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एसएलबीसी व सरकार के बीच बनी सहमति, पूरे झारखंड में कर्ज वसूली अधिकारी की होगी नियुक्ति

रांची : झारखंड में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) यानी खराब कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. आरबीआइ द्वारा चिंता जताने के बाद खराब ऋण वसूली के लिए एक समर्पित कर्ज वसूली अधिकारी (डेडिकेटेड सर्टिफिकेट ऑफिसर) की नियुक्ति करने पर विचार हो रहा है. इसके लिए सेवानिवृत्त किसी अधिकारी को […]

रांची : झारखंड में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) यानी खराब कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. आरबीआइ द्वारा चिंता जताने के बाद खराब ऋण वसूली के लिए एक समर्पित कर्ज वसूली अधिकारी (डेडिकेटेड सर्टिफिकेट ऑफिसर) की नियुक्ति करने पर विचार हो रहा है. इसके लिए सेवानिवृत्त किसी अधिकारी को नियुक्त करने की योजना है. एसएलबीसी और सरकार के बीच इस प्रस्ताव पर चर्चा हो चुकी है.

जल्दी ही सहमति के आसार दिखायी दे रहे हैं. ओएसडी फाइनांस बी.के. सिन्हा को इस काम की जिम्मेदारी दी गयी है, जो सरकार के साथ वार्ता कर मामले को आगे बढ़ायेंगे. प्रस्ताव को पूर्व में चर्चा के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, पर राज्य में एनपीए के चिंताजनक स्थिति में पहुंचने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने इसके समाधान के निर्देश दिए हैं.
अन्य राज्यों में बनाया गया पद
मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में इस मॉडल पर डूबे कर्जों को निकाला जा रहा है. जहां निजी बैंकों की तर्ज पर एक तय कमीशन के मार्जिन पर बैड लोन की वसूली हो रही है. झारखंड में वसूली में मदद के बदले 5 प्रतिशत कमीशन का प्रस्ताव रखा गया है, जो सरकारी खजाने में जमा होगा.
चिंताजनक स्थिति तक बढ़ा खराब कर्ज
राज्य में खराब कर्ज (ग्रास एनपीए) इस बार 5711.86 करोड़ (आरबीआइ के नर्धिारित मानक से कहीं अधिक) चिंताजनक स्थिति तक बढ़ गया है. फंसे कर्ज को निकालने के लिए बैंक लगातार अभियान चला रहे हैं, पर बिना किसी प्रशासनिक मदद के इतनी बड़ी धनराशि की वसूली कर पाना आसान भी नहीं.
बढ़ रहा खराब कर्ज का मर्ज
इस साल की प्रथम तिमाही के दौरान झारखंड के सभी जिलों का कुल फंसे कर्ज में 54 करोड़ का इजाफा हुआ है. लगातार बढ़ रहे खराब कर्ज के कारण ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रह रहा है.
30 सितंबर 2014 3639.98 करोड़
30 सितंबर 2015 4253.88 करोड़
31 दिसंबर 2017 4992.87 करोड़
30 सितंबर 2018 5275.93 करोड़
31 दिसंबर 2018 5657.68 करोड़
30 मार्च 2018 5711.86 करोड़
कर्ज न लौटाने वाले पर कठोर कार्रवाई की मांग
बैंक यूनियन कर्ज वसूली के कानूनों को अपर्याप्त बताते हुए आइपीसी में कठोर कानून को लाने और गैरजमानती धारा लगाने जैसे बदलाव की मांग कर रहे हैं.
कर्ज न लौटाने की आदत ने एनपीए बढ़ाया
कर्ज नहीं लौटाने की आदत और कर्जदारों के आकलन में चूक के चलते बैंकों के लोन को चुकाने को लेकर डिफाल्टरों की संख्या में तेजी से इजाफा होता जा रहा है. बैंकों के कारोबार में खराब कर्ज सबसे ज्यादा सीएनटी एक्ट, रियल इस्टेट, सरकार प्रदत्त योजनाओं, लौह इस्पात, माइनिंग, लघु व मध्यम ऋण में जा रहा है.
कर्ज न लौटाने वालों में रांची टॉप पर
फंसे और डूबते कर्ज के मामले में राजधानी टॉप पर है. इसके बाद क्रमश: ईस्ट सिंहभूम, दुमका, देवघर, बोकारो, गिरिडीह, रामगढ़, हजारीबाग, पलामू का नंबर आता है. इनके मुकाबले गोड्डा, पाकुड़, लातेहार, सिमडेगा के लोग कर्ज कम लेने और उसे लौटाने में ज्यादा ईमानदार रहे.

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