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साइबर जागरूकता अभियान : फोन पर एकाउंट व एटीएम कार्ड की नहीं दें जानकारी

प्रभात खबर कार्यालय में रांची एसएसपी व साइबर डीएसपी ने लोगों के सवालों के दिये जवाब रांची : रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता और साइबर डीएसपी यशोधरा ने शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में साइबर अपराध से जुड़े मामले को लेकर लोगों के सवालों के जवाब दिये. एसएसपी ने कहा कि साइबर अपराधी रोज-ब-रोज नये-नये […]

प्रभात खबर कार्यालय में रांची एसएसपी व साइबर डीएसपी ने लोगों के सवालों के दिये जवाब
रांची : रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता और साइबर डीएसपी यशोधरा ने शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में साइबर अपराध से जुड़े मामले को लेकर लोगों के सवालों के जवाब दिये. एसएसपी ने कहा कि साइबर अपराधी रोज-ब-रोज नये-नये तरीके आजमा कर लोगों की गाढ़ी कमाई उड़ा रहे है. इससे बचाव का सबसे अच्छा उपाय है कि आप सतर्क रहें.
एसएसपी ने कहा कि बैंक और बीमा कंपनियां कभी भी कॉल करके उपभोक्ता का बैंक से जुड़ा डिटेल जैसे एटीएम कार्ड का नंबर, पिन नंबर, ओटीपी नंबर, चेक नंबर, डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड का नंबर आदि नहीं मांगता. अगर कोई व्यक्ति बैंक अधिकारी या पुलिसवाला बनकर आपसे इस तरह की कोई भी जानकारी मांगता हैै, तो आप उसे कभी भी नहीं दें.
तत्काल जिस नंबर से आपको कॉल आया है, उस नंबर को नोट कर डायल 100 पर कॉल करें और उक्त नंबर की जानकारी रजिस्टर करायें. इसकी सूचना रांची के साइबर सेल के नंबर 8987790674 पर जरूर दें, ताकि पुलिस इस पर कार्रवाई करे. कभी जानकारी बैंक को देनी हो, तो बैंक जाकर वहां के मैनेजर अथवा अधिकृत अधिकारी से संपर्क करें.
ओटीपी नंबर, चेक नंबर, डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड का नंबर आदि किसी के साथ साझा नहीं करे, रहें सावधान
1. उमेश सहाय, रिटायर्ड जीएम, डिप्टीपाड़ा, रांची : 14 नवंबर 2018 को मेरे मोबाइल पर 896796164 नंबर से कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को मेन ब्रांच एसबीआइ का बैंक मैनेजर एके झा बताया. कहा कि आपका केवाइसी आधार कार्ड से लिंक नहीं है. एक नंबर आपको एसएमएस कर रहे हैं. उस पर आपको एक नंबर आयेगा. उस नंबर को जो मोबाइल नंबर एसएमएस में दिया हुआ है, उस पर भेज दें. केवाइसी अपडेट कर दिया जायेगा. मैंने ऐसा किया. इसके बाद मेरे केनरा बैंक के खाता नंबर 8988186295 से 500 रुपये ट्रांसफर हुआ.
फिर केनरा बैंक के एकाउंट संख्या 897667162096 पर 49,999 रुपये और इसी बैंक के खाता संख्या 897667162095 पर 49,500 रुपये ट्रांसफर हुआ.
लालपुर थाने में कांड संख्या 431/18 दर्ज कराया. सिटी डीएसपी के रीडर को भी जानकारी दी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई?
एसएसपी के जवाब : देखिए, पहले तो आप यह जान लें कि कोई बैंक अपने उपभोक्ता से फोन कर कोई जानकारी नहीं मांगता. अगर फोन कर खुद को बैंक अधिकारी या पुलिस अधिकारी बता या कोई और के रूप में जानकारी मांगता है, तो वह काॅल फेक है. ऐसे किसी कॉल करने वाले को किसी भी स्थिति में बैंक संबंधी कोई जानकारी नहीं दे.
फ्रॉड की स्थिति में तत्काल बैंक काे सूचना देकर अपने खाते का डेबिट फ्रीज करा दें. पुलिस को भी सूचना दें. जहां तक आपके साथ साइबर फ्रॉड की बात है, तो मैं खुद इस मामले को देखूंगा और आरोपी को गिरफ्तार कर आपके पैसे वापसी का प्रयास करूंगा.
2. उदय चौधरी, रातू का सवाल : एटीएम व खाता से साइबर अपराधी पैसा निकाल लेते हैं. थाना जाते हैं, तो ठोस कार्रवाई नहीं होती. आये दिन अपराधी फोन कर बैंक संबंधी जानकारी मांगते हैं. जानकारी नहीं देने पर भद्दी-भद्दी गालियां देते हैं. क्या करें?
एसएसपी के जवाब : थाना स्तर पर कार्रवाई नहीं हो, तो हमें बतायें. बैंक संबंधी जानकारी किसी स्थिति में किसी को भी न दें. समय-समय पर एटीएम का पासवर्ड बदलते रहें. जिस नंबर से कॉल आता है, उसकी जानकारी रांची साइबर सेल के मोबाइल नंबर 8987790674 पर दें.
3. पंकज गुप्ता, आइटीआइ बस स्टैंड का सवाल : मेरा खाता आइसीआइसीआइ बैंक में है. मेरे खाते से 1.50 लाख रुपये की निकासी अगस्त 2016 में कर ली गयी. जबकि मेरा एटीएम कार्ड और उसका पिन नंबर जो बैंक से मिला था, वह आज तक लिफाफे में बंद है. इस संबंध में मैंने पंडरा ओपी में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. लेकिन, आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. मुख्यमंत्री जनसंवाद और उस समय के एसएसपी से भी शिकायत की, कुछ नहीं हुआ. क्या करूं?
डीएसपी के जवाब : प्रथमदृष्टया आपका मामला बैंक के स्तर पर चूक प्रतीत होती है. आप ऑफिस में आकर मुझसे मिलें. मामले में कारगर कार्रवाई की जायेगी.
4. रौशन कुमार, लालपुर का सवाल : साइबर क्राइम के नये-नये तरीके सामने आ रहे हैं. कैसे इनसे बचा जाये.
डीएसपी का जवाब : एटीएम क्लोनिंग, ओटीपी नंबर, डेबिट या क्रेडिट कार्ड का नंबर लेकर साइबर फ्रॉड किये जाते हैं. इसके अलावा यूपीआइ फ्रॉड भी होता है. इसमें बैंक एकाउंट का क्लोन बनाकर साइबर अपराधी खाते से पैसे की निकासी अलग-अलग खातों में भेजकर कर लेते हैं.
आजकल कस्टमर केयर की बात कर भी फ्रॉड किये जाते हैं. ऐसे में बैंक संबंधी जानकारी नहीं देनी चाहिए. फिशिंग भी साइबर क्राइम है. इसमें फेक वेबसाइट पर डिटेल शेयर कर लोग फंस जाते हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी क्राइम होते हैं. ऐसे में सावधानी जरूरी है.

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