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छपरा : तिरस्कार और अपमान को भाग्यश्री ने बनाया कामयाबी की पहचान, पेंटिंग से किया अपनी भावनाओं का इजहार

प्रभात किरण हिमांशु छपरा : कहते हैं कि ईश्वर जब एक रास्ता बंद कर देता है तो दूसरा स्वयं ही खोल देता है. जिनके मन में कुछ कर गुजरने का हौसला होता है वह उस मुश्किल रास्ते को भी ढूंढ़ लेते हैं. सारण की बेटी भाग्यश्री ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया. समाज से […]

प्रभात किरण हिमांशु

छपरा : कहते हैं कि ईश्वर जब एक रास्ता बंद कर देता है तो दूसरा स्वयं ही खोल देता है. जिनके मन में कुछ कर गुजरने का हौसला होता है वह उस मुश्किल रास्ते को भी ढूंढ़ लेते हैं. सारण की बेटी भाग्यश्री ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया. समाज से मिले तिरस्कार और अपमान को उसने अपनी पहचान बनाकर जो कामयाबी हासिल की है, वह समाज के लिए आईना है. प्रदर्शनी में शामिल उसकी पेंटिंग जीवन में मिले तिरस्कार और अपमान की जीती-जागती दास्तान है, जो दर्शकों और कला प्रेमियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रही है.

शहर के नेहरू चौक की रहनेवाली स्नातक की छात्रा भाग्यश्री के चेहरे और शरीर में सफेद दाग हैं. उसके अनुसार जब वह स्कूल में पढ़ती थी तो अचानक एक दिन शरीर में सफेद दाग के लक्षण दिखे. माता-पिता की नजर पड़ी तो इलाज शुरू कराया. पिता नंद कुमार मांझी वन विभाग में अधिकारी हैं. ऐसे में इलाज को लेकर खर्च की कोई समस्या नहीं रही, लेकिन कुछ दवाओं का रिएक्शन हो जाने से बीमारी और बढ़ गयी. इस बीच उन्हें स्कूल में दोस्तों ने अपने से दूर कर दिया.

जिस बेंच पर बैठती वहां से बच्चे हटकर दूसरी जगह चले जाते. ऐसे में जब अधिकतर लड़कियां अपना हौसला छोड़ देती हैं और स्वयं को समाज से भिन्न मान कर आत्मविश्वास खोने लगती हैं, वहीं भाग्यश्री अपनी इस बीमारी को चित्रकला के माध्यम से एक नया आकार देकर समाज को आईना दिखा रही हैं. भाग्यश्री ने अपने दाग-धब्बे वाले चेहरे की पेंटिंग बनाकर समाज को एक सार्थक संदेश देने का प्रयास किया है. छपरा नगर निगम के हॉल में आयोजित चित्र प्रदर्शनी में भाग्यश्री की पेंटिंग चर्चा का विषय बनी हुई है और हर कला प्रेमी को आकर्षित कर रही है.

सारण की बेटी पेंटिंग से दिखा रही समाज को आईना, बचपन में हुए सफेद दाग ने बदल दी उसकी दुनिया

– पेंटिंग से किया अपनी भावनाओं का इजहार

भाग्यश्री ने अपनी पेंटिंग में उन तमाम परिस्थितियों को चित्रित किया है जिससे वो अब तक गुजरी हैं. इस पेंटिंग में खड़े कुछ लोग भाग्यश्री के चहरे को देखकर हंस रहे हैं तो कुछ लोग अपने बच्चों की आंखें बंद कर रहे हैं.

वहीं कुछ लोग जो मुश्किल परिस्थितियों में भी इनके साथ बचपन से ही रहे हैं वह उसकी ओर आशा भरी नजरों से देखकर उसकी हौसला आफजाई कर रहे हैं. इन सब परिस्थितियों को देखकर भाग्यश्री रो तो रही हैं, लेकिन कुछ कर गुजरने का सपना उनके मन में आकार ले रहा है. कला पंक्ति के तत्वावधान में आयोजित पेंटिंग प्रदर्शनी में भाग्यश्री ने जिस खूबसूरती के साथ अपने दाग धब्बे वाले चेहरे का चित्रण किया है उन्होंने समाज में खूबसूरती के नाम पर भेदभाव करनेवालों को करारा जवाब दिया है.

– पिता को भी है अपनी बेटी पर भरोसा

भाग्यश्री के पिता अपनी बेटी को जीवन में कामयाब देखना चाहते हैं. उन्हें अपनी बेटी की इस बीमारी से दुख तो है लेकिन जिस बुलंद हौसले से बेटी आगे बढ़ रही है़ उन्हें यकीन है कि एक-न-एक दिन उनकी बेटी अपने इस अभिशाप को वरदान जरूर साबित करेगी. बेटी की शादी की चिंता तो हर मां-बाप को सताती है लेकिन भाग्यश्री का स्वाभिमान और आत्मविश्वास माता-पिता की परेशानी को कम जरूर कर रहा है. भाग्यश्री की बहनें और मां राजरत्ना सहगल उन्हें काफी प्रोत्साहित करती हैं. आगे चल कर एक सफल चित्रकार बनना भाग्यश्री लक्ष्य है.

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