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बाज आये पाकिस्तान

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के केरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी गोलीबारी में एक मेजर समेत चार भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं. अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर संघर्ष-विराम के उल्लंघन का इस साल यह सबसे खतरनाक मामला है. पिछले हफ्ते सरकार ने संसद को जानकारी दी थी कि 2017 में पाकिस्तान ने 881 […]

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के केरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी गोलीबारी में एक मेजर समेत चार भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं. अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर संघर्ष-विराम के उल्लंघन का इस साल यह सबसे खतरनाक मामला है.

पिछले हफ्ते सरकार ने संसद को जानकारी दी थी कि 2017 में पाकिस्तान ने 881 बार संघर्ष-विराम का उल्लंघन किया है तथा इन घटनाओं में 30 लोग मारे गये हैं. ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नवंबर तक और नियंत्रण रेखा पर 10 दिसंबर तक की घटनाओं के हैं.

पाकिस्तान के साथ भारत 3,323 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में 221 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा तथा 740 किलोमीटर नियंत्रण रेखा है. नवंबर, 2003 से लागू संघर्ष -विराम को पाकिस्तान ने लगातार धता बताया है तथा गोलाबारी के अलावा कश्मीर घाटी को अशांत करने के इरादे से आतंकियों की घुसपैठ भी खूब करायी है. समय-समय पर भारत ने सैन्य-क्षमता और कूटनीति के जरिये पाकिस्तान को करारा जवाब भी दिया है. लेकिन इस साल संघर्ष-विराम के उल्लंघन की घटनाओं में 230 फीसदी की बढ़त बड़ी चिंता की बात है.

कश्मीर में अमन-चैन और भरोसे की बहाली की कोशिशों के साथ अलगाववाद पर अंकुश लगाने के ठोस प्रयास किये जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने वार्ताकार नियुक्त कर संवाद प्रक्रिया को तेज करने की जरूरी कवायद भी की है. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने दक्षिणी एशिया में हिंसा और अस्थिरता का माहौल बनाने के पाकिस्तानी सेना और सरकार के मंसूबों को प्रभावी ढंग से बेनकाब किया है. लेकिन इन कोशिशों के हासिल का भी मूल्यांकन जरूरी है. कश्मीर में सीमा पर पाकिस्तानी बंदूकों तथा सीमा के भीतर पाकिस्तानी समर्थन और प्रशिक्षण से लैस आतंकवादियों ने नागरिकों और सैनिकों को निशाना बनाया है.

आतंक को शह देने और घुसपैठ कराने के साथ पाकिस्तान नागरिकों को भी आगे रखता है, जो आतंकियों के सहायक के रूप में काम करते हैं तथा अगर ये लोग भारतीय सुरक्षाबलों का निशाना बनते हैं, तो पाकिस्तान दुनियाभर में सहानुभूति पाने के लिए उन्हें निर्दोष नागरिकों के बतौर पेश कर देता है. सीमा पर या उसके भीतर तैनात हमारे सैनिक पूरी तरह से मुस्तैद हैं और उनके काम को आसान बनाने के लिए चौकसी और निगरानी के इंतजाम पुख्ता होने चाहिए. एक तो कश्मीर में सामान्य स्थिति बनाने के प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है, दूसरे यह कि पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाया जाए.

यदि तत्काल पाकिस्तानी रवैये पर मजबूत प्रहार नहीं किया गया, तो इसका एक संदेश यह भी जा सकता है कि भारत के प्रयास लचर हैं. अब समय आ गया है कि बड़े-बड़े बयान देने की जगह हमारी सरकार और सुरक्षाबलों का नेतृत्व ठोस रणनीति और योजना के साथ पाकिस्तानी हरकतों को परास्त करें.

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