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रांची : मजदूरों के नाम पर राजनीति बंद हो लाल-पीला झंडा छोड़ एक आवाज बनें

मनोज सिंह रांची : भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह कोल व स्टील के प्रभारी डॉ बीके राय का कहना है कि मजदूर संगठन राजनीतिक दलों से गाइड हो रहे हैं. मजदूर संगठनों का हित राजनीतिक है. इसके कई उदाहरण हैं. देश में 51 करोड़ मजदूर हैं. ये लोग मतदाता भी हैं. यह अपने […]

मनोज सिंह
रांची : भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह कोल व स्टील के प्रभारी डॉ बीके राय का कहना है कि मजदूर संगठन राजनीतिक दलों से गाइड हो रहे हैं. मजदूर संगठनों का हित राजनीतिक है. इसके कई उदाहरण हैं.
देश में 51 करोड़ मजदूर हैं. ये लोग मतदाता भी हैं. यह अपने आप में बड़ी ताकत है. इनमें सरकार को झुकाने की क्षमता है. इसके लिए मजदूर संगठनों को अपना राजनीतिक मुद्दा, लाल-पीला झंडा छोड़ मजदूरों की आवाज बनना होगा. निजी स्वार्थ को छोड़ना होगा. इसके लिए बीएमएस तैयार है. डॉ राय इन दिनों झारखंड के दौरे पर हैं. मंगलवार को सीसीएल के गेस्ट हाउस में उन्होंने प्रभात खबर से बातचीत की.
सवाल : मजदूर संगठनों की दो दिनी हड़ताल क्यों?
जवाब : यह हड़ताल मजदूरों को गुमराह करने के लिए की जा रही है. इसके पीछे कांग्रेस खड़ी है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पत्र लिखकर संजीवा रेड्डी को सरकार को अस्थिर करने के लिए आंदोलन करने को कहा था. इसमें कांग्रेस ने सीटू और एटक को मोहरा बनाया. इसमें कोयला या स्टील श्रमिकों के मुद्दे नहीं हैं. और जो मुद्दे हैं, उससे मजदूरों को लेना देना ही नहीं है. मजदूरों का रहनुमा बनने की बात करनेवाली पार्टी ने 60 साल में क्या दिया. वामपंथी राज्यों में उद्योग क्यों बंद हो गये.
यह आंदोलन को लेकर कितने गंभीर हैं, यह कल की घटना से बताता हूं. कल यहां के इंटक के एक बड़े नेता ने दिल्ली जाने से पहले फोन पर कहा कि मैंने हड़ताल में नहीं शामिल होने के लिए कार्यकर्ताओं को कह दिया है. आज हड़ताल में भी इसका असर दिखा. कहीं इंटक का झंडा-बैनर नहीं दिखा. इंटक से जुड़े कर्मी हाजिरी बनाकर काम करते रहे. असल में यह लोग मजदूरों को धोखा देकर अपना काम करते रहे हैं.
सवाल : इनका तो कहना है कि वर्तमान सरकार वार्ता के लिए भी नहीं बुलाती है?
जवाब : सरकार इनको समझती है. इनकी ताकत भी जानती है. सरकार जानती है कि इनका आंदोलन राजनीति से प्रेरित है. जिनकाे वार्ता के लिए बुलाना था, उनसे बात की.
भामस, टीयूसी, एचएमकेपी, इंटक (केके तिवारी) आदि को वार्ता के लिए बुलाया. दो दिनी वार्ता में सरकार ने आश्वस्त किया कि कोयला खदान की कॉमर्शियल माइनिंग नहीं होगी. विनिवेश की प्रक्रिया बंद रहेगी. मजदूरों को कम से कम 18 हजार रुपये मिलेंगे. 60 साल से अधिक उम्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी. इसके लिए आगे भी दबाव जारी रहेगा.
सवाल : आप क्यों नहीं शामिल हुए इस हड़ताल में ?
जवाब : मैंने पांचों ट्रेड यूनियनों से आग्रह किया था कि सितंबर माह में हड़ताल करें. उस वक्त वे लोग सहमत नहीं हुए. उस वक्त मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को समय भी मिलता. अब तो चुनाव का समय है. सरकार आपकी मांग पूरा भी नहीं कर सकती है. इसके बाद मैंने कहा कि चुनाव के बाद आंदोलन करते हैं, इस पर भी ये लोग सहमत नहीं हुए. असल में इनका इरादा चुनाव के समय सरकार को हिलाना है. यह किसी मजदूर संगठन का काम नहीं है.

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