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एचइसी का स्थापना दिवस आज : थपेड़े झेल कर भी कामयाबी के साथ चल रहा एचइसी

करीब 60 बसंत देख चुका एशिया का सबसे बड़ा उद्योग एचइसी अपने अंदर कई कहानियों को समेटे हुए है. इतने वर्षों में जहां एचइसी ने सफलता के कई आयाम खड़े किये, वहीं उसे आर्थिक उदारीकरण के थपेड़ों से भी गुजरना पड़ा है. एचइसी को राष्ट्र को समर्पित करते हुए प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू ने […]

करीब 60 बसंत देख चुका एशिया का सबसे बड़ा उद्योग एचइसी अपने अंदर कई कहानियों को समेटे हुए है. इतने वर्षों में जहां एचइसी ने सफलता के कई आयाम खड़े किये, वहीं उसे आर्थिक उदारीकरण के थपेड़ों से भी गुजरना पड़ा है.
एचइसी को राष्ट्र को समर्पित करते हुए प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू ने 15 नवंबर 1963 को कहा था कि एचइसी देश के औद्योगिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा. एचइसी अब तक समय-समय पर अपनी उपयोगिता साबित करता रहा है. राउरकेला स्टील प्लांट, भिलाई स्टील प्लांट हो या फिर बोकारो स्टील प्लांट सबके निर्माण में इसका महत्वपूर्ण योगदान है. यही नहीं निगम ने कोयला उद्योग, रक्षा विभाग, रेलवे, स्पेस के लिए कई महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण किया. बाहरी देशों के लिए एचइसी ने उपकरणों का निर्माण कर अरबों रुपयों की विदेसी मुद्रा अर्जित की.
70 के दशक तक एचइसी निर्बाध गति से चलता रहा. हालांकि इस दौरान भी एचइसी को घाटे का सामना करना पड़ता था, लेकिन इसकी क्षतिपूर्ति केंद्र सरकार किया करती थी. 80 का दशक एचइसी के लिए स्वर्ण काल रहा. लेकिन वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण के लागू होने से एचइसी की कमर टूट गयी. 1992 में एचइसी पहली बार रूग्ण उद्योगों में शामिल हो गया और वीआइएफआर के अधीन चला गया.
वर्ष 1996 में केंद्र सरकार ने 750 करोड़ का पैकेज दिया, तब यह वीआइएफआर से बाहर निकला. 1998 में एचइसी एक बार फिर वीआइएफआर में चला गया. 2008 में केंद्र सरकार ने एचइसी को फिर पुनरुद्धार पैकेज दिया. इसके बाद एचइसी 2013 तक लाभ अर्जित करता है. वर्तमान में पिछले दो वर्षों से एचइसी घाटे में चल रहा है. राज्य सरकार से जमीन के एवज में मिले पैसे के कारण एचइसी का नेटवर्थ पॉजिटिव है, लेकिन कंपनी उत्पादन के मामले में घाटे में चल रहा है. एचइसी कर्मचारियों का वेतन पुनरीक्षण लंबित है.
केंद्र सरकार को एचइसी की स्थिति को देखते हुए भारी उद्योग मंत्रालय से हटा कर ऊर्जा विभाग में करने की बात कही थी, लेकिन यह मामला भी अभी तक लटका हुआ है. चालू वित्तीय में भी एचइसी का उत्पादन संतोषजनक नहीं है. हालांकि वित्तीय वर्ष कंपनी ने 710 करोड़ रुपये का कार्यादेश प्राप्त किया है. एचइसी के पास न्यूक्लियर सबमरीन के उपकरण, इसरो से रॉकेट छोड़ने के लिए प्लेटफाॅर्म बनाने, स्लाइडिंग डोर, 200 टन क्रेन का महत्वपूर्ण ऑर्डर है.

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