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रांची : वन भूमि मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी सरकार, जानिए क्‍या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की जानकारी ली रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि राज्य के जनजातीय समुदाय एवं अन्य परिवारों को विस्थापित नहीं होने दिया जायेगा. सरकार वनों पर आश्रित जनजातीय समुदाय के अलावा अन्य परिवारों के प्रति भी समर्पित है. खेलगांव में बैठक कर मुख्यमंत्री ने वनों में रहनेवाले […]

मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की जानकारी ली
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि राज्य के जनजातीय समुदाय एवं अन्य परिवारों को विस्थापित नहीं होने दिया जायेगा. सरकार वनों पर आश्रित जनजातीय समुदाय के अलावा अन्य परिवारों के प्रति भी समर्पित है. खेलगांव में बैठक कर मुख्यमंत्री ने वनों में रहनेवाले लोगों से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी ली. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में पुनर्विचार याचिका दायर करने के निर्देश दिये हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को दिये अपने आदेश में कहा है कि जिन लोगों के पट्टे रद्द कर दिये गये हैं, उन्हें 24 जुलाई 2019 को होनेवाली अगली सुनवाई से पहले वनभूमि से हटाया जाये. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य आदेश में झारखंड समेत 21 राज्य सरकारों से कहा है कि जिन लोगों को पट्टा देने का मामला लंबित है, वैसे मामलों का निपटारा अगले चार माह में करके सुप्रीम कोर्ट को सूचित करें.
आदेश में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया को देश भर के जंगलों का एरियल सर्वे करके इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करने की बात भी है. गौरतलब है कि झारखंड में अब तक वन अधिकार अधिनियम-2006 के तहत वन पट्टा के लिए अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के कुल 107187 आवेदन आये. इनमें से 27809 आवेदन रद्द हुए हैं. यानी 79378 जनजातीय लोगों को वन पट्टा जारी हुआ है. वहीं, गैर आदिवासियों के कुल 3569 आवेदन में से 298 रद्द किये गये हैं. शपथ पत्र के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी वाइल्ड लाइफ फर्स्ट व अन्य बनाम भारत सरकार के मामले में झारखंड सरकार ने दी है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश : सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड समेत 21 राज्यों के उन आदिवासियों व वनवासियों को बेदखल करने को लेकर उठाये गये कदमों के बारे में उसे अवगत कराने को कहा है, जिनका वन भूमि पर दावा खारिज कर दिया गया था. साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ है, तो कारण बतायें. उक्त राज्यों के मुख्य सचिव को हलफनामा दायर कर कारण बताने को कहा है.
बोले सीएम : राज्य के जनजातीय समुदाय व अन्य परिवारों को विस्थापित नहीं होने देंगे
मार्च से जल सहिया को एक हजार रुपये मानदेय
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जल सहिया को एक हजार रुपये मानदेय देने की घोषणा की. कहा कि मार्च महीने से सभी 29,000 सहिया के बैंक एकाउंट में एक हजार रुपये डीबीटी के माध्यम से चला जायेगा. इसके अलावा सहियाओं को अलग से प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी.
दास पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) एवं राष्ट्रीय ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राज्य स्तरीय जल सहिया सम्मेलन में बोल रहे थे.
खेल गांव स्थित स्टेडियम परिसर में मुख्यमंत्री ने कहा : आनेवाले समय में जल सहिया बहनों को प्लंबर की ट्रेनिंग दी जायेगी. इससे घर-घर पाइपलाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने की महत्वकांक्षी योजना में महिलाओं को रोजगार मिल सकेगा. जल सहिया बहनों और रानी मिस्त्रियों ने पूरे देश में झारखंड का मान बढ़ाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के सपने को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभायी है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
जिन लोगों के वन अधिकार अधिनियम-2006 के तहत वन पट्टे रद्द कर दिये गये हैं, उन्हें 24 जुलाई 2019 को होनेवाली अगली सुनवाई से पहले वन भूमि से हटाया जाये

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