आर्थिक वृद्धि दर के पैमाने पर भारत आज विश्व का अग्रणी देश है. विकास के साथ संसाधनों के समुचित उपयोग तथा समावेशीकरण का संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती होती है. परंतु, भारत ने अपनी विकास यात्रा में इस संतुलन को साध कर आर्थिक उपलब्धि को विशिष्ट बना दिया है.
वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण के क्षेत्र में सतत विकास के लिए 17 वैश्विक लक्ष्यों तथा 160 संबद्ध उद्देश्यों को निर्धारित किया था, जिन्हें 2030 में पूरा किया जाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने विकास कार्यक्रमों से समाज के हर वर्ग, विशेष रूप से वंचित और निर्धन तबके, को जोड़ने का निरंतर प्रयास किया है.
संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम निदेशक एसिम स्टीनर ने भारत की उपलब्धियों पर आश्चर्य जताते हुए कहा है कि जिन लक्ष्यों को पाने में कई देश संघर्ष कर रहे हैं, उनके संबंध में भारत महत्वाकांक्षी पहलें कर रहा है तथा सतत विकास के मानकों को पूरा करने के साथ अपने देश के निवासियों के जीवन में बदलाव कर रहा है. जन-धन, उज्जवला, लाभुकों को सीधे भुगतान, वित्तीय सहयोग, बीमा, आधार का उपयोग जैसी योजनाओं ने बड़ी संख्या में वंचितों, निर्धनों और निम्न आयवर्ग के लोगों को देश की विकास यात्रा से जोड़ा है. पेयजल, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पेंशन आदि के संबंध में विभिन्न योजनाएं प्रारंभ की जा रही हैं.
अंत्योदय योजना केंद्र सरकार की नीतिगत दृष्टि को इंगित करती है. स्वच्छ ऊर्जा, तकनीक का उपयोग, कार्बन उत्सर्जन में कमी, वन क्षेत्र बढ़ाना, अधिक पारदर्शिता जैसे अनेक कारक हैं, जिनसे हमारा देश अपने विकास के साथ विश्व के अन्य कई देशों की सहायता कर सकता है.
स्टीनर ने भी अन्य देशों को भारत की पहलों का अध्ययन करने की सलाह दी है. उन्होंने अपनी संस्था द्वारा कुछ दिन पहले जारी रिपोर्ट का हवाला भी दिया है, जिसमें बताया गया है कि 2006 से 2016 के बीच भारत ने 27 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. वर्तमान और प्रस्तावित योजनाओं से इस सफलता के व्यापक होने की आशा है. लेकिन इन उपलब्धियों और प्रशंसाओं के बीच भारत को चुनौतियों और समस्याओं का संज्ञान भी लेना चाहिए.
इसी महीने संसद में प्रस्तुत नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में सतत विकास की दिशा में हो रहे प्रयासों की कमियों को रेखांकित करते हुए इस संबंध में नीतिगत तैयारी करने तथा स्पष्ट उद्देश्य निर्धारित करने का सुझाव दिया गया है. नीति आयोग द्वारा गठित पैनल की बैठकें नहीं होना भी चिंताजनक है.
इस कारण लक्ष्यों को ठीक से चिह्नित नहीं किया जा सका है. आशा है कि केंद्र और राज्य सरकारें परस्पर सहयोग से नये सिरे से सतत विकास के मानकों पर खरा उतरने की पहल करेंगी. संयुक्त राष्ट्र का यह विश्वास संतोषजनक है कि वर्तमान संकल्प और गति से भारत 2030 तक अधिकतर लक्ष्यों को पूरा कर लेगा.