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रांची : वैकल्पिक न्याय व्यवस्था से लोगों काे मिल रहा त्वरित न्याय
राणा प्रताप रांची : झारखंड में लोगों का वैकल्पिक न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ रहा है. लोगों को त्वरित व सस्ता न्याय मिल रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वैकल्पिक न्याय व्यवस्था का बड़ी संख्या में लोग उपयोग करने लगे हैं. वर्षों से न्यायालयों में मामले लंबित रहते हैं. इससे समय व पैसे […]
राणा प्रताप
रांची : झारखंड में लोगों का वैकल्पिक न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ रहा है. लोगों को त्वरित व सस्ता न्याय मिल रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वैकल्पिक न्याय व्यवस्था का बड़ी संख्या में लोग उपयोग करने लगे हैं. वर्षों से न्यायालयों में मामले लंबित रहते हैं. इससे समय व पैसे की बर्बादी होती है.
समय पर न्याय नहीं मिल पाता है. कहा भी गया है कि समय पर न्याय नहीं मिलना भी अन्याय जैसा है. झारखंड हाइकोर्ट वैकल्पिक न्याय व्यवस्था का उपयोग करने के लिए लोगों को हमेशा प्रेरित कर रहा है.
वैकल्पिक न्याय व्यवस्था (एडीआर) के तहत लोक अदालत, मध्यस्थता, कंसीलियशन, आरबीट्रेशन के माध्यम से मामले निष्पादित किये जाते हैं. वहीं सेवाअों से संबंधित प्री-लिटिगेशन (जो किसी कोर्ट में लंबित नहीं होते हैं) जैसे मामले स्थायी लोक अदालत में निपटाये जाते हैं. अपवाद में आरबीट्रेशन को छोड़ कर मध्यस्थता, लोक अदालत, स्थायी लोक अदालत के फैसलों के विरुद्ध किसी प्रकार की अपील का कहीं कोई प्रावधान नहीं है.
कंसीलियेटर दोनों पक्षों के बीच समाधान बताता है. समाधान की विशेषता बताता है तथा समाधान के लिए दोनों पक्षों को प्रोत्साहित भी करता है, जबकि मीडियेटर का काम समाधान के लिए दोनों पक्षों को सुविधा देना होता है. आपसी सुलह-समझाैते से समाधान निकालना होता है.
इनके माध्यम से निबटाये गये फैसलों के विरुद्ध कोई भी पक्ष अपील नहीं कर सकता है. लीगल एड देने के लिए झारखंड लीगल सर्विसेज अॉथोरिटी (झालसा) की अोर से पूरे राज्य में 2838 पारा लीगल वोलेंटियर (पीएलवी) की नियुक्ति की गयी है. साथ ही 710 लीगल एड क्लिनिक की स्थापना कर लोगों को कानूनी सहायता पहुंचायी जा रही है.
वैकल्पिक न्याय व्यवस्था से निष्पादित मामलों में नहीं है अपील का कोई प्रावधान
पिछले दिनों झालसा में मध्यस्थता के माध्यम से 130 करोड़ रुपये के कंपनी विवाद को सुलझाने में सफलता हासिल हुई. विवाद सुलझाने का श्रेय झालसा के पैनल एक्सपर्ट चाटर्ड एकाउंटेंट एके साबू को मिला. विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच 30 बैठकें हुई.
सभी पक्षों की सहमति से विवाद का निपटारा किया गया. यह विवाद मल्टीनेशनल कंपनी जीइ पावर इंडिया लिमिटेड व बोकारो पावर सप्लाई कंपनी के बीच का था. सेल व डीवीसी के ज्वाइंट बेंचर से पावर प्लांट बनाया जाना था. जीइ पावर को वर्ष 2005 में प्लांट में बॉयलर व टरबाइन स्थापित करने का टेंडर दिया गया. प्लांट बनने में विलंब हुआ.
बाद में जीइ कंपनी ने बोकारो पावर पर 119.40 करोड़ रुपये व बोकारो पावर ने जीइ कंपनी पर 10.42 करोड़ का दावा किया. यह मामला हाइकोर्ट पहुंचा. इसके बाद हाइकोर्ट ने मध्यस्थता से सुलझाने के लिए इस मामले को झालसा रेफर किया था. झालसा में कई चरणों की बातचीत के बाद मामले को सुलझा लिया गया. झालसा में अब मध्यस्थता के माध्यम से कॉमर्शियल विवादों को भी सुलझाया जा रहा है.
वर्ष 2018 में हाइकोर्ट व जिलों में लोक अदालत से निबटाये गये मामले
प्री-लिटिगेशन कोर्ट में लंबित मामले सेटलमेंट राशि
51,563 31,540 1,76,64,02613
मध्यस्थता से निष्पादित मामलों का विवरण
वर्ष भेजे गये मामले निष्पादित मामले सेटल नहीं हुआ सफलता की दर
2016 10799 3049 2805 52.08 प्रतिशत
2017 9402 3213 2197 59.39 प्रतिशत
2018 14770 8057 5327 61 प्रतिशत
झालसा ने वर्ष 2018 में इतने लोगों को कानूनी सहायता दी
एससी एसटी महिला बच्चे हिरासतवालों को सामान्य बीसी/अन्य कुल
75 248 204 10 895 131 143 1706
आगे आैर कड़ी मेहनत करेंगे. भविष्य में किसी भी जरूरतमंद को, जो सहयोग मांगता है, उसे लीगल एड देने में किसी प्रकार का विलंब नहीं होगा. इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. सहायता मांग रहे व्यक्ति को तुरंत सहायता पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इसे प्राथमिकता दी जा रही है. एके राय, सदस्य सचिव, झालसा, रांची
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