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Friday, March 29, 2024

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रांची : मासूमों को भी नहीं छोड़ते डॉक्टर टीका लगा कमाते हैं मोटा मुनाफा

दवा कंपनियां डॉक्टरों को देती हैं टारगेट रांची : दवा व वैक्सीन में ज्यादा मुनाफा होने के कारण डॉक्टर (सभी नहीं) भी इसके कारोबार से जुड़ गये हैं. मुनाफा के चक्कर में मासूम बच्चों को भी नहीं छोड़ते हैं. एमआरपी व वास्तविक कीमत में 30 से 40 फीसदी का मार्जिन होने के कारण शिशु अस्पताल […]

दवा कंपनियां डॉक्टरों को देती हैं टारगेट
रांची : दवा व वैक्सीन में ज्यादा मुनाफा होने के कारण डॉक्टर (सभी नहीं) भी इसके कारोबार से जुड़ गये हैं. मुनाफा के चक्कर में मासूम बच्चों को भी नहीं छोड़ते हैं.
एमआरपी व वास्तविक कीमत में 30 से 40 फीसदी का मार्जिन होने के कारण शिशु अस्पताल व क्लिनिक धड़ल्ले से वैक्सीन का कारोबार कर रहे हैं. हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन का खरीद मूल्य 190 रुपये है, जिसे डॉक्टर अपने क्लिनिक में 771.45 रुपये में लगाते हैं. टाइफाइड वैक्सीन का खरीद मूल्य 832 रुपये है, उसके लिए 1,945 रुपये लिया जाता है. रोटावायरस (डायरिया से बचाव के लिए) का खरीद मूल्य 370 है, लेकिन क्लिनिक पर 729 रुपये लिया जाता है.
राजधानी के एक शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि थोक में ज्यादा वैक्सीन लेने पर अधिक छूट दी जाती है. होलसेल रेट से अतिरिक्त छूट मिलती है.
अब यह डाॅक्टरों की समझ पर निर्भर करता है कि उस पर अभिभावक को छूट दे या एमआरपी पर बेचे. वहीं कंपनियां अपने प्रोडेक्ट का टारगेट भी निर्धारित करती है. एमआरपी से ज्यादा पैसा नहीं लेने के कारण इसे ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट का उल्लंघन नहीं माना जाता है, जिसका फायदा डॉक्टर उठाते हैं.
एमआरपी व वास्तविक कीमत में 30
से 40 फीसदी का होता है मार्जिन
टीका डॉक्टर रेट एमआरपी
निमोकोकल 3,065 3,800
रोटावायरस 370 729
हेपेटाइटिस 887 1,470
चिकनपॉक्स 932 1,740
मेनिंगोकोकल 3,593 4,950
टाइफाइड 832 1,945
हेपेटाइटिस बी 190 771.45
(मल्टीडोज)
डीपीटी,अाइपीवी, 2,878 3,900
हिब, हेपेटाइटिस बी (पेनलेस)
(नोट:थोक मात्रा में लेने पर डॉक्टरों को मिलती है अधिक छूट)
कार्ड में नहीं दिया जाता वैक्सीन के बैच का ब्योरा : राजधानी के अधिकतर क्लिनिक व वैक्सीन हाउस में लगने वाले टीके का पूरा ब्योरा परिजनों को नहीं दिया जाता है. वैक्सीन का बैच नंबर व उसकी उत्पाद तिथि व वैध समाप्त होने की तिथि की जानकारी अभिभावक को नहीं होती है. वैक्सीन कार्ड पर सिर्फ वैक्सीन लगा दिया गया, इसकी जानकारी दी जाती है.
सरकार तय करे कीमत : दवा कंपनियों द्वारा अधिक एमआरपी लिखने व मुनाफे कमाने के मामले पर डाॅक्टरों का कहना है कि कीमत सरकार को तय करनी है. अगर सरकार को सही मायने में मरीजों को राहत दिलाना है, तो डीपीसीओ में दवाओं की संख्या बढ़ायी जाये.
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