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फांसी पर फिर रोक

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा मामले के निपटारे तक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाने का आदेश भारत की कई आपत्तियों की स्वीकारोक्ति है. पाकिस्तान द्वारा न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र पर उठाये गये सवाल को भी खारिज कर दिया गया है. दोनों देश 1977 से वियेना कन्वेंशन के हिस्सा हैं और इस नाते अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ऐसे मामलों […]

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा मामले के निपटारे तक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाने का आदेश भारत की कई आपत्तियों की स्वीकारोक्ति है. पाकिस्तान द्वारा न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र पर उठाये गये सवाल को भी खारिज कर दिया गया है. दोनों देश 1977 से वियेना कन्वेंशन के हिस्सा हैं और इस नाते अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ऐसे मामलों में सुनवाई का अधिकार रखती है.
यह फैसला न्यायाधीश रोनी अब्राहम की अध्यक्षतावाले 11 न्यायाधीशों की खंडपीठ ने सर्वसम्मति से सुनाया है. बीते साल मार्च में भारतीय नागरिक जाधव को पाकिस्तानी अधिकारियों ने जासूसी के आरोप में हिरासत में लिया था, पर सैन्य अदालत द्वारा पिछले महीने फांसी की सजा सुनाये जाने तक भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को उससे मिलने या उसे कानूनी सहयोग मुहैया कराने की अनुमति नहीं दी गयी थी. जाधव की गिरफ्तारी और आरोपों पर उठाये गये सवालों का भी पाकिस्तान संतोषजनक जवाब नहीं दे सका है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने साफ कहा है कि जाधव को उच्चायोग से संपर्क करने का अधिकार था. बहरहाल, करीब 18 सालों के बाद इस न्यायालय में दोनों देश आमने-सामने हैं तथा जाधव मामले पर अभी बहस जारी रहेगी. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले से यह संकेत मिलता है कि पाकिस्तान का पक्ष कई मायनों में कमजोर साबित हुआ है और उम्मीद बंधती है कि जाधव को न्याय मिल सकेगा.
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसलों के उल्लंघन के कई उदाहरण हैं, पर यह देखना बाकी है कि पाकिस्तान इस पर क्या आधिकारिक प्रतिक्रिया देता है. भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं. ऐसे में पाकिस्तान किसी बड़े उकसावे का जोखिम नहीं उठाना चाहेगा, क्योंकि न्यायालय के आदेश को अस्वीकार करने की स्थिति में उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रोष का सामना भी करना पड़ सकता है.
भारत को इस संबंध में सचेत रहते हुए कूटनीतिक दबाव बढ़ाना चाहिए. अब भारत अपनी दलीलों के साथ एक मजबूत स्थिति में खड़ा है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जरिये तथा द्विपक्षीय स्तर पर भी भारत जाधव की रिहाई और वापसी के लिए कोशिशें तेज कर सकता है. बहरहाल, जैसा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है, यह देश और जाधव के परिवार के लिए बड़ी राहत की खबर है, और अब इस आशा को भी बल मिला है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का अंतिम निर्णय भी जाधव के पक्ष में जायेगा और वे रिहा हो सकेंगे.

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