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बाबूलाल ने भाजपा को बताया बेईमानों की पार्टी, कहा- 10वीं अनुसूची की जरूरत क्या, भाजपा जला दे

रांची : झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भाजपा को बेईमानों की पार्टी कही है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने 10वीं अनुसूची का मजाक उड़ाया है. जब भाजपा को मनमानी ही करनी है, तो फिर 10 वीं अनुसूची की जरूरत क्या है, भाजपा जला दे इसे. संविधान का उल्लंघन कर स्पीकर ने छह […]

रांची : झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भाजपा को बेईमानों की पार्टी कही है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने 10वीं अनुसूची का मजाक उड़ाया है. जब भाजपा को मनमानी ही करनी है, तो फिर 10 वीं अनुसूची की जरूरत क्या है, भाजपा जला दे इसे. संविधान का उल्लंघन कर स्पीकर ने छह विधायकों के मामले में फैसला दिया है.
पिछले दिनों दलबदल पर आये फैसले पर उन्होंने बरसते हुए कहा कि स्पीकर के फैसले को चुनौती दी जायेगी. उन्‍होंने कहा कि जल्द ही अपने छह विधायकों के दलबदल कर भाजपा में शामिल होने के मामले को कोर्ट में चुनौती देंगे. बाबूलाल झाविमो कार्यालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि विलय के फैसले को लेकर वे जनता की अदालत में भी जायेंगे.
दलबदल मामले में न्यायाधिकरण में स्पीकर दिनेश उरांव द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के छह विधायकों के विलय को सही ठहराने के फैसले पर पूर्व सीएम व झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने दो टूक कहा कि यह फैसला असंवैधानिक और 10वीं अनुसूची की मूल भावनाओं के खिलाफ है.
भाजपा पूरे प्रदेश में लोकतांत्रिक मर्यादाओं का हनन कर रही है. उन्होंने कहा कि 10वीं अनुसूची की मूल भावना है कि जनता जिस रूप में जनप्रतिनिधि को चुनती है, उसे पांच साल तक उसी रूप में रहना होता है. यानी जिस पार्टी का विधायक या सांसद चुना गया, उसे उसी पार्टी का माना जायेगा. पर स्पीकर ने भाजपा के इशारे पर 10वीं अनुसूची की मूलभावना के खिलाफ विधायकों के विलय को मान्यता दे दी.
भाजपा द्वारा चुनाव आयोग में झाविमो की मान्यता समाप्त करने की मांग पर श्री मरांडी ने कहा कि उनके ऐसा कहने से कुछ नहीं होता.
किसी के कहने से वर्षों से स्थापित पार्टी का अस्तित्व खत्म नहीं हो जाता. हम ऊपरी अदालत में जायेंगे, हमें न्याय मिलेगा. ऊपरी अदालतों ने ऐसे कई फैसले को निरस्त किया है. मुझे कोर्ट पर पूरा भरोसा है.
हम वकीलों से बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि झाविमो का विलय कैसे हो सकता है, जब स्पीकर खुद लिखते हैं कि झाविमो के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और झाविमो के सदन में नेता प्रदीप यादव की याचिका पर सुनवाई हुई. यदि पार्टी का विलय होता, तो पार्टी का रिजोल्यूशन कहां है.
उन्होंने कहा कि विलय होता, तो स्पीकर हमारा संविधान देखते. चार साल तक फिर क्या किये वो. सबको बेवकूफ समझते हैं क्या वो. उन्होंने कहा कि जिस राह पर भाजपा चल रही है, अानेवाले समय में दूसरी पार्टियां जब ऐसा करेंगी, तो वह तड़पेगी. कानून बनाने वाली विधानसभा ही कानून तोड़ कर फैसला सुनाती है, तब कोर्ट, थाना, पुलिस, प्रशासन का मतलब क्या रह जायेगा. लोग कहां से न्याय की आस रखेंगे. भाजपा ने लोकतंत्र का मखौल उड़ा कर स्पीकर के माध्यम से फैसला दिलाया है.
फैसले को राजनीति से प्रेरित बताते हुए बाबूलाल ने कहा कि भाजपा और सरकार के दबाव में ही यह फैसला आया है. शुरू से ही भाजपा की नजर झाविमो पर रही है. पद और पैसा का प्रलोभन देकर उसने हमारे छह विधायकों को भाजपा में शामिल कराया. इनमें से दो मंत्री और तीन बोर्ड-निगमों के शीर्ष पद पर हैं. क्या भाजपा के पास योग्य विधायक नहीं थे, स्पष्ट है, खेल हुआ है.

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