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रांची : राजधानी में पिछले 24 घंटे में 199 बार काटी गयी बिजली

कई इलाकों में पांच से आठ घंटे तक आपूर्ति ठप रही राज्य गठन के दो दशक पूरे होने को है, लेकिन उद्योगों को निर्बाध बिजली देने की अब तक कोई योजना नहीं बन सकी है. आम लोगों के घरों में बिजली कटने के साथ ही उद्योगों की बत्ती भी किसी क्षण गुल हो रही है. […]

कई इलाकों में पांच से आठ घंटे तक आपूर्ति ठप रही
राज्य गठन के दो दशक पूरे होने को है, लेकिन उद्योगों को निर्बाध बिजली देने की अब तक कोई योजना नहीं बन सकी है. आम लोगों के घरों में बिजली कटने के साथ ही उद्योगों की बत्ती भी किसी क्षण गुल हो रही है. बिजली की इस व्यवस्था से उद्योग जगत सहित आम लोग परेशान हैं, लेकिन कोई भी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रहा है. जनता के इन्हीं सवालों पर प्रभात खबर ने जमीनी हकीकत की पड़ताल की. पेश है रिपोर्ट…
बिपिन सिंह
रांची : सरकार पूरे राज्य को 24 घंटे बिजली देने का वादा कर रही है, वहीं राजधानी रांची की हालत यह है कि पिछले 24 घंटे में करीब 199 बार बिजली कटी.
अगर इसमें रांची सर्किल के अंतर्गत आस-पास के क्षेत्रों के पावर कट को जोड़ दें, तो यह संख्या और ज्यादा हो जायेगी. इलेक्ट्रिक सप्लाई सर्किल रांची की डेली पावर इंट्रप्शन रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक 11 से 12 नवंबर के बीच (जब स्थिति सामान्य थी) करीब 199 बार बिजली आपूर्ति किसी न किसी वजह से बाधित हुई.
इस दौरान रांची के अंदर कई इलाकों में दो से तीन घंटे तक बिजली काटी गयी. वहीं निकटवर्ती क्षेत्रों में अधिकतम आठ घंटे तक बिजली बाधित रही. इस दौरान शटडाउन, ब्रेक डाउन और ट्रिपिंग के चलते होने वाले पावर कट के चलते बिजली की आंख-मिचौनी जारी रही. हालांकि राजधानी के शहरी इलाकों में कई ऐसे फीडर भी रहे, जहां इस दौरान 22 से 24 घंटे बिजली उपलब्ध रही.
कई इलाकों में 22 से 24 घंटे भी बिजली मिली
24 घंटे में कहां कितनी देर गुल रही बिजली
सिदराल 08:45 घंटे
तोरपा 05:15 घंटे
नामकुम 03:00 घंटे
हटिया 2:36 घंटे
रनिया 2:20 घंटे
शिलादान 2:10 घंटे
हरिहर सिंह रोड 01:02 घंटे
बूटी 01:05 घंटे
रातू रोड बीओआइ 01:25 घंटे
शटडाउन के चलते सबसे ज्यादा कटी बिजली
राजधानी में बिजली की डिमांड के बाद ट्रांसफॉर्मर के फ्यूज उड़ने और केबल पंक्चर होने का सिलसिला जारी है. लाइन मरम्मत के लिए एक दिन के भीतर लगभग 114 बार शटडाउन लिया गया. वहीं आवर लोड या शॉर्ट सर्किट के चलते करीब 46 बार लाइन ट्रिप कर गयी. जबकि, बिजली के दबाव के चलते 24 बार लोड शेडिंग और 15 बार लाइन ब्रेक डाउन रही. इससे उपभोक्ता परेशान रहे़
वोट की राजनीति में बिजली अब मुद्दा नहीं
राजधानी में उद्योगों के विकास में बिजली की वर्तमान स्थिति सबसे बड़ी बाधा है. ऐसे में जरूरी है कि रांची की बिजली व्यवस्था भी निजी हाथों में सौंप दी जाये. उद्योगों में बिजली आपूर्ति का मुद्दा राजनीतिक पार्टियों के लिए कोई महत्व नहीं रखता है.
दिल्ली व मुंबई में बिजली की स्थिति बेहतर हैं, क्योंकि वहां की सरकार को पता है कि अगर बिजली नहीं दी, तो जनता सरकार गिरा देगी. यह डर यहां की सरकार और नेताओं में नहीं है. इसलिए यहां की सरकार बिजली, पानी, शिक्षा व स्वास्थ्य को आवश्यक मुद्दा मानती ही नहीं है. राज्य में बिजली की स्थिति में सुधार लाने का एकमात्र उपाय है कि सरकार भ्रष्ट तंत्र को संरक्षण देना बंद करे और बिजली का डिस्ट्रीब्यूशन प्रोफेशनल हाथों में सौंप दे. जमशेदपुर इसका एक बेहतरीन उदाहरण है.
कुणाल अजमानी, अध्यक्ष, झारखंड चेंबर

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