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रांची : राजधानी के ब्लड बैंकों में खून की कमी, खून चाहिए, तो दान करना पड़ेगा

लोग भी जागरूक नहीं इंसान की रगों में दौड़नेवाले खून को किसी लैब में तैयार नहीं किया जा सकता है. अगर किसी व्यक्ति को आपातकाल में खून जरूरत होती है, तो उसकी पूर्ति कोई दूसरा व्यक्ति रक्त देकर ही कर सकता है. सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि झारखंड को हर साल तीन लाख 50 […]

लोग भी जागरूक नहीं
इंसान की रगों में दौड़नेवाले खून को किसी लैब में तैयार नहीं किया जा सकता है. अगर किसी व्यक्ति को आपातकाल में खून जरूरत होती है, तो उसकी पूर्ति कोई दूसरा व्यक्ति रक्त देकर ही कर सकता है. सरकारी आंकड़े ही बताते हैं कि झारखंड को हर साल तीन लाख 50 हजार यूनिट खून की जरूरत पड़ती है, लेकिन हम इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं.
राजधानी रांची में राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के अलावा कई बड़े निजी अस्पताल भी हैं, जहां पूरे राज्य से इलाज के लिए मरीज पहुंचते हैं. ऐसे में यहां खून की खपत ज्यादा होना लाजिमी है, लेकिन जरूरत के हिसाब से यहां खून उपलब्ध नहीं हो पाता है. कई बार, तो ब्लड बैंक में कुछ ब्लड ग्रुप का यूनिट शून्य तक पहुंच जाता है. खून के लिए लोग दर-दर भटकते हैं. जाहिर है कि राज्य के लोगों में रक्तदान को लेकर जागरूकता का अभाव है. इस समस्या का मात्र एक ही समाधान है, खून चाहिए, तो दान करना पड़ेगा…
राजीव पांडेय
रांची : झारखंड में खून की जितनी डिमांड है, उसके अनुसार उपलब्धता काफी कम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार किसी राज्य की जितनी जनसंख्या होती है, उसका एक फीसदी खून की जरूरत राज्य में पड़ती है.
जनसंख्या के हिसाब से झारखंड में हर साल 3,50,000 यूनिट रक्त की जरूरत है. सरकारी आंकड़ों की मानें, तो वर्ष 2017-18 में 1,90,000 यूनिट खून ही जमा हो पाया था. वर्ष 2018-19 में इसमें 34 हजार यूनिट की बढ़ोतरी हुई और राज्य में 2,24,000 यूनिट रक्त एकत्र हुआ है. हालांकि, स्थिति अब भी चिंताजनक है. राज्य के कई ऐसे जिले हैं, जहां ब्लड बैंक नहीं हैं. इस कारण वहां रक्तदान नहीं होता है. ऐसे में मरीजों को जब खून की आवश्यकता होती है, तो उन्हीं जिलों पर निर्भर रहना पड़ता है, जहां ब्लड बैंक की सुविधा है.
…इसलिए है खून का संकट
राज्य में खून की कमी को देखते हुए सरकार ने आदेश जारी किया था : निजी अस्पताल अपने यहां भर्ती मरीजों को खून जुगाड़ के लिए इधर-उधर नहीं दौड़ायेंगे, बल्कि वे अपने स्तर से रक्तदान शिविर आयोजित कर खून का स्टॉक बढ़ायें. अगर अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं है, तो शहर के किसी ब्लड बैंक से अनुबंध कर वहां अपना खून एकत्र करें और आवश्यकतानुसार मरीज को खून उपलब्ध करायें. लेकिन, सरकार के इस आदेश का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है.
कुछ अस्पतालों ने ब्लड डोनेश कैंप आयोजित कर खानापूर्ति की, लेकिन कई अस्पतालों ने अभी तक एक भी रक्तदान शिविर नहीं आयोजित किया. इसे देखते हुए रांची जिला के सिविल सर्जन ने कई बार निजी अस्पतालों को आदेश पत्र जारी किया. आदेश पत्र में यह भी निर्देश दिया गया है कि निजी अस्पताल अपने स्तर से आयोजित किये जानेवाले रक्तदान शिविर और उसमें एकत्रित खून के आंकड़े भी सिविल सर्जन कार्यालय को दें. लेकिन, निजी अस्पतालों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है.
रक्तदान करने वाले राज्यकर्मियों को साल में चार दिन का विशेष अवकाश : राज्य के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सरकारी कर्मचारियों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने का निर्णय लिया है.
10 सितंबर 2018 को राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है कि कार्य अवधि के दिन रक्तदान करनेवाले लोगों को साल में चार दिन का विशेष अवकाश दिया जायेगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी.
आनंद पसारी के जज्बे को सलाम, 119 बार कर चुके हैं रक्तदान
रांची के रहने वाले सीए आनंद पसारी रक्तदाताओं के लिए आदर्श हैं. अानंद पसारी ने अबतक 119 बार रक्तदान किया है. प्रभात खबर को उन्होंने बताया कि उनकी बहन से रक्तदान करने की प्रेरणा मिली. वह कहती थीं कि रक्तदान ही एक एेसी चीज है, जो अपने शरीर से किया गया दान होता है. पैसा रुपया तो हम बाजार से कमाते हैं, और उसे दान कर देते हैं.
उन्होंने बताया कि छह साल पहले जब उनकी पत्नी बहुत बीमार थी, तो एक झटके में 40 यूनिट खून का इंतजाम हो गया, क्याेंकि मैं स्वयं रक्तदान कर लोगाें की जान बचाने में काम किया है. उस समय मुझे लगा कि रक्तदान कितना जरूरी होता है. आपका खून अगर किसी व्यक्ति के शरीर में पहुंचेगा, तो वह भी अच्छा इंसान बनेगा. वह रक्तदान करते हैं और इसके साथ हजारों लोगों को जागरूक भी करते हैं. उनका मानना है कि इसमें से 10 फीसदी लोग भी रक्तदान करने पहुंच गये, तो संख्या बढ़ जायेगी.
रक्तदान में राज्य के पुरुष आगे, रांची में महिलाएं
राज्य के पुरुष रक्तदाताओं की संख्या ज्यादा है. वर्ष 2018-19 शिविर लगाकर 75,896 यूनिट खून एकत्र हो पाया. इनमें 72,129 पुरुष रक्तदाता शामिल थे, जबकि महिला रक्तदाताओं की संख्या 3,367 ही थी. इधर, रांची में महिलाएं रक्तदान में पुरुषों से आगे हैं. वर्ष 2018-19 में रांची में आयोजित शिविरों में 1408 महिलाओं ने रक्तदान किया.
संत जेवियर व बीआइटी के विद्यार्थी रक्तदान में आगे
राजधानी में कुछ शिक्षण संस्थान भी रक्तदान करने में आगे हैं. संत जेवियर कॉलेज रांची और बीआइडी मेसरा भी ऐसे ही शिक्षण संस्थानों में शामिल हैं. बीआइटी मेसरा के विद्यार्थी हर 350 से ज्यादा यूनिट रक्तदान करते है. वहीं, संत जेवियर कॉलेज के विद्यार्थी साल में 850 से ज्यादा यूनिट रक्तदान करते हैं. वहीं, शहर के अन्य शिक्षण संस्थान इस मामले में काफी पीछे हैं.
राज्य में तीन मेडिकल कॉलेज हैं, जहां ब्लड बैंक की सुविधा है. राज्य का सबसे बड़ा ब्लड बैंक रिम्स में वर्ष 2018-19 में 28,304 यूनिट खून एकत्र किया गया. पाटलिपुत्रा मेडिकल कॉलेज धनबाद में 13,221 यूनिट खून एकत्र हुआ. वहीं, एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर के ब्लड बैंक में 5569 यूनिट खून एकत्र किया गया.
क्या कहते हैं आयोजक
रक्तदान करना जीवन का सबसे बड़ा पुण्य का काम है, लेकिन लोग जागरूकता व मिथ्या के कारण रक्तदान करने से बचते हैं. जागरूक करना और लोगों को शिविर तक लाना कठिन कार्य है. समझदार व पढ़े-लिखे लोगों को समझाना थोड़ा आसान होता है, लेकिन अन्य को समझाने में बहुत कठिनाई होती है. रक्तदान करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है, उसे कई बीमारियों की जांच नि:शुल्क हो जाती है. अस्पतालाें को रक्तदान करना चाहिए, जिससे उनके अस्पताल में भर्ती लोगों को खून के लिए भटकना नहीं पड़े.
अतुल गेरा, लाइफ सेवर्स
शिक्षित लोग अपने आप रक्तदान के लिए आगे अा जाते हैं. कुछ संस्था व प्रबुद्ध लोग जन्मदिन, सालगिरह व पुण्यतिथि पर रक्तदान शिविर आयोजित कर खून एकत्र करते हैं. स्कूल कॉलेज में हम जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं, लेकिन ज्यादा लाभ नहीं मिलता है. जमशेदपुर में हमारी संस्था का हेड ऑफिस है, वहां तो रक्तदाता आकर खून देने के लिए दबाव बनाते हैं. टाटा स्टील और जिला प्रशासन वहां मदद करती है, जो रांची में देखने को नहीं मिलता है.
ज्याेति रंजन काली, वॉलेंट्री ब्लड डोनेशन एसोसिएशन
राजधानी में तीन संगठन जो आयोजित करते हैं कैंप
राजधानी में तीन संगठन रक्तदान शिविर आयोजित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं. लाइफ सेवर्स, झारखंड थैलेसिमिया फाउंडेशन और वॉलेंट्री ब्लड डोनर एसोसिएशन रांची ब्रांच के सदस्य रक्तदान शिविर आयोजित करते रहते हैं. इसके अलावा कुछ सामाजिक संगठन व संस्थाएं बीच-बीच में रक्तदान शिविर आयोजित करती रहती हैं.
जमशेदपुर से पूरे राज्य को सीखने की जरूरत
जमशेदपुर में 39,401 रक्तदाताओं ने दिया खून
जमशेदपुर ब्लड बैंक में वर्ष 2018-19 में 53,916 यूनिट खून एकत्र हुआ, जिसमें से 39401 यूनिट खून ब्लड डाेनेशन कैंप से एकत्र किये गये. इन रक्तदाताओं में 38,444 पुरुष और 957 महिलाएं शामिल हैं. जमशेदपुर राज्य का पहला ब्लड बैंक है, जहां सबसे ज्यादा रक्तदान शिविर आयोजित कर रक्त एकत्र किया जाता है.
मेरे पिता की तबीयत खराब है. वह रिम्स में भर्ती हैं, इसलिए रक्तदान कर रहा हूं. पहली बार रक्तदान किया. खून देने के बाद महसूस ही नहीं हुआ. अब लगातार रक्तदान करूंगा.
सिदाम महतो, सोनाहातू
हम रक्तदान करते रहे हैं, इसलिए भय नहीं है. हमारे परिवार के एक सदस्य बीमार हैं, इसलिए खून देने आया हूं. खून दान नहीं करेंगे, ताे खून आयेगा कहां से?
सत्येंद्र सिंह, धुर्वा
खून के लिए बहुत परेशानी हो रही है. सुबह से नंबर लगाकर खड़ा हूं, लेकिन खून नहीं मिला है. खून देने के बाद उसकी जांच होगी, तब जाकर खून मिलेगा.
महावीर
सुबह 10 बजे से खून देकर बैठे हैं. एक पर्ची दे दी गयी है, जिसमें नंबर लिखा है. खून की ज्यादा जरूरत है, लेकिन कहा गया है कि खून के लिए समय देना पड़ेगा.
निर्मल उरांव
खून के लिए बहुत दिक्कत होती है. खून देने के बाद भी खून नहीं मिलता है. सुबह में ब्लड डोनेट करने पर दोपहर में खून देने के लिए बुलाया गया है.
सरताज कुरैशी
वर्ष 2018-19 के सरकारी
आंकड़ों के अनुसार

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