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रांची : जेबीवीएनएल ने 2017-18 में 218.85 करोड़ के मुकाबले 1028 करोड़ रुपये खर्च किये

नियामक आयोग ने निगम की पिटीशन की समीक्षा की रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने आयोग द्वारा 2016-17 के लिए स्वीकृत 304.10 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च के मुकाबले 428.60 करोड़ और 2017-18 के लिए 218.85 करोड़ के मुकाबले 1076.03 करोड़ रुपये खर्च किया है. झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने जेबीवीएनएल […]

नियामक आयोग ने निगम की पिटीशन की समीक्षा की
रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने आयोग द्वारा 2016-17 के लिए स्वीकृत 304.10 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च के मुकाबले 428.60 करोड़ और 2017-18 के लिए 218.85 करोड़ के मुकाबले 1076.03 करोड़ रुपये खर्च किया है.
झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने जेबीवीएनएल की पिटीशन की समीक्षा के बाद कुल 35 बिंदुओं पर अपना जवाब देने को कहा है. साथ ही इन बिंदुओं से संबंधित स्टेक होल्डर्स को अपनी टिप्पणी 24 जनवरी तक भेजने का आग्रह किया है.
जेबीवीएनएल ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए टैरिफ पिटीशन दाखिल किया है. साथ ही 2016-19 का वार्षिक प्रतिवेदन भी दाखिल किया है. नियामक आयोग ने इसकी समीक्षा के बाद कुल 35 बिंदुओं पर जेबीवीएनएल से जवाब देने को कहा है.
आयोग ने निगम से यह जानना चाहा है कि निगम के लिए ट्रांसमिशन लॉस की सीमा 2.23 प्रतिशत निर्धारित थी. इसके मुकाबले 2016-17 में 9.64 और 2017-18 में 9.71 फीसदी किन परिस्थितियों में हुआ. निगम ने 2019-20 के लिए ट्रांसमिशन लॉस की सीमा पांच फीसदी करने की मांग की है. आयोग ने निगम से इसका उचित कारण पूछा है.
आयोग ने जेबीवीएनएल को यह निर्देश दिया है कि वह 2019-20 के लिए पावर परचेज की लागत का विस्तृत ब्योरा पेश करे. इसमें फिक्स्ड कॉस्ट और वेरीयेबुल कॉस्ट पर खरीदी जाने वाली बिजली का अलग-अलग ब्योरा दें. निगम की ओर से एएंडजी खर्च बढ़ने का मुख्य कारण आउटसोर्सिंग बताया गया है.
जबकि आयोग ने निगम के ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा में पाया है कि टेलीफोन चार्जेज, लोकल चार्जेच, ट्रैवलिंग चार्जेज और कंप्यूटर बिलिंग आदि है. निगम ने अपने पिटीशन में दावा किया है कि उसने तिलकामांझी कृषि पंप योजना के तहत दो लाख किसानों को लाभ पहुंचाया है. आयोग ने इस सिलसिले में निगम से जानना चाहा है कि दो लाख किसानों को लाभ पहुंचाने के दावे का आधार क्या हैं. आयोग ने निगम से यह भी जानना चाहा है कि एडिशनल ग्रांट के सिलसिले में ऑडिटेड एकाउंटस और निगम द्वारा दिये गये आंकड़े में अंतर का कारण क्या है.
ऑडिटेड रिपोर्ट में यह रकम 2160 करोड़ बतायी गयी है, जबकि पिटीशन में इसके 1904 करोड़ रुपये होने का उल्लेख है. आयोग ने निगम से यह जानना चाहा है कि 2016-17 के मुकाबले 2017-18 के राजस्व में गिरावट का कारण क्या है. आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में राजस्व वसूली 90.69 फीसदी थी, जबकि 2017-18 में यह गिरकर 84.86 फीसदी हो गयी.
आयोग ने निगम को दिसंबर 2018 तक के लिए लक्षित 100 फीसदी मीटरिंग के मामले में अपनी उपलब्धि बताने का निर्देश दिया है. सोलर पावर प्रोक्यूरमेंट के लक्ष्य और उपलब्धि का ब्योरा भी मांगा है. आयोग ने समीक्षा के दौरान पाया है कि उसके निर्देश के बावजूद जेबीवीएनएल ने पावर परचेज का विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया है.

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