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रांची : छत्तीसगढ़ की तर्ज पर पारा शिक्षकों को भी स्थायी करे रघुवर सरकार: कांग्रेस
रांची : पारा शिक्षकों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की़ प्रतिनिधिमंडल ने गवर्नर को ज्ञापन सौंप कर पारा शिक्षकों को छत्तीसगढ़ की तर्ज पर स्थायी करते हुए वेतनमान देने, स्कूलों के समायोजन […]
रांची : पारा शिक्षकों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की़
प्रतिनिधिमंडल ने गवर्नर को ज्ञापन सौंप कर पारा शिक्षकों को छत्तीसगढ़ की तर्ज पर स्थायी करते हुए वेतनमान देने, स्कूलों के समायोजन की प्रक्रिया रोकने, मारे गये पारा शिक्षकों के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा व एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के साथ पत्रकार अमित टोपनो की हत्या की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है.
सदस्यों ने कहा कि पांच वर्ष के लंबे समय से राज्य के 67,000 पारा शिक्षक आंदोलनरत हैं, लेकिन आज भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है. ये ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं, लेकिन न्यूनतम मजदूरी को भी तरस रहे हैं. यह राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. कई राज्य जैसे बिहार, पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में पारा शिक्षकों का स्थायीकरण किया गया है.
राज्य के सभी पारा शिक्षक सेवा स्थायीकरण को लेकर 15 नवंबर से हड़ताल पर हैं. इस दौरान कई पारा शिक्षकों की मौत हो चुकी है. एक पारा शिक्षक अभी भी लापता हैं. वर्तमान में पारा शिक्षकों को न्यूनतम 8400 रुपये एवं अधिकतम 10164 रुपये मानदेय के रूप में दिये जा रहे हैं. वहीं शराब बेचने वाली राज्य सरकार अपने सेल्समैन को 18000 एवं दुकान के मैनेजर को 25000 हजार वेतनमान दे रही है.
प्रतिनिधिमंडल में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, विधायक सुखदेव भगत, डॉ इरफान अंसारी, बादल पत्रलेख, गीता कोड़ा, निर्मला देवी, देवेंद्र सिंह बिट्टू व प्रदेश पदाधिकारियों में राजेश ठाकुर, राजीव रंजन प्रसाद, आलोक कुमार दुबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, डॉ राजेश गुप्ता छोटू, एम तौसिफ एवं जगदीश साहू शामिल थे.
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