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रांची : 95 फीसदी सिर दर्द जानलेवा नहीं

रांची : रिम्स के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ डीके झा ने कहा कि 95 फीसदी सिर का दर्द जानलेवा नहीं होता है. मरीज समय पर विशेषज्ञ डाॅक्टर के पास पहुंच जाये, तो कुछ मामूली दवा से ठीक हो सकता है. अक्सर लोग सिर दर्द में दवा दुकान से दवा खरीदकर खा लेते हैं. […]

रांची : रिम्स के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ डीके झा ने कहा कि 95 फीसदी सिर का दर्द जानलेवा नहीं होता है. मरीज समय पर विशेषज्ञ डाॅक्टर के पास पहुंच जाये, तो कुछ मामूली दवा से ठीक हो सकता है.
अक्सर लोग सिर दर्द में दवा दुकान से दवा खरीदकर खा लेते हैं. इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि बीमारी बढ़ती चली जाती है और इसका साइड इफेक्ट भी होता है. वे मंगलवार को रिम्स में आयोजित क्लिनिकल सोसाइटी की बैठक में बोल रहे थे.
डॉ झा ने कहा कि पांच फीसदी मामले में डॉक्टर व मरीज दोनों को चिंता करनी चाहिए. पांच फीसदी मामले में सिर दर्द ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन टीबी आदि के कारण होता है. अनावश्यक दर्द की दवा खाने से किडनी पर भी असर पड़ता है. माइग्रेन मुख्यत: दो प्रकार का होता है, जिसमें माइग्रेन व टेंशन हेडेक शामिल हैं. 20 फीसदी मरीज में यह दोनों प्रकार की समस्या होती है.
माइग्रेन से बचाव के लिए धूम्रपान व शराब से बचना चाहिए. माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को उपवास नहीं करना चाहिए, पूरी नींद लेनी चाहिए व अनावश्यक मानसिक तनाव नहीं लेना चाहिए. बैठक में निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह, वरिष्ठ सर्जन डॉ आरपी श्रीवास्तव, न्यूरो के विभागाध्यक्ष डाॅ अनिल कुमार, इएनटी के विभागाध्यक्ष डॉ पीके सिंह, डाॅ सीबी सहाय, डॉ मनोज कुमार, डॉ संजय कुमार सिंह, डॉ अंशुल कुमार, डॉ आरके चौधरी, डॉ प्रवीण श्रीवास्तव, डॉ प्रकाश कुमार आदि मौजूद थे.

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