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Thursday, March 28, 2024

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सरायकेला को-ऑपरेटिव बैंक का कारनामा, सस्ती जमीन, बीमा पॉलिसी पर दे दिया 12 करोड़ लोन

शकील अख्तर रांची :सस्ती जमीन और बीमा पॉलिसी पर संजय डालमिया को सरायकेला को-ऑपरेटिव बैंक ने 12 करोड़ रुपये कर्ज दे दिया. जांच में मामला उजागर हुआ. कृषि एवं पशुपालन सचिव के निर्देश पर गठित जांच समिति के सदस्यों को को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों ने पूरे दस्तावेज भी नहीं दिये. जांच समिति को मिले दस्तावेज […]

शकील अख्तर

रांची :सस्ती जमीन और बीमा पॉलिसी पर संजय डालमिया को सरायकेला को-ऑपरेटिव बैंक ने 12 करोड़ रुपये कर्ज दे दिया. जांच में मामला उजागर हुआ. कृषि एवं पशुपालन सचिव के निर्देश पर गठित जांच समिति के सदस्यों को को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों ने पूरे दस्तावेज भी नहीं दिये. जांच समिति को मिले दस्तावेज की जांच करने पर खुलासा हुआ कि मामूली वार्षिक प्रीमियम पर ली गयी बीमा पॉलिसी को आधार मान कर करोड़ों का कर्ज दे दिया गया. गिरवी रखी गयी जमीन की कीमत अधिक बतायी गयी. जांच समिति ने कर्ज के बदले दी गयी गारंटी (लोन अगेंस्ट डिपोजिट) की हकीकत को देखते हुए डालमिया को दिये गये कर्ज को असुरक्षित बताया है.

जांच समिति ने रिपोर्ट में लिखा है कि सरायकेला बैंक के अधिकारियों ने इंपैनल्ड वैल्यूअर और वकील की सूची देने में असमर्थतता जतायी. नियमानुसार कर्ज देने के लिए गारंटी के रूप में ली जानेवाली संपत्ति का मूल्यांकन बैंक के इंपैनल्ड वैल्यूअर से ही कराया जाना है.
वहीं, प्रशासक के आदेश पर संजय को एक करोड़ रुपये का कैश क्रेडिट दे दिया गया. जबकि इसके लिए 100 प्रतिशत जमानत लेने की शर्त तय थी. बैंक अधिकारियों ने एक करोड़ के कैश क्रेडिट के लिए डालमिया की ओर से गारंटी के रूप में दिये गये किसी दस्तावेज का ब्योरा नहीं दिया. वर्ष 2013-14 में कैश क्रेडिट की राशि बढ़ा कर 4.50 करोड़ रुपये कर दी गयी. बैंक के अधिकारी कर्ज की सीमा बढ़ाने के लिए दी गयी गारंटी से संबंधित दस्तावेज भी जांच समिति को नहीं दे सके.
डालमिया को वर्ष 2016-17 में भी 4.5 करोड़ रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट दी गयी. इसके लिए बैंक ने जमीन के सात सेल डीड को गारंटी के रूप में लिया. इन सेल डीड की जांच में पाया गया कि बाहरी वैल्यूअर ने जमीन का मूल्य अधिक बताया और बैंक ने इसे स्वीकार भी कर लिया. कर्ज से जुड़ी फाइल पर वकील की कानूनी राय भी नहीं ली गयी. वहीं, संजय डालमिया को जमा धन के बदले कर्ज (लोन अगेंस्ट डिपोजिट) दिया गया. इस मद में दिये गये कर्ज की रकम जुलाई 2018 तक 12.07 करोड़ रुपये है. लोन अगेंस्ट डिपोजिट मद में दिये गये कर्ज के बदले बीमा पॉलिसी को गिरवी रखा गया है. हालांकि किसी भी बीमा पॉलिसी में एक-दो से अधिक प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया है.

जमीन का अधिक मूल्य बता कर गारंटी लेने का उदाहरण

– गारंटी के रूप में दी गयी डीड संख्या 2434/2370 दिनांक 19.6.2015 में 1.29 एकड़ जमीन का खरीद मूल्य11.50 लाख दर्ज है. इस जमीन का सरकारी मूल्य 16.86 लाख रुपये है. प्रेम प्रकाश तिवारी नामक वैल्यूअर ने जमीन का मूल्य 96.75 लाख रुपये बताया. बैंक ने इसे स्वीकार कर लिया.
– डीडी संख्या 3863/37-38 दिनांक 16 दिसंबर 2014 में 35.5 डिसमिल जमीन का मूल्य 12.00 लाख दर्ज है. इसका सरकारी मूल्य 46.35 लाख है. वैल्यूअर प्रेम प्रकाश तिवारी ने इस जमीन का 1.05 करोड़ बताया. बैंक ने इसे स्वीकार कर कर लिया.
एक- दो प्रीमियम के बाद गारंटी के रूप में दी गया पॉलिसी का उदाहरण
– 1.10 करोड़ रुपये मूल्य के बीमा पॉलिसी के बदले 4-7-2017 को 3.95 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया. यह पॉलिसी( नंबर-557937468) संजय डालमिया के नाम पर 28 दिसंबर 2015 को खरीदी गयी है. इसका वार्षिक प्रीमियम4.01 लाख रुपये है. जांच समिति ने इस बीमा पॉलिसी पर दिये गये कर्ज को नियमानुकूल नहीं माना है.
– संजय डालमिया के नाम पर 27 मार्च 2018 को बीमा पॉलिसी नंबर 828044510 खरीदी गयी. पॉलिसी का मूल्य पांच करोड़ रुपये है. इसका वार्षिक प्रीमियम 22.35 लाख रुपये है. बैंक ने 27 मार्च 2018 को खरीदी गयी इस बीमा पॉलिसी को गारंटी के रूप में रख कर 27 जुलाई 2018 को संजय के नाम पर 3.97 करोड़ रुपये का कर्ज दिया. समिति ने इसे नियमानुकूल नहीं माना है.
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