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Thursday, March 28, 2024

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मनोज ने कुसहा त्रासदी को सिल्वर स्क्रीन पर उतारा

सिनेमा के अधिकतर शॉट्स फिल्माए गये हैं कोसी इलाके में भोजपुरी, उड़िया सहित कई भाषा की फिल्मों को कर चुके हैं निर्देशित सहरसा : मई महीने में रूपहले पर्दे पर रिलीज होने वाली मैथिली फिल्म ‘लव यू दुलहिन’ का पूरे क्षेत्र में लोगों को बेसब्री से इंतजार है. लोगों के इंतजार के दो कारण हैं. […]

सिनेमा के अधिकतर शॉट्स फिल्माए गये हैं कोसी इलाके में

भोजपुरी, उड़िया सहित कई भाषा की फिल्मों को कर चुके हैं निर्देशित
सहरसा : मई महीने में रूपहले पर्दे पर रिलीज होने वाली मैथिली फिल्म ‘लव यू दुलहिन’ का पूरे क्षेत्र में लोगों को बेसब्री से इंतजार है. लोगों के इंतजार के दो कारण हैं. पहला यह कि यह फिल्म 2008 में आयी कोसी की बाढ़ व उसके बाद यहां बनी स्थिति पर आधारित है. फिल्म के अधिकाधिक भाग की शूटिंग भी इसी इलाके में हुई है. दूसरा इस फिल्म के निर्देशक मनोज श्रीपति भी यहीं के रहने वाले हैं. उन्होंने अब तक भोजपुरी, उड़िया सहित अलग-अलग भाषाओं की दर्जनों फिल्म को निर्देशित किया है.
कुसहा त्रासदी पर है फिल्म लव यू दुल्हिन : मनोज श्रीपति की आने वाली फिल्म लव यू दुलहिन साल 2008 में आई कुसहा त्रासदी पर आधारित है. निर्देशक मनोज ने बताया कि त्रासदी में सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया, अररिया, कटिहार व किशनगंज में भारी तबाही मची थी.
मनोज ने कुसहा…
सैकड़ों लोग कोसी की बलि चढ़ गये थे. आने-जाने के सारे रास्ते कट गये थे. मनोज के गांव व आसपास के इलाके भी नदी में तब्दील हो गये थे. उन्होंने अपनी नंगी आंखों से उस तबाही को देखा व झेला था. हर एक परिवार एक-दूसरे की ओर मदद भरी निगाह से देखते थे. लोग पानी से बाहर निकलना भी चाहते थे और घर के सामान सहित मवेशियों को भी बचाना चाहते थे. भीषण बाढ़ ने छोटे-बड़े, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब सबके बीच के फर्क को मिटा दिया था.
लोगों के बचाव के लिए सेना को बुलाया गया था. सरकार ने मेगा कैंप लगा बाढ़ पीड़ितों की भरपूर सेवा की थी. फिल्म ‘लव यू दुल्हिन’ में बाढ़ से मार्ग के टूटने व परिवार के टूटने के दर्द को फिल्माया गया है. फिल्म का गीत बनगांव के प्रकाश चंद्र मनोज ने लिखा है. निर्देशक मनोज श्रीपति ने बताया कि मैथिली में पहले भी फिल्में बनी हैं. लेकिन, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने में सफलता नहीं मिली. इसी प्रयास में इस फिल्म का निर्माण हुआ है. उन्होंने बताया कि फिल्म की शूटिंग बेगूसराय, बखरी, सिमरिया घाट, चिल्का झील में हुई है. यह पूरे परिवार के साथ देखने योग्य है. फिल्म में बिहार की संस्कृति व संस्कार को भी दिखाया गया है.
रक्ततिलक से चर्चा में आये मनोज:
मनोज श्रीपति पहली निर्देशित फिल्म रक्ततिलक थी. बलिप्रथा व बाल मनोविज्ञान पर बनी इस फिल्म की लगभग शूटिंग महिषी, कहरा और आसपास के इलाकों में हुई थी. इस फिल्म की देश के विभिन्न फेस्टिवलों में स्क्रीनिंग तो हुई ही, विदेशों में काफी प्रसिद्धी मिली थी. रक्ततिलक के थीम को पसंद कर इसे कई भाषाओं में डब किया गया था. इसके बाद मनोज श्रीपति ने भोजपुरी फिल्म ‘प्यार बिना चैन कहां रे’, ‘चुन्नी बाबू सिंगापुरी’, ‘कोठा’, उड़िया फिल्म ‘टाइगर’ को भी निर्देशित किया है.
सभी फिल्म अपने भाषी क्षेत्रों में खूब धूम मचायी. मनोज श्रीपति ने फिल्म निर्देशक का कैरियर असिस्टेंट डायरेक्टर से शुरू किया. वे टीवी सीरियल करण अर्जुन, जिंदगीनामा के अलावे हिंदी फिल्म ‘इंसाफ द जस्टिस’, अंग्रेजी फिल्म ‘वन नाइट विद द किंग’, ‘द फॉल’ सहित कई फिल्मों में सहायक निर्देशक की भूमिका निभा चुके हैं. मनोज मैथिली व हिंदी के साहित्यकार महिषी निवासी राजकमल चौधरी पर भी डाक्यूमेंट्री बना चुके हैं.
फेस्टिवल देख फिल्मों की ओर हुआ झुकाव
सहरसा के धबौली पश्चिमी पंचायत के कहरा गांव निवासी मधुकांत झा के पुत्र मनोज श्रीपति की शिक्षा महिषी के उग्रतारा मध्य विद्यालय से शुरू हुई. जिला स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद श्रीपति पटना साइंस कॉलेज से आइएससी फिर पटना विश्वविद्यालय से ही अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री ली. पत्रकारिता में अपना कैरियर बनाने के उद्देश्य से इन्होंने जेएनयू में मास कॉम में नामांकन लिया.
लेकिन, इसी बीच दिल्ली में आयोजित नेशनल फिल्म फेस्टिवल में शरीक हुए. फेस्टिवल में मनोज ने कई फिल्में देखी और उनका मन फिल्मी दुनिया की ओर मुड़ गया. जामिया से ही एमसीआरसी का कोर्स पूरा कर मनोज ने फिल्म निर्देशन को ही अपना कैरियर बना लिया.
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