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तीन को आजीवन कारावास 2014 में की थी हत्या

सात अन्य को भी सजा और आर्थिक दंड सोनवर्षा प्रखंड क्षेत्र के बसनही थाना में क्षेत्र में हुई थी घटना सहरसा : गुरुवार को जिले के सोनवर्षा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बसनही थाना में दर्ज एक हत्या के मामले में जिला जज के न्यायालय चल रही सुनवाई के बाद तीन को दोषी पाने के बाद आजीवन […]

सात अन्य को भी सजा और आर्थिक दंड

सोनवर्षा प्रखंड क्षेत्र के बसनही थाना में क्षेत्र में हुई थी घटना
सहरसा : गुरुवार को जिले के सोनवर्षा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बसनही थाना में दर्ज एक हत्या के मामले में जिला जज के न्यायालय चल रही सुनवाई के बाद तीन को दोषी पाने के बाद आजीवन कारावास व आर्थिक दंड की सजा सुनायी गयी है. वहीं इसी मामले में सात अन्य को भी न्यायालय द्वारा अलग-अलग दोषी करार देते हुए सभी को सजा व आर्थिक दंड की सजा सुनायी गयी.
मालूम हो कि 2014 में अतलखा निवासी अनोज यादव की झिटकिया नदी के पास मूर्ति विसर्जन कर लौटने के दौरान घर से करीब डेढ़ सौ मीटर पहले अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर हत्या कर दी थी. मृतक अनोज यादव के भाई सूचक मनोज यादव ने बसनही थाना में अमोल यादव, डोमी यादव, गंजू यादव सहित सात अन्य लोगों को भाई की हत्या के मामले में आरोपित बनाया था, जिन्हें न्यायालय ने भी साक्ष्य के आधार पर दोषी मान आजीवन कारावास व आर्थिक दंड की सजा गुरुवार को सुनायी है.
जिन तीन को आजीवन सजा सुनायी गयी है. उनमें अमोल यादव को सजा के अलावे पच्चीस हजार रुपये का अर्थदंड, दंड नहीं देने पर छह महीने के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा सुनायी गयी है. वहीं डोमी यादव और गंजू यादव को आजीवन कारावास के साथ-साथ पंद्रह-पंद्रह हजार रुपये आर्थिक दंड सुनाया गया है. दंड नहीं देने पर दोनों को ही तीन तीन महीने की साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी. वहीं खोखा यादव को पांच वर्ष कारावास व तीन हजार अर्थदंड, अमोल यादव, खोखा यादव, डोमी यादव, गंजू यादव पर आर्म्स एक्ट में तीन वर्ष की सश्रम कारावास और दो हजार अर्थदंड की सजा सुनायी गयी.
अन्य सभी को एक वर्ष की सश्रम कारावास और एक हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी गयी है. सभी को सजा सुनाये जाने के बाद इस घटना के सूचक मृतक के भाई मनोज यादव ने कहा कि तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा न्यायालय ने सुनायी है. उससे वे खुश हैं, लेकिन बाकी सात लोगों को भी कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी. सभी सात भी हत्या में बराबर के भागीदार थे. उन्होंने इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने की बात कही है.

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