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अमेरिका में फिर गोलीबारी

साठ साल की उम्र पार कर चुका एक व्यक्ति जिसके अपराधी या सनकी होने का कोई पिछला रिकाॅर्ड न रहा हो, गीत-संगीत में मग्न लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाता है. देखते-देखते 59 लोग मारे जाते हैं, 500 घायल होते हैं और यह सब होता है सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका में, जिसने अपने कंधे पर दुनिया […]

साठ साल की उम्र पार कर चुका एक व्यक्ति जिसके अपराधी या सनकी होने का कोई पिछला रिकाॅर्ड न रहा हो, गीत-संगीत में मग्न लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाता है. देखते-देखते 59 लोग मारे जाते हैं, 500 घायल होते हैं और यह सब होता है सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका में, जिसने अपने कंधे पर दुनिया में लोकतंत्र के प्रसार का स्वघोषित दायित्व उठा रखा है.
व्यक्ति की आजादी के पैरोकार मुल्क की जमीन पर ऐसा खूनी खेल क्यों? किस बात ने निहत्थी भीड़ पर हमला करने के लिए एक बुजुर्ग को उकसाया? लास वेगास की खूनी घटना की कई व्याख्याएं हैं. एक व्याख्या है कि यह शहर भोग-विलास की नगरी है, अनियंत्रित उपभोक्तावाद का प्रतीक, जिसमें उपभोक्ता राजा होता है और अदालत, विधायिका, प्रशासन जैसी संस्थाओं का कर्तव्य होता है कि वे उपभोक्ता की इस आजादी की रक्षा करें. इस व्यवस्था से सर्वाधिक चिढ़ वैश्विक इस्लामी आतंकवाद को है
चूंकि घटना की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है, सो माना जा सकता है कि यह एक आतंकी हमला है, जिसने व्यक्ति की स्वतंत्रता के अमेरिकी मूल्य को चुनौती दी है. लेकिन, हत्यारे बुजुर्ग के रिकाॅर्ड में उसके इस्लामिक स्टेट से जुड़े होने का कोई सबूत नहीं हैं. दूसरी व्याख्या है कि अमेरिका में नागरिकों को बंदूक रखने की छूट है, जिसका व्यापक दुरुपयोग हो रहा है. गोलीबारी की पुरानी घटनाओं को ध्यान में रखें, तो यह एक ठोस व्याख्या है. इस साल अब तक अमेरिका में गोलीबारी की कुल 273 घटनाओं में 12,000 नागरिक मारे गये हैं.
कुछ समय पहले एक अध्ययन में बताया गया था कि 2002 से 2013 के बीच आतंकी घटनाओं से जितने अमेरिकी नागरिकों की मौत हुई, उससे 1,400 गुना ज्यादा अकारण गोलीबारी की घटनाओं में मारे गये. अगर बंदूक रखने की आजादी ही ऐसी भयावह घटनाओं की वजह है, तो फिर इस पर पाबंदी लगायी जा सकती है.
बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते ऐसी कोशिश हुई भी, परंतु ताकतवर बंदूक लॉबी के आगे वह कामयाब न हो सकी. राष्ट्रपति ट्रंप बंदूक से जुड़े मौजूदा कानून को जारी रखने के पक्षधर हैं. ऐसे में फिलहाल किसी रोक-टोक की गुंजाइश न के बराबर है.
मेरिका युद्ध को सदा उत्सुक राष्ट्र है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से कोई साल नहीं गुजरा, जब वह हमलावर न हुआ हो. जो राष्ट्र हमेशा दूसरों पर मिसाइल दागता है, उसके सार्वजनिक जीवन के संचालित करनेवाला कोई प्रतिष्ठान यह कहने का नैतिक अधिकार खो देता है कि हिंसा बुरी बला है. आज अमेरिका को गंभीर आत्ममंथन की जरूरत है.

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