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अहम कूटनीतिक जीत

चीन ने न्यूयार्क में बंद कमरे में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की बैठक में एक बार अपने मुवक्किल पाकिस्तान की ओर से कश्मीर मसला उठाने की कोशिश की. लेकिन बात बनी नहीं और चीनी-पाकिस्तानी गठजोड़ को लगातार तीसरी बार नाकामी हाथ लगी. इसके कुछ देर बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद […]

चीन ने न्यूयार्क में बंद कमरे में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की बैठक में एक बार अपने मुवक्किल पाकिस्तान की ओर से कश्मीर मसला उठाने की कोशिश की. लेकिन बात बनी नहीं और चीनी-पाकिस्तानी गठजोड़ को लगातार तीसरी बार नाकामी हाथ लगी. इसके कुछ देर बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि हमें खुशी है कि पाकिस्तान द्वारा फैलाये जा रहे झूठ और निराधार आरोपों को चर्चा के लायक नहीं समझा गया. फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस समेत अन्य 10 देशों ने साफ कह दिया कि यह मामला यहां उठाने की जरूरत नहीं है. कश्मीर, भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है.

रूसी प्रतिनिधि ने कहा कि द्विपक्षीय मसले का हल 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणा के मुताबिक ही होना चाहिए. पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर फैलायी जा रही अफवाहों को लेकर भारत सतर्क है. इसके लिए लगातार कूटनीतिक स्तर पर प्रयास जारी रखे हुए हैं. घाटी के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर कश्मीर और लद्दाख में संचार एवं यात्रा की स्थिति सामान्य हो चुकी है. हालांकि, पाकिस्तान की हरकतों और संभावित अशांति के मद्देनजर एहतियातन सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध हैं.

अमेरिकी राजदूत केनेथ जेस्टर समेत कई विदेशी प्रतिनिधियों के घाटी दौर से भारत दुनिया को संदेश देने में कामयाब रहा है. पाकिस्तानी तरफदारी में उतरे नये समर्थकों मलेशिया और तुर्की को भारत ने सख्त संदेश दिया है.

पाकिस्तान की बेचैनी की दूसरी वजह है कि खाड़ी और अरब देशों ने उसे नजरअंदाज कर दिया है. घाटी में जिस तेजी से जनजीवन सामान्य हो रहा है, उससे अधिक तेजी से पाकिस्तान की बौखलाहट बढ़ रही है. हिरासत में लिये गये लोगों को छोड़ने, यूरोपीय सांसदों के कश्मीर दौरे, फुटबॉल मैच के सफल आयोजन, हाल में 17 विदेश प्रतिनिधियों के दौरे और करगिल में इंटरनेट शुरू होने से हालात सामान्य हैं.

क्षेत्रीय शांति एवं सहयोग के लिए भारत सौहार्दपूर्ण संबंधों का पक्षधर है, लेकिन चीन जिस तरह से पाकिस्तान की पैरोकारी में खड़ा है, उससे उसी की फजीहत हो रही है. बीते अक्तूबर में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिपनिंग के बीच महाबलीपुरम में अनौपचारिक वार्ता हुई थी. बीजिंग निजी हितों से अधिक तवज्जो देते हुए पाकिस्तान के लिए भारत के विरोध में खड़ा हो जाता है.

बीते छह महीने में तीसरी बार जिस तरह से पाकिस्तान और चीन को झटका लगा है, उम्मीद है कि शायद उसे कुछ सीख मिले. नागरिकता संशोधन कानून पर भी चीन ने अफवाह फैलाने की कोशिश की थी. भारत के अांतरिक मामलों में चीन चिंताएं जताता है, लेकिन अपने शिंजियांग प्रांत में उईगुर मुसलमानों पर जारी हिंसा पर चुप्पी साध लेता है. कुल मिलाकर, भारत का रवैया सकारात्मक है और वैश्विक स्तर के मसलों पर अहम साझेदार के तौर पर उपस्थिति दर्ज करा रहा है, जिससे भारत को तमाम देशों का समर्थन मिल रहा है.

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