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Friday, March 29, 2024

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वीआइपी कल्चर पर लगाम

एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसे तौर-तरीकों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, जो रुतबे और रसूख के दम पर अपने मातहतों तथा आम लोगों की परेशानी की वजह बनें. यह दुर्भाग्य की बात है कि ब्रिटिश शासन और स्वतंत्र भारत की सरकारों के कई ऐसे नियम-कानून आज भी चल रहे हैं, जिनके कारण वीआइपी कल्चर […]

एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसे तौर-तरीकों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, जो रुतबे और रसूख के दम पर अपने मातहतों तथा आम लोगों की परेशानी की वजह बनें. यह दुर्भाग्य की बात है कि ब्रिटिश शासन और स्वतंत्र भारत की सरकारों के कई ऐसे नियम-कानून आज भी चल रहे हैं, जिनके कारण वीआइपी कल्चर बदस्तूर जारी है.
इस संबंध में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रेल मंत्रालय ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को वीआइपी कल्चर छोड़ने का निर्देश दिया है. अब क्षेत्रीय दौरों पर रेल बोर्ड के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की अगवानी और विदाई के लिए महाप्रबंधकों को अनिवार्य रूप से उपस्थित नहीं रहना होगा.
हटाया गया यह नियम 1981 से लागू था. वरिष्ठ अधिकारियों के घरों पर काम कर रहे करीब 30 हजार ट्रैकमैन अब अपने निर्धारित काम पर भेजे जा रहे हैं. रेल संचालन के लिए पहले से ही कर्मचारियों की कमी है, जिसका खामियाजा दुर्घटनाओं, ट्रेनों के देर से चलने और खराब सुविधाओं के रूप में यात्रियों को भुगतना पड़ता है. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शीर्ष अधिकारियों को आलीशान डिब्बों की जगह यात्रियों के लिए निर्धारित डिब्बों में यात्रा का निर्देश भी दिया है.
इस साल मई में सरकार द्वारा लाल, नीली और पीली बत्तियों को पूरी तरह से हटाने के आदेश के बाद वीआइपी कल्चर पर यह दूसरी बड़ी चोट है. राजनेताओं और नौकरशाहों को यह समझना होगा कि वे आखिरकार लोकसेवक हैं, न कि शासक. जनता की कमाई को अपने सुख और रौब-दाब पर खर्च करना तथा फिर उसी के सामने दिखावा करना किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है.
यह सराहनीय है कि सरकार इस दिशा में जरूरी कदम उठा रही है, पर अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. अक्सर हम सुर्खियों में पढ़ते हैं कि वीआइपी लोगों की सुरक्षा पर बजट बढ़ाया गया या फिर इतने अतिविशिष्ट लोगों को सुरक्षा मुहैया करायी गयी. देश में पुलिस बल की संख्या पर्याप्त नहीं है और लाखों पद खाली हैं.
स्वाभाविक रूप से कानून-व्यवस्था बनाये रखने और मामलों की जांच पर इसका नकारात्मक असर होता है. दूसरी ओर, वीआइपी सुरक्षा लेकर नेता नागरिकों के सामने धौंस जमाते हैं. जहां सुरक्षा देने की जरूरत है, वहां दी जाये, पर यह आम लोगों की सुरक्षा और सम्मान की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए. उम्मीद है कि केंद्र सरकार ठोस कदमों के सिलसिले को बरकरार रखेगी और राज्य सरकारें तथा सार्वजनिक उपक्रम भी अपने स्तर पर वीआइपी कल्चर के खात्मे के लिए कोशिश करेंगे.
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