. इस दिन अनंत व्रत कथा का वाचन और श्रवण किया जाता है. भगवान विष्णु के समक्ष 14 ग्रंथीयुक्त (गांठ सहित) अनंत सूत्र को रखकर उसकी भी पूजा की जाती है. पूजा में रोली, मौली, चंदन, पुष्प, ऋतु फल, धूप, दीप, नेवेद्य, पंचामृत अर्पण करने का विधान है.

अनंत सूत्र धारण करने का मंत्र : अनंतसंसारमहासमुंद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव/ अनंतरूपे विनीयोजित आत्मा हृानंतरूपाय नमो नमोस्तुते.

पूजा का शुभ मुहूर्त : सुबह 5:35 से 7:04 बजे, दिवा 10:10 से 2:41 बजे, संध्या 4:14 से 8:40 बजे तक सर्वात्तम मुहूर्त : दिवा 10:10 से 2:41 बजे

14 वर्ष तक व्रत करने के बाद करें उद्यापन
इस दौरान समुद्र मंथन के निमित्त प्रायोगिक पूजन भी किया जाता है. समुद्र मंथन का प्रायोगिक विधान किया जाता है. 14 ग्रंथी वाले सूत्र को माथे पर स्पर्श कर पुरुष दाहिने और महिलाएं बायें हाथ में पूर्ण श्रद्धा के साथ धारण करती हैं. इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन के निमित्त दान कर व्रती स्वयं नमक रहित एक समय भोजन कर सकते हैं. इस व्रत को कम-से-कम लगातार 14 वर्ष तक करना चाहिए. चौदह वर्ष के बाद ही उद्यापन करने का विधान है.

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