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प्रशासन ने बिरसा ब्लड बैंक सील किया, प्राथमिकी, आठ गिरफ्तार

रांची : बरियातू स्थित बिरसा ब्लड बैंक में बिना लाइसेंस के ही मरीज को खून चढ़ाते हुए पकड़ा गया. इसके बाद ब्लड बैंक को सील कर दिया गया और आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बरियातू थाने में ब्लड बैंक के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है. सचिव के निर्देश पर हुई छापेमारी […]

रांची : बरियातू स्थित बिरसा ब्लड बैंक में बिना लाइसेंस के ही मरीज को खून चढ़ाते हुए पकड़ा गया. इसके बाद ब्लड बैंक को सील कर दिया गया और आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बरियातू थाने में ब्लड बैंक के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है.

सचिव के निर्देश पर हुई छापेमारी
स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे को सूचना मिली थी कि बिरसा ब्लड बैंक में गड़बड़ी होती है. बिना किसी जांच के ही खून लिया जाता है और उसे ऊंची कीमत पर मरीजों को बेचा जाता है. सामाजिक कार्यकर्ता अतुल गेरा ने शिकायत की थी कि बिना लाइसेंस के ही इस ब्लड बैंक में मरीजों को रक्त भी चढ़ाया जाता है. श्रीमती खरे ने आरंभ में ड्रग इंस्पेक्टर को और फिर रांची की एसडीओ अंजली यादव को जांच करने भेजा. एसडीओ जब वहां पहुंची, तो पाया कि बालेश्वर प्रसाद नामक व्यक्ति को ब्लड बैंक के ही अंदर एक कमरे में खून चढ़ाया जा रहा है.
उसका डिटेल जब देखा गया, तो पाया गया कि यह मो असद अरफी का खून है, जाे 15 मार्च काे लिया गया था. पर डोनर रजिस्टर में उसकी इंट्री 17 मार्च को दिखा कर जांच दल को चकमा देने का प्रयास किया गया. इश्यू रजिस्टर में 17 मार्च की तिथि अंकित की गयी थी. यहां ब्लड के कलेक्शन और एवं रजिस्टर की तिथि में अंतर पाया गया.
तंग कमरे में रक्त चढ़ाने की थी व्यवस्था: छापेमारी दल ने पाया कि एक तंग कमरे में रक्त चढ़ाने की व्यवस्था थी, जबकि वहां न कोई मेडिकल अफसर है, न ही कोई तकनीकी स्टाफ. रक्त चढ़ाने के लिए लाइसेंस भी नहीं था. फिर भी मरीज को ब्लड चढ़ाते हुए पाया गया. इसे क्लीनिकल इस्टेबलिस्टमेंट एक्ट के खिलाफ पाया गया. ब्लड बैंक के पास क्लीनिकल इस्टेबलिस्टमेंट एक्ट का लाइसेंस भी नहीं था. उस कमरे में स्काल्प वेन सेट, ब्लड ट्रांसफ्यूजन सेट एवं अन्य औषधि भी पायी गयी. जिसका क्रय अभिलेख संचालक के पास नहीं था.
दिसंबर में ही लाइसेंस समाप्त खत्म : ब्लड बैंक का लाइसेंस दिसंबर में ही समाप्त हो गया है. इसके बावजूद बिना नवीकरण के ही अब तक ब्लड बैंक का संचालन किया जा रहा था. टीम ने पाया कि ब्लड बैंक खून की बिक्री के लिए बिना किसी टेस्ट के ही अलग-अलग लोगों से खून लेता है, जो मरीज के लिए घातक साबित हो सकता है. वहां गैरकानूनी रूप से रक्त की थैली पायी गयी.
प्रशासन ने िबरसा…
रक्त की थैली का कोई रेकॉर्ड और कोई क्रॉस मैच भी नहीं था. इसके बावजूद रक्त चढ़ाये जाने काे गैरकानूनी मानते हुए ब्लड बैंक को सील कर दिया गया. रक्त चढ़ाने का काम किसी अस्पताल या नर्सिंग होम में ही होता है, किसी ब्लड बैंक में नहीं. प्राथमिकी में लिखा गया है कि ब्लड बैंक द्वारा अनिवार्य प्रक्रियाओं को नजरअंदाज किया गया.
यह भी लिखा गया है कि वे जिस तंग कमरे को नर्सिंग होम के रूप में दिखाते हैं, वे क्लीनिकल प्रतष्ठिान के तहत पंजीकृत होना चाहिए. यानी नर्सिंग होम का लाइसेंस होना चाहिए, जो ब्लड बैंक के पास नहीं था.
बिना लाइसेंस के चल रहे ब्लड बैंक में खून भी चढ़ाया जा रहा था
आैर माजा पी
रही थीं ड्रग इंस्पेक्टर
आरंभ में गुप्त सूचना के आधार पर प्रधान सचिव श्रीमती खरे ने ड्रग इंस्पेक्टर प्रतिभा झा और पूनम तिर्की को बिरसा ब्लड बैंक में छापेमारी करने भेजा. कुछ आशंका होने पर उन्होंने एसडीओ अंजली यादव को तत्काल बिरसा ब्लड बैंक जाने का निर्देश दिया. एसडीओ जब वहां पहुंची, तो पाया कि दोनों ड्रग इंस्पेक्टर माजा पी रही थीं और समोसा खा रही थी. इसके बाद एसडीओ को वहां डस्टबिन में रक्त का एक थैला मिला. जिसमें न तो क्रॉस मैच था और न ही कोई तिथि अंकित थी. इससे पता चला कि किसी को तुरंत ही रक्त चढ़ाया गया है. इसके बाद उन्होंने पूरे परिसर की
जांच की.
जांच के बजाय ड्रग…
रजिस्टर की जांच की. इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. फिर एसडीओ अंजली यादव ड्रग इंस्पेक्टर को लेकर बरियातू थाने गयी और ब्लड बैंक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. ड्रग इंसपेक्टर पूनम तिर्की द्वारा बिरसा ब्लड बैंक के पार्टनर गोपाल शंकर, विजय शंकर सिंह, उदय शंकर सिंह एवं संजय शंकर सिंह एवं अन्य के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 की धाराओं के तहत प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है.
इन्हें किया गया गिरफ्तार
संजय सिंह ब्लड बैंक का संचालक
बीएम प्रमाणिक टेक्निशियन
आनंद कुमार टेक्निशियन
गोपाल सिंह
ललन व लक्ष्मण ड्राइवर
अनिल कुमार लैब असिस्टेंट
मनीष कुमार लैब असिस्टेंट
रामेश्वर महतो टेक्निशियन
हजारीबाग में त्रिदेव क्लिनिक पर छापेमारी : हजारीबाग में भी प्रधान सचिव के निर्देश पर सिविल सर्जन ने त्रिदेव क्लिनिक पर छापेमारी की. वहां अवैध रूप से अल्ट्रासाउंड किया जा रहा था. इसे भी सील कर दिया गया है.

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