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शहरों पर ध्यान

स्मार्ट सिटी परियोजना मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में है. लेकिन, पिछले साल जनवरी में 20 स्मार्ट शहर बनाने की घोषणा के बाद से इस मोर्चे पर कुछ खास होता दिखाई नहीं दे रहा है, जबकि ऐसे शहरों की संख्या 60 तक कर दी गयी है. खबरों की मानें, तो इस ढिलाई से नाराज प्रधानमंत्री […]

स्मार्ट सिटी परियोजना मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में है. लेकिन, पिछले साल जनवरी में 20 स्मार्ट शहर बनाने की घोषणा के बाद से इस मोर्चे पर कुछ खास होता दिखाई नहीं दे रहा है, जबकि ऐसे शहरों की संख्या 60 तक कर दी गयी है. खबरों की मानें, तो इस ढिलाई से नाराज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को फटकार लगायी है. इसका नतीजा है कि अब मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने सभी संबंधित विभागों और भागीदारों को तुरंत काम शुरू करने का निर्देश दिया है.

तेजी को सुनिश्चित करने के लिए मिश्रा हर महीने समीक्षा बैठक भी करेंगे. अभी तक 60 स्मार्ट शहरों के लिए विशेष संस्थाएं बनायी जा चुकी हैं, जिन्हें स्पेशल परपस व्हिकल कहा जाता है. इन शहरों से जुड़ी 261 परियोजनाओं का काम अगले महीने शुरू कराने का आग्रह भी राज्यों से किया गया है. करीब 32 हजार करोड़ के निवेश की इस बड़ी परियोजना में देरी से न सिर्फ लागत बढ़ सकती है, बल्कि इनसे होनेवाले फायदे भी प्रभावित हो सकते हैं. अब देखना यह है कि लंबी सुस्ती के बाद की मौजूदा मुस्तैदी के क्या परिणाम निकलते हैं.

शहरीकरण विकास की अनिवार्य शर्त है. अधिक-से-अधिक जनता के लिए व्यापक समृद्धि और बेहतर रहन-सहन उपलब्ध कराने के लिए पूरे देश में शहरीकरण पर ध्यान देने की जरूरत है. इस दिशा में स्मार्ट सिटी परियोजना एक महत्वपूर्ण पहल है. लेकिन हमें इस सच्चाई को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि शहरों के प्रबंधन में भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले कई देशों से बहुत पीछे है.

रियल एस्टेट की एक प्रसिद्ध सलाहकार एजेंसी और बिजनेस ऑफ सिटीज नामक संस्था के हालिया अध्ययन में अच्छे शहरों की जो सूची जारी की गयी है, उसमें एक भी भारतीय शहर नहीं है. हमारे शहर बीमारी, गंदगी, प्रदूषण, अव्यवस्था, विषमता जैसी समस्याओं से ग्रस्त हैं. हर साल बरसात में हमारे महानगरों की बाढ़ सुर्खियों में रहती है और उसके बाद महामारी का आतंक कहर ढाता है. दुर्भाग्य की बात यह है कि आश्वासनों और वादों की रस्म निभाने के अलावा राज्य सरकारें और नगर निगम कुछ ठोस कदम उठा पाने में हमेशा असफल रहते हैं.

स्मार्ट सिटी बसाने की प्रक्रिया में शहरीकरण के अनुभवों को बेहद गंभीरता से समझना होगा. ऐसा न हो कि कुछ समय बाद ये नये शहर भी पुराने शहरों के ढर्रे पर चलने लगें. इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को शहरों के प्रबंधन को बेहतर करने के लिए भी कोशिश करनी होगी.

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