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रांची : शशिनाथ झा के अवशेष सुरक्षित रखें: हाइकोर्ट

रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की अदालत ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद शिबू सोरेन के पीएस रहे शशिनाथ झा के अवशेष के अंतिम संस्कार को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआइ को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि यदि अवशेष नष्ट नहीं किया […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की अदालत ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद शिबू सोरेन के पीएस रहे शशिनाथ झा के अवशेष के अंतिम संस्कार को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआइ को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि यदि अवशेष नष्ट नहीं किया गया है, तो उसे नष्ट नहीं किया जाये. अवशेष को सुरक्षित रखा जाये. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 19 अगस्त की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता जेजे सांगा ने अदालत को बताया कि 25 मई 1994 को दिल्ली कार्यालय से शिबू सोरेन के पीएस शशिनाथ झा घर के लिए निकले, लेकिन वे घर नहीं पहुंचे. झा के गायब होने पर उनके भाई अमरनाथ झा ने नोर्थ एवेंन्यू थाना, दिल्ली में शिकायत की थी, जो बाद में कांड संख्या 168/94 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी.
दिल्ली पुलिस द्वारा सही तरीके से जांच नहीं करने पर शशिनाथ की मां प्रियंबदा ने दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर की. 16 अक्तूबर 1996 को हाइकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआइ को साैंप दिया. सीबीआइ ने 15 अगस्त 1998 को रांची के पिस्का बगान से एक शव बरामद किया, जिसे शशिनाथ झा का बताया गया.
उस वक्त प्रार्थी हबीबुल्लाह अंसारी ने शव को अपने भाई मो अलीम का बताते हुए सीबीआइ से उसे साैंपने की गुहार लगायी, लेकिन सीबीआइ ने प्रार्थी के दावे को नहीं माना. दिल्ली कोर्ट में मामले के ट्रायल के दाैरान शशिनाथ झा की मां-भाई ने अपनी गवाही में भी कहा था कि शव शशिनाथ का नहीं है. फोरेंसिक जांच में भी यह बात स्पष्ट हो गयी थी. श्री सांगा ने उक्त अवशेष के अंतिम संस्कार के लिए साैंपने का आग्रह किया.
साथ ही मो अलीम की हत्या की प्राथमिकी दर्ज करने तथा शव का अवशेष नष्ट नहीं करने का भी आग्रह किया गया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी हबीबुल्लाह अंसारी ने रिट याचिका दायर कर शव के अवशेष व अन्य बरामद सामान के अंतिम संस्कार के लिए साैंपने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट से बरी हो चुके हैं शिबू सोरेन
अपने निजी सचिव शशिनाथ झा के अपहरण और हत्या के मामले से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन सुप्रीम कोर्ट से बरी हो चुके हैं. तब सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन की खंडपीठ ने दिल्ली हाइकोर्ट के 22 अगस्त 2007 के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए फैसले को बरकरार रखा था. दिल्ली की निचली अदालत ने पांच दिसंबर 2006 को मामले में शिबू सहित चार लोगों को उम्र कैद की सजा दी थी.
शशि नाथ झा के दोनों बच्चों को पांच लाख व एक लाख उनकी मां को देने का आदेश भी दिया था. बाद में दिल्ली हाइकोर्ट ने शिबू सोरेन को हत्याकांड में दोषी करार देने के निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया था. मामले में चार अन्य लोगों नंद किशोर मेहता, शैलेंद्र भट्टाचार्य, पशुपति नाथ मेहता व अजय कुमार मेहता को भी बरी कर दिया था.
शिबू सोरेन के पीएस थे शशिनाथ झा
प्रार्थी ने पिस्का से बरामद शव को भाई का बताया है
मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी

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