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प्रतिनियुक्ति का खेल : अक्तूबर 2019 में हुआ था तबादला, तीन सिटी मैनेजर को वापस नगर निगम लाने की तैयारी

रांची : तबादले के मात्र तीन माह बाद ही रांची नगर निगम के तीन चर्चित सिटी मैनेजर को वापस रांची नगर निगम लाने की तैयारी चल रही है. इन मैनेजर को वापस निगम में प्रतिनियुक्त करने के लिए नगर आयुक्त मनोज कुमार ने नगर विकास सचिव को पत्र लिखा है. 19 नवंबर 2019 को लिखे […]

रांची : तबादले के मात्र तीन माह बाद ही रांची नगर निगम के तीन चर्चित सिटी मैनेजर को वापस रांची नगर निगम लाने की तैयारी चल रही है. इन मैनेजर को वापस निगम में प्रतिनियुक्त करने के लिए नगर आयुक्त मनोज कुमार ने नगर विकास सचिव को पत्र लिखा है. 19 नवंबर 2019 को लिखे पत्र में नगर आयुक्त ने कहा कि रांची नगर निगम एक बड़ा नगर निगम है. यहां सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का सफल निष्पादन करवाना होता है. इसके अलावा राजस्व हित में भी इनका रहना जरूरी है. इसलिए सिटी मैनेजर सौरभ वर्मा, अंबुज कुमार सिंह व संदीप कुमार को नगर निगम में प्रतिनियुक्त किया जाये. ज्ञात हो कि चार सालों से रांची नगर निगम में जमे पांच सिटी मैनेजरों (संदीप कुमार, अंबुज कुमार सिंह, मृत्युंजय पांडेय, फरहत अनीसी व सौरभ वर्मा) का तबादला अक्तूबर 2019 में हो गया था.

जब तक रहे, चर्चा में रहे तीनों मैनेजर: चार सालों से नगर निगम में जमे सिटी मैनेजर सत्ता के केंद्र बिंदु बने हुए थे. ये अधिकारियों के साथ-साथ ठेकेदारों के भी चहेते थे. चार सालों तक इन तीनों मैनेजर ने अपने हिसाब से निगम को चलाया. अब इनके तबादला के बाद भी ये दोबारा निगम में वापस आने के लिए एड़ी-चोटी का जोड़ लगाये हुए हैं. इनको निगम में बनाये रखने के लिए निगम के अधिकारियों के साथ-साथ विभाग के अधिकारी भी जुटे हैं.

विभाग व निदेशालय का प्रतिदिन लगा रहे चक्कर : तबादले के बाद भी वापस रांची नगर निगम आने के लिए इन तीनों ने नगरीय प्रशासन निदेशालय व नगर विकास विभाग का चक्कर लगाना शुरू कर दिया है. अपनी पहुंच के हिसाब से पैरवी भी कर रहे हैं. इन्हें उम्मीद है कि बहुत जल्द इनके अच्छे दिन आयेंगे.

रांची : सब्जी मार्केट का ठेका लेकर ठेकेदार ने निगम को लगाया चूना, प्राथमिकी

10 माह तक ठेकेदार वसूलता रहा शुल्क, लेकिन फूटी कौड़ी निगम में जमा नहीं की

रांची : रांची नगर निगम के मधुकम खादगढ़ा सब्जी बाजार का ठेका अभय कुमार साहू ने 18.55 लाख रुपये की बोली लगा कर अप्रैल 2019 में लिया. नियमानुसार, ठेकेदार को इस राशि की 70 प्रतिशत राशि एकरारनामा के दिन ही नगर निगम में जमा करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. निगम के कुछ सिटी मैनेजरों के साथ ठेकेदार के अच्छे संबंध होने के कारण एकरारनामा तो किया गया, लेकिन निगम में फूटी कौड़ी तक जमा नहीं की गयी. यानी बिना एक रुपये जमा किये ठेकेदार ने अप्रैल से दिसंबर 2019 तक इस मार्केट के 400 से अधिक दुकानदारों से प्रतिदिन वसूली की.

दिसंबर माह तक जब ठेकेदार ने निगम में एक पैसा नहीं दिया, तो निगम ने ठेकेदार को टर्मिनेट करते हुए उसपर सरकारी राशि के गबन करने का आरोप लगाते हुए थाना में केस दर्ज कराया है. साथ ही ठेकेदार को हटा कर अब होमगार्डों से वसूली शुरू करवायी है. वर्तमान में निगम द्वारा इस मार्केट से प्रतिदिन चार हजार से अधिक की राशि वसूली जा रही है. इस प्रकार से एक माह में निगम इस बाजार से 1.20 लाख रुपये की वसूली कर रहा है. अगर ठेकेदार के 10 माह की वसूली को इस राशि के औसत से ही जोड़ दिया जाये, तो ठेकेदार ने निगम को 10 माह में 12 लाख रुपये का चूना लगा दिया है. जानकारों की मानें, तो आम तौर पर किसी भी ठेका को लेते समय सबसे पहले सिक्यूरिटी मनी जमा करनी होती है. उसके बाद ही ठेकेदार को पैसा वसूलने की छूट मिलती है.

ठेकेदार ने ठेका लिया था, लेकिन निगम में किसी प्रकार की राशि जमा नहीं की. इसलिए ठेकेदार के बैंक अकाउंट को फ्रीज करने के लिए बैंक को भी पत्र लिखा गया है. साथ ही थाना में भी एफआइआर करवायी गयी है, यह सीधे तौर पर सरकारी राशि के गबन का मामला है.

रजनीश कुमार, उप नगर आयुक्त

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