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”बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ”: कोडरमा का लिंगानुपात हरियाणा से भी खराब, फिर भी पुरस्कार

विकासकोडरमा : बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान (बीबीबीपी) के तहत इफेक्टिव कम्यूनिटी इंगेजमेंट को लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित कोडरमा में हाल के वर्षों में लड़के-लड़कियों के लिंगानुपात में भारी कमी आयी है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कोडरमा को पुरस्कार के लिए चयनित किये जाने के बीच पड़ताल में यह बात सामने आयी […]

विकास
कोडरमा :
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान (बीबीबीपी) के तहत इफेक्टिव कम्यूनिटी इंगेजमेंट को लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित कोडरमा में हाल के वर्षों में लड़के-लड़कियों के लिंगानुपात में भारी कमी आयी है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कोडरमा को पुरस्कार के लिए चयनित किये जाने के बीच पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि जिले में हाल के वर्षों में लड़के-लड़कियों का अनुपात तेजी से गिरा है.
हालात इतने खराब हो गये हैं कि स्वास्थ्य विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक इसे चिंताजनक स्थिति बता रहे हैं. वर्तमान आंकड़े के अनुसार कोडरमा की तुलना लिंगानुपात में सबसे खराब माने जानेवाले राज्य हरियाणा से भी नीचे की जा सकती है. पूरा आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न स्रोतों के अध्ययन के बाद सामने आया है.
ऐसे में बीबीबीपी अभियान की सफलता को लेकर चल रहे कार्यक्रम व इससे पहले हुए प्रयास पर सवाल उठ रहे हैं. कोडरमा का चयन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बीबीबीपी अभियान के तहत मांगी गयी विस्तृत कार्रवाई/उपलब्धि की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है.
रिपोर्ट में यह दर्शाया गया है कि 2017-18 (अप्रैल से नवंबर) में कोडरमा का लिंगानुपात 825/1000 था, जो 2018-19 (अप्रैल से नवंबर) में कुछ सुधर कर 829/1000 हो गया. पर इसके पीछे के पूरे आंकड़ों पर गौर करें, तो कोडरमा की स्थिति पहले से कहीं ज्यादा खराब हुई है.
बात अगर 2011 जनगणना के आधार पर करें, तो उस समय के अनुसार कोडरमा में लिंगानुपात 950/1000 था. इससे पहले 2000 में यह अनुपात 1000/1001 था. पिछले करीब 17 वर्षों में लिंगानुपात का आंकड़ा 814/1000 पर आ गया है. रिपोर्ट में लिये गये आंकड़े एक चुनिंदा समय अंतराल के हैं.
ऐसे में यह साफ है कि लोग बेटा-बेटी में फर्क का सोच मिटा नहीं पा रहे हैं और अधिकतर लोगों की चाहत अब भी बेटे की है. इसमें गैरकानूनी तरीके से होने वाली भ्रूण जांच भी सहायक बन रही है.
हालांकि, जिले में हाल के वर्षों में भ्रूण जांच व भ्रूण हत्या का मामला खुल कर सामने नहीं आया है, पर स्थितियां खुद बता रही हैं कि इस पर सोचा नहीं गया, तो आनेवाला दिन और खराब हो सकता है.
हरियाणा से भी खराब स्थिति में पहुंच गया जिला
स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआइएस) के आंकड़ों को मानें, तो कोडरमा की स्थिति हरियाणा से भी अधिक खराब हो गयी है. रिपोर्ट के अनुसार कोडरमा का 2017-18 का लिंगानुपात 814/1000 है.
यह आंकड़ा अप्रैल 2017 से मार्च 2018 के बीच का है. यानी इस अवधि में 9813 लड़कों ने जन्म लिया, जबकि इसके विपरीत 7992 लड़कियों का ही जन्म हुआ. अस्पतालों से मिले लाइव बर्थ रिकॉर्ड के आधार पर 2017-18 में 18236 बच्चों ने जन्म लिया. इसमें 10055 लड़के व 8181 लड़कियां शामिल हैं.
इसका अनुपात भी 814 है. वहीं इसी समय के जन्म निबंधन के आंकड़ा को देखें, तो इसके अनुसार लिंगानुपात 899 का निकलता है. 2017-18 में 11310 जन्म निबंधन हुए. इसमें 5956 लड़के व 5354 लड़कियों का निबंधन शामिल है.
हर वर्ष कम जन्म ले रही लड़कियां
एचएमआइएस की रिपोर्ट के अनुसार कोडरमा में हर वर्ष लड़कों की अपेक्षा लड़कियां कम जन्म ले रही हैं. 2010-11 में कुल जन्मे 12789 बच्चों में से 6526 लड़के व 6263 लड़कियां थीं, जबकि 2011-12 में कुल 14812 बच्चों का जन्म हुआ था, जिसमें 7982 लड़के व 6830 लड़कियां थीं. वहीं 2012-13 में कुल जन्मे 16174 बच्चों में से 8614 लड़के व 7560 लड़कियां शामिल थी.
इसके बाद लगातार लड़कियों के जन्म दर में कमी आती गयी. 2013-14 में कुल 16321 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें 8698 लड़के व 7623 लड़कियां थीं. 2014-15 की बात करें, तो इस वर्ष कुल 17222 बच्चों का जन्म हुआ था, जिसमें 9202 लड़के व 8020 लड़कियां थीं. 2015-16 में कुल 16258 जन्म में से 8695 लड़के व 7563 लड़कियां थीं, जबकि वर्ष 2016-17 में स्थिति और खराब हो गयी और कुल 16927 जन्मे बच्चों में से 9126 लड़के व 7801 लड़कियां थीं.
आम लोगों को सोच बदलनी होगी. स्थिति में सुधार को लेकर सीएस के साथ ही डॉक्टरों व अधिकारियों को कई निर्देश दिये गये हैं. किसी भी हाल में भ्रूण जांच व हत्या न हो, इसकी जांच के निर्देश दिये गये हैं.
भुवनेश सिंह, डीसी, कोडरमा

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