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Friday, March 29, 2024

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बनारस से कई गुना बड़ा व आधुनिक है झारखंड का पहला मल्टी मॉडल टर्मिनल, PM मोदी आज करेंगे उद्घाटन

रांचीःझारखंड के लिए आज ऐतिहासिक दिन है. अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहली बार राजधानी रांची पहुंच रहे हैं. यहां से वो देश को कई योजनाओं की सौगात देंगे. इसके अलावा देश के दूसरे और झारखंड के पहले मल्टी मॉडल टर्मिनल के साथ ही नवनिर्मित विधानसभा भवन का उद्धाटन करेंगे. झारखंड का […]

रांचीःझारखंड के लिए आज ऐतिहासिक दिन है. अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहली बार राजधानी रांची पहुंच रहे हैं. यहां से वो देश को कई योजनाओं की सौगात देंगे. इसके अलावा देश के दूसरे और झारखंड के पहले मल्टी मॉडल टर्मिनल के साथ ही नवनिर्मित विधानसभा भवन का उद्धाटन करेंगे. झारखंड का पहला मल्टी मॉडल टर्मिनल साहिबगंज में बना है. यह मल्टी मॉडल टर्मिनल नदियों पर बना पहला ऐसा टर्मिनल है, जो कंटेनर कार्गो हैंडलिंग में सक्षम होगा.

सागरमाला योजना का हिस्सा बना झारखंड

वाराणसी-हल्दिया जलमार्ग शुरू होने के बाद कोलकाता बंदरगाह के जरिये यह उत्तर भारत को पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और अन्य दक्षिण एशियाई को जोड़ेगा. इसी के साथ झारखंड सागरमाला योजना का भी हिस्सा हो जाएगा. साहिबगंज मल्टी मॉडल टर्मिनल देश के पहले यानी पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बने मल्टी मॉडल टर्मिनल से कई गुना बड़ा और आधुनिक है.

वाराणसी टर्मिनल की लागत करीब 206 करोड़ रुपये थी और यह करीब 100 एकड़ में बना है जबकि साहिबगंज मल्टी मॉडल टर्मिनल की लागत करीब 290 करोड़ रुपये है. यह रिकॉर्ड समय में मात्र दो साल में बन कर तैयार हुआ है. पीएम मोदी ने इसका शिलान्यास 06 अप्रैल 2017 को किया था. आज रांची से आनलाइन राष्ट्र को समर्पित करेंगे. जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया साहिबगंज में उपस्थित रहेंगे.

झारखंड- बिहार के उद्योगों को वैश्विक बाजार के लिए खोलेगा

यह जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के तहत गंगा नदी पर बनाए जा रहे तीन मल्टी-मॉडल टर्मिनलों में से दूसरा टर्मिनल है. इससे पहले नवम्बर, 2018 में प्रधानमंत्री ने वाराणसी में पहले मल्टी-मॉडल टर्मिनल (एमएमटी) का उद्घाटन किया था. साहिबगंज स्थित मल्टी-मॉडल टर्मिनल झारखंड एवं बिहार के उद्योगों को वैश्विक बाजार के लिए खोलेगा और इसके साथ ही जलमार्ग के जरिए भारत-नेपाल कार्गो कनेक्टिविटी सुलभ कराएगा.

यह राजमहल क्षेत्र स्थित स्थानीय खदानों से विभिन्न ताप विद्युत संयंत्रों को घरेलू कोयले की ढुलाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इस टर्मिनल के जरिए कोयले के अलावा स्टोन चिप्स, उर्वरकों, सीमेंट और चीनी की भी ढुलाई किए जाने की आशा है. टर्मिनल से इस क्षेत्र में लगभग 600 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार और तकरीबन 3000 लोगों के लिए अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की आशा है.

नये मल्टी-मॉडल टर्मिनल के जरिए साहिबगंज में सड़क-रेल-नदी परिवहन के संयोजन से यह हिस्सा कोलकाता एवं हल्दिया और बंगाल की खाड़ी से जुड़ जाएगा. इसके अलावा साहिबगंज नदी-समुद्र मार्ग से बांग्लादेश होते हुए पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़ जाएगा. इस नवनिर्मित टर्मिनल की क्षमता 30 लाख टन सालाना है. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत दूसरे चरण में क्षमता विस्तार के लिए 376 करोड़ रुपये निवेश करने के बाद इसकी क्षमता बढ़कर 54.8 लाख टन सालाना माल ढुलाई की हो जाएगी.

माल ढुलाई हो जाएगा काफी सस्ता

बता दें कि देश में मल्टी-मॉडल टर्मिनलों का निर्माण जल मार्ग विकास परियोजना के तहत किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य 1500-2000 टन तक के वजन के बड़े जहाजों के नौवहन के लिए वाराणसी और हल्दिया के बीच गंगा नदी के फैलाव को विकसित करना है. इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्ल्यूएआई) के अधिकारियों ने बताया कि साहिबगंज टर्मिनल के माध्यम से सामान भेजने में खर्च में कमी आएगी. जलमार्ग से सामान भेजने पर प्रति टन प्रति किमी 30 से 50 पैसे खर्च आता है. वहीं रेल से यह एक रुपये और सड़क मार्ग से डेढ़ रुपये तक का खर्च आता है.

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