36.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

सुषमा का संदेश

विचारों और नीतियों को शानदार तरीके से अभिव्यक्ति देने में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज माहिर हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की ओर से बोलते हुए उन्होंने एक बार फिर अपने संवाद कौशल और स्पष्टवादिता की मिसाल पेश की है. विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर देश की राय व्यक्त करते हुए उन्होंने यह संदेश दिया है […]

विचारों और नीतियों को शानदार तरीके से अभिव्यक्ति देने में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज माहिर हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की ओर से बोलते हुए उन्होंने एक बार फिर अपने संवाद कौशल और स्पष्टवादिता की मिसाल पेश की है.
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर देश की राय व्यक्त करते हुए उन्होंने यह संदेश दिया है कि समस्याओं के समाधान की प्रक्रिया में विश्व समुदाय को भारत की समझ को साथ लेना होगा. आतंक और जलवायु परिवर्तन आज हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या हैं.
भारत न सिर्फ इनका भुक्तभोगी है, बल्कि लंबे समय से वह दुनिया को इनसे निपटने की गंभीरता की गुहार भी लगा रहा है. आतंक की शरणस्थली और उत्पादन केंद्र बन चुके पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए स्वराज ने शिक्षा, तकनीक और कौशल में भारत की उपलब्धियों का उल्लेख किया तथा इस विश्व मंच से व्यापक साझेदारी की जरूरत को रेखांकित किया. भारत 1996 से ही आतंक के मसले पर विश्व सम्मेलन बुलाने की मांग करता आ रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी और स्वराज पहले भी विभिन्न बैठकों में इस पर जोर दे चुके हैं, लेकिन बड़े देश अपने भू-राजनीतिक और आर्थिक हितों के मद्देनजर आतंक पर ढुलमुल रवैया अपनाते रहे हैं. बीते कुछ समय से भारत की कूटनीतिक कोशिशों के कारण पाकिस्तान पर दबाव बढ़ना शुरू हुआ है. इस दबाव से पैदा हुई बेचैनी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र में उसकी दूत के बयानों में देखा जा सकता है.
दशकों से कश्मीर में अलगाव और आतंक को शह और समर्थन देने तथा युद्ध विराम का लगातार उल्लंघन करनेवाला पाकिस्तान फिर से कश्मीर का मुद्दा उठा कर दुनिया की सहानुभूति पाने की कोशिश कर रहा है. भारत की अंदरूनी राजनीति का उल्लेख कर वह अपनी अस्थिरता और आतंक से त्रस्त पाकिस्तानी जनता की तकलीफों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान हटाना चाहता है.
दक्षिण एशिया समेत आसपास के एशियाई इलाकों में विकास और शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता जगजाहिर है, वहीं पड़ोसी देशों के खिलाफ आतंक का इस्तेमाल करने की पाकिस्तानी नीति की भर्त्सना उसके पारंपरिक पैरोकार देश भी कर चुके हैं.
जलवायु परिवर्तन और उसके परिणामस्वरूप कहर ढा रहीं प्राकृतिक आपदाओं के हवाले से स्वराज ने विकसित देशों का आह्वान किया है कि वे इस मुद्दे पर अपनी जिम्मेदारी का संज्ञान लें. वैश्विक तापमान बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान धनी देशों का है, लेकिन उसका खामियाजा गरीब और विकासशील देशों को भुगतना पड़ रहा है. उम्मीद है कि स्वराज की आवाज की गूंज महासभा के कक्ष से निकल कर विश्व समुदाय के मानस को अवश्य झकझोरेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें