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रांची : सीवरेज-ड्रेनेज का काम लटका, कंपनी टर्मिनेट

रांची : राजधानी के नौ वार्डों (जोन-1) में सीवरेज-ड्रेनेज का काम कर रही कंपनी ज्योति बिल्डटेक को रांची नगर निगम ने टर्मिनेट कर दिया है. साथ ही कंपनी द्वारा बैंक गारंटी के रूप में जमा किये गये नौ करोड़ रुपये भी जब्त कर लिये गये हैं. नगर आयुक्त ने बुधवार को कंपनी को इससे संबंधित […]

रांची : राजधानी के नौ वार्डों (जोन-1) में सीवरेज-ड्रेनेज का काम कर रही कंपनी ज्योति बिल्डटेक को रांची नगर निगम ने टर्मिनेट कर दिया है. साथ ही कंपनी द्वारा बैंक गारंटी के रूप में जमा किये गये नौ करोड़ रुपये भी जब्त कर लिये गये हैं. नगर आयुक्त ने बुधवार को कंपनी को इससे संबंधित पत्र भेज दिया है. पत्र में कंपनी पर काम में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है.
कंपनी को स्पष्ट कर दिया गया है कि अगले महीने उसके द्वारा अब तक किये गये कार्यों का आकलन किया जायेगा, जिसके आधार पर उसे राशि का भुगतान किया जायेगा. अगर कंपनी के पदाधिकारी असेसमेंट के दौरान उपस्थित नहीं रहे, तो नगर निगम एक पक्षीय कार्रवाई करेगा.
इधर, नगर निगम ने सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट का रिवाइज्ड डीपीआर तैयार कराने की कवायद शुरू कर दी है. डीपीआर तैयार होते ही नये सिरे से टेंडर निकाला जायेगा. नये सिरे से डीपीआर बनाने और टेंडर का निष्पादन होने में छह माह से एक साल तक का समय लगेगा. यानी तब तक राजधानीवासियों को सीवरेज-ड्रेनेज के अधूरे कार्य के कारण परेशानी झेलनी पड़ेगी.
ज्योति बिल्डटेक को मिला था काम, नगर निगम ने की कार्रवाई
राजधानी के नौ वार्डों में सीवरेज-ड्रेनेज का काम दिया गया था कंपनी को
नये सिरे से बनेगा डीपीआर, फिर निकलेगा टेंडर, तब तक झेलिए परेशानी
ये कार्य होने थे
वार्ड नंबर एक, दो, तीन, चार, पांच, 32, 33, 34 व 35 में 207 किमी सीवर लाइन बिछायी जानी थी
37 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनना था बड़गांई किशुनपुर में
10 एमएलडी का सीवरेज पंपिंग स्टेशन बनना था कटहल गोंदा कांके रोड में
ज्योति बिल्डटेक को दो साल में पूरा करना था काम लेकिन चार साल में 50 प्रतिशत भी नहीं हो पाया
नगर निगम ने ज्योति बिल्डटेक को वर्ष 2015 में सीवरेज-ड्रेनेज का ठेका दिया था. 359 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 14 नवंबर 2015 को किया था. 24 माह में इस प्रोजेक्ट को पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन चार साल गुजर गये ठेकेदार ने 50 प्रतिशत काम भी नहीं किया. इसके बाद सरकार ने कंपनी को हटाने का निर्देश दिया. इस मामले में जितनी दोषी कंपनी है, उतने ही निगम के अधिकारी व अभियंता भी हैं. क्योंकि, नगर निगम ने कभी कंपनी के कार्यों की मॉनिटरिंग ही नहीं की.

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