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12 नक्सली ढेर, 558 गिरफ्तार, 46 ने किया सरेंडर

रांची: इस वर्ष जनवरी से नवंबर तक प्रदेश में 167 नक्सली वारदातें विभिन्न जिलों में सामने आयी है. जबकि पुलिस और नक्सली संगठनों के बीच 34 मुठभेड़ हुई है. 558 नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इनमें दो सैक सदस्य, चार रिजनल कमेटी के सदस्य, छह जाेनल कमांडर, 12 सबजोनल कमांडर और 27 एरिया […]

रांची: इस वर्ष जनवरी से नवंबर तक प्रदेश में 167 नक्सली वारदातें विभिन्न जिलों में सामने आयी है. जबकि पुलिस और नक्सली संगठनों के बीच 34 मुठभेड़ हुई है. 558 नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इनमें दो सैक सदस्य, चार रिजनल कमेटी के सदस्य, छह जाेनल कमांडर, 12 सबजोनल कमांडर और 27 एरिया कमांडर स्तर के नक्सली शामिल हैं. 46 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. इनमें भाकपा माओवादी के 39, पीएलएफआइ के दो और टीएसपीसी के तीन नक्सलियों के अलावा दो नक्सली अन्य संगठनों के हैं.

जबकि प्रदेश बनने से अब तक कुल 167 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. इस वर्ष भाकपा माओवादी के कुल छह नक्सली मारे गये हैं. इनमें से दो को पुलिस ने और चार को विरोधी संगठन ने मारा है. वहीं पीएलएफआइ के 12 उग्रवादी मारे गये हैं. इनमें से नौ को पुलिस ने और तीन को प्रतिद्वंदी गुट ने शिकार बनाया है. आम नागरिक की बात करें, तो माओवादी संगठन ने 21 और पीएलएफआइ ने 15 लोगों को मारा है. जबकि दो पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं. पुलिस मुख्यालय ने उक्त रिपोर्ट तैयार की है.

वारदात को अंजाम देने मेें भाकपा माओवादी सबसे आगे, पीएलएफआइ पीछे पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट पर गौर करें, तो प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी ने दूसरे उग्रवादी संगठनों की तुलना में सबसे ज्यादा वारदातों को इस वर्ष नवंबर तक अंजाम दिया है. इस संगठन ने 2015 में 73, 2016 में 63 और 2017 में 67 घटनाओं को अंजाम दिया है. जबकि पीएलएफआइ ने 2015 में 50, 2016 में 58 और 2017 में महज 33 वारदातों को अंजाम दिया है. वहीं टीएसपीसी के संबंध में पुलिस का कहना है कि यह सिर्फ लेवी उठाने वाला संगठन बनकर रह गया है.
टीएसपीसी से सबसे ज्यादा लेवी की राशि हुई बरामद
पुलिस ने टीएसपीसी के पास से सबसे ज्यादा लेवी की रािश बरामद की है़ इस संगठन के लोगों से पुलिस ने 83.60 लाख रुपये बरामद किये हैं. इसी तरह भाकपा माओवादियों के पास से 40.2 लाख रुपये, पीएलएफआइ के पास से 2.87 लाख रुपये बरामद करने में पुलिस ने सफलता हािसल की है. पुलिस की ओर से यह भी कहा गया है कि टीएसपीसी सिर्फ लेवी वसूलने संगठन बन गया है.

सेंधमारी, दुष्कर्म व अपहरण में इजाफा हत्या, लूट और डकैती में आयी कमी
नक्सल की तरह अपराध पर लगाम लगाने में पुलिस को सफलता नहीं मिल पायी है. पुलिस मुख्यालय की ओर से तैयार जनवरी से अक्टूबर तक तैयार आंकड़ों से साफ है कि कुल संज्ञेय अपराध में वर्ष 2016 की तुलना में 2017 में इजाफा हुआ है. 2016 में आंकड़ा 44434 था, जबकि 2017 में यह 45554 पर पहुंच गया है. हालांकि 2015 में कुल संज्ञेय अपराध 51163 था. विभिन्न अपराधों की बात करें तो सेंधमारी, दुष्कर्म और फिरौती के लिए अपहरण की घटनाएं बढ़ी है. जबकि हत्या, डकैती, लूट, चोरी की घटनाओं में कमी दर्ज की गयी है.
वर्ष 2016 में सेंधमारी के 1388 और 2017 मेंं 1426 घटनाएं दर्ज की गयी है. जबकि दुष्कर्म का 2016 में 976 का आंकड़ा बढ़कर 1138 पर पहुंच गया है. 2015 से 2017 तक के आंकड़े बताते हैं कि सेंधमारी और दुष्कर्म की वारदातों में लगातार इजाफा हो रहा है. फिरौती के लिए अपहरण के मामले भी परेशानी का सबब बने हुए हैं. 2016 में आंकड़ा 24 था, जबकि 2017 में यह बढ़कर 40 तक पहुंच गया है. 2015 में फिरौती के लिए अपहरण की 42 वारदातें सामने आयी थी.
हत्या की बात करें तो 2016 में जनवरी से अक्टूबर तक आंकड़ा 1595 था, जो 2017 में 1548 पर आकर ठहर गया है. डकैती की 179 घटनाओं की जगह 122, लूट के 513 की जगह 423, चोरी के 7996 घटनाओं की जगह 7985 वारदातें सामने अायी है.

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