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रांची : दुनिया मानती है कि आर्थिक ताकत नहीं, तो वजूद भी नहीं : हरिवंश

रांची : राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि पहले विचार और सिद्धांतों से चीजें तय होती थीं, पर तकनीक के युग में इन्हेंे आर्थिक ताकत तय करती है. हम इसे पसंद करें या न करें, पर दुनिया मानती है कि यदि आर्थिक ताकत नहीं है, तो वजूद भी नहीं है. शिक्षा के केंद्र प्रकाश […]

रांची : राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि पहले विचार और सिद्धांतों से चीजें तय होती थीं, पर तकनीक के युग में इन्हेंे आर्थिक ताकत तय करती है.
हम इसे पसंद करें या न करें, पर दुनिया मानती है कि यदि आर्थिक ताकत नहीं है, तो वजूद भी नहीं है. शिक्षा के केंद्र प्रकाश स्तंभ की तरह होते है़ं अमेरिकी विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में अच्छा कर रहे हैं, पर हमारे यहां मौलिक शोध पत्रों का भी अभाव है. हम नोबल लॉरियेट भी तैयार नहीं कर रहे. आइआइटी और विश्वविद्यालयों को भी स्वायत्तता देनी चाहिए. हालांकि, अब इस दिशा में तेजी से प्रगति हुई है. वर्तमान सरकार कई महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी दिख रहे हैं. वे रविवार को आरोग्य भवन, बरियातू में ‘बढ़ता देश एवं वर्तमान चुनौतियां’ विषय पर बोल रहे थे़
शासन ही तय करता है देश का भविष्य : उन्हाेंने कहा कि शासन प्रणाली ही देश का भविष्य तय करती है. पुराने ढंग के 1400 से अधिक कानून रद्द किये गये हैं. कुछ और भी होने चाहिए. जीएसटी व इससे जुड़े नौ अन्य कानून देश की आर्थिक एकता की बुनियाद बन रहे हैं.
काले धन पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाये जा रहे हैं. माइंस एंड मिनरल्स, फ्लैट की खरीदारी, भ्रष्टाचार पर रोक आदि के लिए कई कानून बने हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं. विगत 70 वर्षों की आजादी में हमने राजशाही, जमींदारी, प्रिवी पर्स तो खत्म किया, पर असली राज करनेवाले थैलीशाहों पर किसी ने हाथ नहीं डाला था. जब लूट को रोकने की सार्थक कोशिश हुई है, तो देश का समर्थ वर्ग नाराज है. ऐसे दर्जनों लोग देश से बाहर चले गये और बेचैन हैं. अब कर देने वालों की संख्या तीन गुनी बढ़ गयी है. आमद भी बढ़ा है.
इस बेहतर होती स्थिति में आधार की बड़ी भूमिका है. यदि इसमें कमियां हैं, तो उन्हें जरूर दूर करना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्रों में जो काम शुरू हुए हैं, वे दस सालों में देश को सबसे बड़ी आर्थिक ताकतों में शामिल करा देंगे. इसके अतिरिक्त रक्षा सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं. मूलभूत समस्याओं का समाधान जरूरी है़ व्याख्यान के बाद प्रश्वनोत्तर सत्र में उन्होंने कहा कि प्रजातांत्रितक व्यवस्था में बने रहते हुए भी चीन का मुकाबला कर सकते हैं. प्रजातंत्र में ही व्यक्तित्व का सर्वोत्तम प्रस्फुटन होता है. सक्षम लोगों को चुनना होगा.
लोकसभा- विधानसभा अच्छी तरह काम करें, तो यह संभव है. इससे पूर्व पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी़ कार्यक्रम में विस अध्यक्ष प्रो दिनेश उरांव, पद्मश्री अशोक भगत, प्रो केके नाग, डॉ पीएन सिंह, डॉ रमेश कुमार पांडेय, डॉ रमेश शरण, हरीश्वर दयाल, मनोज प्रसाद सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे़

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