बेतिया व मोतिहारी के कई गांव जाने के क्रम में उन्होंने पैसेंजर ट्रेन की सवारी की थी. लोगों के साथ ट्रेन की चाय पी थी. कई बार ट्रेन में बिकनेवाली चीजों को भी कार्यकर्ताओं के साथ खाया था. जिस कार्यकर्ता के घर रात को रुकते थे, वहीं खाना भी खाते थे. कई बार तो दोपहर का खाना हम लोगों ने जमीन पर बैठ कर खाया था. रात में सोते-सोते 11-12 बज जाते थे.
वह सुबह पर चार बजे उठ कर तैयार हो जाते थे. कई बार हम लोगों के कमरे में आ जाते थे. सुबह उठा देते थे. साथ बैठ कर खाना खाते समय जब तक सभी कार्यकर्ताओं का खाना पूरा नहीं हो जाता था, वह भी पंक्ति से नहीं उठते थे. जमशेदपुर में मई दिवस के कार्यक्रम में वह राहुल गांधी को लेकर आ गये थे. राहुल गांधी को कार्यकर्ताओं के पास छोड़ खुद भाषण देने चले गये थे. संयुक्त बिहार के एक-एक इलाके से उन्हें बहुत लगाव था. उन्होंने ही देश में संचार क्रांति की नींव रखी थी. कंप्यूटर का प्रयोग शुरू करवाया था. आज इसी कंप्यूटर ने दुनिया बदल दी है. उनकी मौत से देश ने सच्चा सपूत खो दिया था. वह हमेशा देश के विकास की सोचते थे.(लेखक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और सरकार में मंत्री रह चुके हैं)

