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Thursday, March 28, 2024

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रांची : मार्च से नहीं हो सका उत्पादन, अब 2020 का लक्ष्य

तकनीकी कारणों से पूरा नहीं हो पाया एनटीपीसी नोर्थ कर्णपुरा प्लांट का निर्माण कार्य रांची : एनटीपीसी के नोर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट से मार्च 2019 का डेडलाइन तकनीकी वजहों से पूरा नहीं हो सका है. अब मार्च 2020 तक का लक्ष्य रखा गया है. अभी इस पावर प्लांट का निर्माण कार्य चल रहा है. गौरतलब […]

  • तकनीकी कारणों से पूरा नहीं हो पाया एनटीपीसी नोर्थ कर्णपुरा प्लांट का निर्माण कार्य
रांची : एनटीपीसी के नोर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट से मार्च 2019 का डेडलाइन तकनीकी वजहों से पूरा नहीं हो सका है. अब मार्च 2020 तक का लक्ष्य रखा गया है. अभी इस पावर प्लांट का निर्माण कार्य चल रहा है. गौरतलब है कि नोर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट से 500 मेगावाट के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा किया जा चुका है.
जिसमें मार्च 2019 से बिजली देने की बात कही गयी थी. पर तकनीकी कारणों से पावर प्लांट का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका. अब एक साल बाद ही बिजली देने की बात कही जा रही है.
मार्च 2019 से झारखंड बिजली वितरण निगम को देनी थी 500 मेगावाट बिजली
20 वर्ष से बन रहा है पावर प्लांट
एनटीपीसी के 1960 मेगावाट के नोर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट का शिलान्यास छह मार्च 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था. तब से लेकर अब तक पावर प्लांट के निर्माण में कई बाधाएं आयी. हालांकि इस समय पावर प्लांट का निर्माण कार्य जोरों पर है. वर्तमान में एनटीपीसी निर्माण का 65 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है.
दो चिमनी बनकर तैयार हो चुकी है. वहीं तीसरी चिमनी भी लगभग तैयार हो चुकी है. एनटीपीसी द्वारा पावर प्लांट के निर्माण में अब तक 7300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये जा चुके हैं. पावर प्लांट निर्माण में पांच हजार से ज्यादा लोग कार्य कर रहे हैं.
कई बार प्लांट का निर्माण कार्य रुका
छह मार्च 1999 को शिलान्यास के बाद जैसे ही भूमि अधिग्रहण का कार्य आगे बढ़ा, एनटीपीसी निर्माण पर मानो ग्रहण लग गया. कोल मंत्रालय ने अधिगृहित जमीन के नीचे कोयला होने की बात कह कर निर्माण पर रोक लगा दिया था, जिसके बाद रैयतों ने टंडवा से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक आंदोलन किया.
रैयतों के आंदोलन के आगे कोल मंत्रालय को झुकना पड़ा और पावर प्लांट को हरी झंडी मिल गयी. हरी झंडी मिलते ही 14 हजार करोड़ रुपये के इस पावर प्लांट के निर्माण का जिम्मा भेल कंपनी को आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से दे दिया गया.
हाल के दिनों में प्लांट निर्माण का कार्य तेजी से शुरू किया गया, जो अब तक चल रहा है. एनटीपीसी के सूत्रों ने बताया कि यह सही है कि कुछ तकनीकी वजहों से मार्च 2019 तक का टारेगट पूरा नहीं हो सका है. पर प्रयास चल रहे हैं कि अगले वर्ष तक पहले चरण 660 मेगावाट की यूनिट चालू हो जाये. इसी से झारखंड को बिजली दी जायेगी.
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