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सवर्णों को आरक्षण के बाद सत्ता पक्ष ने बताया ऐतिहासिक कदम, तो विपक्ष ने कहा चुनावी स्टंट

विपक्षी दलों ने राज्य में पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग की केंद्रीय कैबिनेट द्वारा सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के फैसले का राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है़ सवर्णों को अधिकार दिये जाने की बात कहते हुए सत्ता पक्ष ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया है. वहीं, विपक्ष ने गरीब सवर्णों […]

विपक्षी दलों ने राज्य में पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग की
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के फैसले का राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है़ सवर्णों को अधिकार दिये जाने की बात कहते हुए सत्ता पक्ष ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया है.
वहीं, विपक्ष ने गरीब सवर्णों को आरक्षण दिये जाने को चुनावी स्टंट बताया है़ विपक्षी पार्टियों ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए सवर्णों को आरक्षण देने की घोषणा की गयी है़ इसके साथ ही विपक्षी दलों ने राज्य में पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग की है़
चुनावी जुमला, राज्य में पिछड़ी जाति को दें 27 प्रतिशत आरक्षण : हेमंत
रांची : झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार ने शर्तों के साथ आर्थिक रूप से पिछड़े को 10 प्रतिशत आरक्षण देने फैसला लिया है. इससे सवर्णों को फायदा नहीं होनेवाला है.
यह भी चुनावी जुमला ही साबित होगा. संविधान में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है. इसके लिए केंद्र सरकार को संविधान में संशोधन करना होगा. सरकार संविधान में संशोधन कर रही है, तो पार्टी मांग करती है कि झारखंड की पिछड़ी जाति के मूलवासी का भी आरक्षण 27 प्रतिशत कर दिया जाये. जनसंख्या के आधार पर आदिवासी का आरक्षण 26 प्रतिशत से बढ़ा कर 28 प्रतिशत व अल्पसंख्यकों को पांच प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए .
सरकार आरक्षण की बात कर रही है तो नौकरियां भी सुनिश्चित कराये. केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह भाजपा का चुनावी स्टंट है. केंद्र सरकार ने आरक्षण के नाम पर सवर्ण जाति के लोगों को भ्रमित करने का काम किया है. पिछले दिनों पांच राज्यों में मिली करारी हार से बौखला कर भाजपा ने लोगों को लुभाने के लिए नया जुमला दिया है. चुनाव में भाजपा को इसका कोई फायदा नहीं मिलने वाला है.
साढ़े चार साल तक याद नहीं आये सवर्ण : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला महज चुनावी जुमला है. भाजपा सरकार को साढ़े चार साल तक सवर्णों की याद नहीं आयी. चुनाव का डर सताने लगा, तो आरक्षण देने की बात कर जनता को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है. संविधान में पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा.
झारखंड के पिछड़ों की भी चिंता की जाये : आजसू
आजसू पार्टी के प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा है कि गरीब सवर्णों को आरक्षण देना सही है़ गरीब किसी भी जाति-संप्रदाय के हों, उनका हक मिलना ही चाहिए़ लेकिन राज्य में पिछड़ों को उनके हक से वंचित किया गया है़ पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल रहा है़ इनके आरक्षण की सीमा बढ़नी चाहिए़ एकीकृत बिहार में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था़ पूर्व में सरकार ने राज्य में आरक्षण की सीमा 73 प्रतिशत करने का प्रस्ताव बनाया था़ उसमें आजसू की प्रमुख भूमिका रही थी, लेकिन मामला कोर्ट में जाने के बाद सरकार के स्तर से पहल नहीं हुई. आजसू लगातार पिछड़ों को हक दिये जाने के लिए संघर्षशील रही है़
सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला स्वागत योग्य : जदयू
जदयू रांची महानगर अध्यक्ष संजय सहाय ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट का यह फैसला ऐतिहासिक व सराहनीय है. आजादी के बाद किसी भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया. सरकार के फैसले से सवर्ण जाति के लोगों में खुशी की लहर है. प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा नंद मिश्रा ने मोदी सरकार के सभी मंत्रियों के प्रति आभार जताया है. फैसले का स्वागत करने वालों में युवा जदयू के अखिलेश राय, अरविंद जायसवाल, करण कुमार समेत कई नेता शामिल हैं.
मोदी ने गरीब सवर्णों की पीड़ा समझी, ऐतिहासिक दिन : भाजपा
रांची : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा की सात जनवरी का दिन ऐतिहासिक है़ नरेंद्र मोदी की सरकार ने गरीब सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने की पहल की है़ गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात तो सब करते थे, लेकिन किसी ने आज तक कदम नहीं उठाया था. पीएम ने गरीब सवर्णों की पीड़ा समझी. श्री शाहदेव ने कहा दशकों तक कांग्रेस ने सवर्णों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन उनके हित के बारे में नहीं सोचा़ मोदी सरकार का लक्ष्य देश से गरीबी मिटाना है़ गरीब सभी जाति में होते है़ं इसी के अंतर्गत गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की पहल की गयी है़
मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध अत्याचार के कानून को कड़ा किया. पिछड़ों के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दिलायी़ किसानों और युवाओं के लिए भी बड़े कदम उठाये़ इस सरकार ने समाज के सभी वर्गों का ख्याल रखा है़ श्री शाहदेव ने कहा कि सवर्णों को आरक्षण देने के लिए सरकार संविधान में संशोधन करने जा रही है़ यह पूरा वाकया इस बात को साफ इंगित करता है कि सरकार गरीब सवर्णों को राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए बहुत गंभीर है़
युवा मोर्चा के नेताओं ने जतायी खुशी
रांची . इधर केंद्रीय कैबिनेट के फैसले का भाजपा युवा मोर्चा के नेताओं ने स्वागत किया है़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजयुमो नेताओं ने बधाई दी है़ भाजपा नेताओं ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया है़ भाजयुमो अध्यक्ष अमित कुमार, अभिषेक सिंह, राकेश चाैधरी, कुणाल यादव, वरुण तिवारी, राज श्रीवास्तव, संजय पोद्दार, निशिकांत चौहान, कुंदन सिंह सहित कई नेताओं ने हर्ष जताया है़
आबादी के हिसाब से आरक्षण मिले : बाबूलाल
झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आबादी के हिसाब से गरीबों के बीच आरक्षण का बंटवारा हो जाना चाहिए़ जिस जाति की जितनी आबादी है, उसी हिसाब से आरक्षण दिया जाना चाहिए़ श्री मरांडी ने कहा कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में 73 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव तैयार किया था़ लेकिन कोर्ट ने खारिज कर दिया था़ राज्य में गरीब पिछड़ों को न्याय मिलना चाहिए़
केवल चुनावी स्टंट है : माले
माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने कहा कि यह भारत सरकार का चुनावी स्टंट है. अगर अगड़ों को आरक्षण देने को लेकर इतनी ही गंभीर थी, तो सरकार बनते समय ऐसा क्यों नहीं किया. जब चुनाव का समय आ गया है तो आरक्षण की बात उठायी जा रही है. आरक्षण सामाजिक विषय है. इसे आर्थिक रूप से जोड़ कर सरकार गलत कर रही है.
मंशा को समझना होगा : भाकपा
भाकपा के पूर्व राज्य सचिव केडी सिंह ने कहा है कि इसे समय की मांग के हिसाब से तैयार किया गया है. चुनाव के समय इस तरह की मांगें होती रहती हैं. सरकार अगर आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों को आरक्षण देती है, तो ठीक है. लेकिन, इसके पीछे की मंशा को जनता को समझना होगा.

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