नवहट्टा : दिल्ली अग्निकांड में अपनी जान गंवाने वाले मो अफसाद का शव मंगलवार की देर रात लगभग 11 बजे उनके पैतृक गांव नवहट्टा पश्चिमी पंचायत के वार्ड नंबर नौ पहुंचा. शव पहुंचते ही परिजन सहित गांव में मातम पसर गया. शव को एक नजर देखने के लिए उसके घर लोगों की भीड़ जुटने लगी. मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार बुधवार की सुबह मृतक अफसाद का जनाजा निकाला गया.
जहां नवहट्टा प्रखंड के मुस्लिम, हिंदू सहित सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उनके घर पहुंच कर अंतिम दर्शन किया और पीड़ित परिवार को ढांढ़स बंधाया. सैकड़ों की संख्या में उनके जनाजे में शामिल होकर मुस्लिमों ने उन्हें मिट्टी दी और उनकी आत्मा की शांति के लिए अल्लाह से दुआ मांगी.
जनाजे में शामिल हुए सैकड़ों लोग: शव देखने के लिए प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों से हिंदू व मुस्लिम परिवार के लोगों का हुजूम मृतक के घर जुट गया. सबके मुंह से एक ही आह निकल रही थी कि अफसाद इस घर का एकमात्र कमाऊ पुत्र था. उसके गुजर जाने से इस परिवार पर आफतों का पहाड़ टूट गया है. अब इस परिवार की जिम्मेवारी कौन लेगा. मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा कौन बनेगा.
मंगलवार की रात अफसाद का शव उसके गांव पहुंचा तो उसकी बीबी मसीरा खातून व उसकी अम्मी सहित परिजनों का रो-रो कर हाल बुरा हाल था. बुधवार की सुबह अफसाद का जनाजा जामा मस्जिद नवहट्टा पहुंचा. मस्जिद से जनाजे को लेकर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने ईदगाह पहुंचकर मृतक को मिट्टी दिया. जनाजे में अंचलाधिकारी अबू अफसर, मंजूर आलम, अंजुम जमाली, अशफाक आलम, इश्तियाक खान, मंसूर खान, खुर्शीद आलम, मंसूर आलम, शमशाद आलम, पंसस कारी, सद्दाम सहित अन्य शामिल थे.
शौहर ने सोमवार को आने की कही थी बात…: अफसाद की बीबी मसीरा खातून ने रोते-बिलखते बताया कि शनिवार की रात जब हम अपने शौहर से फोन पर बात किए थे तो, उन्होंने बताया था कि रविवार को हमलोग कंपनी के मालिक से हिसाब कर मासिक वेतन लेकर सोमवार को घर के लिए गाड़ी पकड़ेंगे. लेकिन बातचीत के अगले दिन रविवार को ही यह अग्निकांड हो गया और उस भीषण कांड में उनकी मौत हो गयी. अब हमारे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है. यह घर-गृहस्थी कैसे चलेगी, समझ नहीं आ रहा है. अल्लाह ने हमलोगों के साथ ऐसा क्यों किया.