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Thursday, March 28, 2024

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रांची : ये हैं सांपों के दोस्त अनुपम, देखें Video में, कैसे जहरीले सांपों को करते है अपने वश में

सुमीत कुमार वर्मा प्रभातखबर.कॉम रांची : गोस्सनर कॉलेज रांची से बीकॉम की पढ़ाई कर चूके अनुपम की कहानी भी अनोखी ही है. जिस उम्र में छात्रों के भटकने का समय होता है उस उम्र में अनुपम भटके हुए सांपों को रेस्क्यू कराने का काम करते हैं. जहां सांपों के नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे लोगों के […]

सुमीत कुमार वर्मा
प्रभातखबर.कॉम
रांची : गोस्सनर कॉलेज रांची से बीकॉम की पढ़ाई कर चूके अनुपम की कहानी भी अनोखी ही है. जिस उम्र में छात्रों के भटकने का समय होता है उस उम्र में अनुपम भटके हुए सांपों को रेस्क्यू कराने का काम करते हैं. जहां सांपों के नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे लोगों के पसीने छूट जाते है, वहीं इनका ये शौक काफी अजीबो-गरीब है.
बचपन से है वाइल्ड लाइफ का शौक
रांची में ‘स्नेक बॉय’ के नाम से प्रसिद्ध अनुपम का बचपन से ही वाइल्ड लाइफ में जाने का शौक था, लेकिन इनके इस जीव प्रेम से नाराज फ़ैमिली वालों का इन्हें सपोर्ट नहीं मिला. अंतत: इन्होनें कॉमर्स से अपना स्नातक किया। हालांकि सांपों से लगाव, उन्हें पकड़ना और रेस्क्यू करने का शौक कभी नहीं छूटा. अब तो पीड़ित लोगों के कॉल भी आते हैं.
किसी के घर में कोई भी जहरीला सांप निकले तो अनुपम जान की परवाह किये बिना, सांप पकड़ने वाला चिमटा और एक डिब्बा लेकर पहुंच जाते. आखिर बेटा समाज का भला ही तो कर रहा था, यही सोच परिवार वाले भी संतोष कर लेते हैं.
कैसे जहरीले सांप को करते है अपने वश में
जहरीले से जहरीले सांपों को पकड़ना अनुपम के लिये अब बायें हांथ का खेल है. ऐसा नहीं है कि पहले इन्हें डर नहीं लगता था. अनुपम के अनुसार झारखंड में पाये जाने वाले ज्यादातर सांप विषैले नहीं होते हैं. लकिन कुछ विषैले प्रजाति के भी होते है. जिन्हें पकड़ने के लिये इनके पास एक चिमटा है जो इन्हें फोरेस्ट विभाग से मिला हैं. फोरेस्ट के तरफ से अक्सर इन्हें बुलाया जाता हैं. इसके बदले में पहले इन्हें 6000 रू प्रतिमाह दिया जाता था.
क्या करते हैं सांपों को पकड़ कर
हालाकिं इस चिमटे से सांपों की चमड़ी छीलने का डर रहता हैं. कई बार रेस्क्यू के समय छिल भी जाता हैं और गहरा घाव हो जाता हैं. ऐसे में अनुपम पहले सांपों का प्राथमिक उपचार करते हैं. ज्यादा दिक्कत होने पर वेटेनरी अस्पताल ले जाते हैं. इसके बाद या तो उन्हें घने जंगलों में या शहर के ओरमांझी जू में छोड़ देते हैं. जबकि संपेरे अपने निजी स्वार्थ और व्यवसायिक कामों में इसका प्रयोग करते हैं. दांतों को तोड़ देते हैं. अवैध तरिके से दवाईयों के लिये इसका तेल भी निकाल कर बेच देते हैं.
मानसून में ज्यादा क्यों निकलते हैं सांप
ज्यादातर सांप मानसून में ही निकलते है, ये है इसके प्रमुख कारण-
1. सर्दी से बचने के लिए सांप सर्दी के मौसम में गर्म जगहों पर रहना पसंद करते है, यही वजह है कि इस मौसम में सांप बिल में चले जाते हैं.
2. सांप ज्यादातर घने जंगलों, नदी, नाले व झीलों के आस-पास पाये जाते है. यही कारण है कि मानसून के महीने में जहां-तहां पानी जमा होना, बाग-बगीचों में अनचाहे पौधों का उगना सांपों के आगमन की वजह हैं.
3. अगर आपके बगीचों या घरों में चुहों की संख्या ज्यादा है तो रैट स्नेक (धामन सांप) के आगमन की वजह बन सकता हैं.
4. जंगलों का कटना भी सांपों के शहरी क्षेत्र के तरफ पलायन की वजह हैं.
झारखंड में कितने तरह के सांप पाये जाते हैं
झारखंड में ऐसे तो कई तरह के सांप पाये जाते हैं, लेकिन अनुपम के अनुसार उनका पाला मुख्यत: पांच-छह तरह के सांपों से पड़ा हैं. मानसून के दौरान सांप निकलने के कई मामले आते हैं. आइये जानते है झारखंड में पाये जाने वाले कुछ प्रमुख सांपों के बारे में –
1. रसेल वाइपर – अजगर की तरह दिखने वाले इस सांप की लंबाई चार से साढ़े चार फीट की होती है. यह सबसे जहरीला व खतरनाक सांप होता हैं. और यह झारखंड में सर्वाधिक पाये जा रहे हैं. भारत के अलावा श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल बंग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों में भी पाया जाता हैं. यह सांप बहुत से डंक मार कर सुस्त मुद्रा में आ जाता हैं.
2. करैत – सफेद-काले और पीले रंग में पाये जाने वाले इस सांप का विष रसेल वाइपर से जरूर कम होता है, लेकिन सबसे ज्यादा मौत इसी के काटने से होती हैं. इसके दांत बहुत छोटे होते हैं, काटने वाले व्यक्ति को अंदाजा भी नहीं लगता है की उसे किसी सांप ने काटा भी हैं. दिन के समय में यह सांप बिल्कुल सुस्त रहता है जबकी रात में एक्टिव हो जाता हैं.
3. कोबरा – काले रंग का कोबरा 6-7 फीट का होता हैं. इसे झारखंड में नाजा और देश में काला नाग के नाम से भी जाना जाता हैं. यह सांप बहुत ही विषैला होता हैं. इसकी फूंकार ही किसी को डराने के लिए काफी हैं. यह बहुत ही फूर्तिला होता हैं. कई जगहों पर इसकी पूजा भी की जाती हैं. हिन्दु धर्म इस प्रजाति का अलग महत्व हैं.
4. रैट स्नेक (धामन सांप) –इस सांप की लंबाई सात-आठ फीट से भी ज्यादा होती हैं. इस सांप का जहर नहीं फैलता हैं, हालांकि इसके काटने के बाद टेटनस का इंजेक्शन ले लेना चाहिए. किसानों के लिये यह सांप वरदान से कम नही हैं. खेतों को बर्बाद करने वाले चूहों के लिये आफत हैं यह सांप. भूरे रंग का सांप झारखंड में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला सांप हैं. फूर्ति से भरपूर यह सांप काटने के बाद चंद सेकेंडों में आंखों से ओझल हो जाता हैं.
5. ढ़ोर सांप (पानी वाला सांप) – इस सांप की लंबाई ज्यादा नहीं होती हैं. और यह बारिश के मौसम में आमतौर पर पाया जाने वाला सांप हैं. यह काटता तो बहुत है लकिन इसमें जरा भी विष नहीं होता हैं.
क्यों काटते हैं सांप
अनुपम बताते हैं कि सांप सबसे डरपोक प्रजाति होता हैं. अत: उसके आस-पास किसी के महसूस होते ही डर जाता, और अपने बचाव के लिये वार कर देता हैं. इसलिये कभी भी सांपों को छेड़ना नहीं चाहिए. रेस्क्यू करने वालों को संपर्क करना चाहिए.
सांप काटे तो करें ये शुरूआती उपचार
– घाव को पानी से अच्छी तरह धोएं
– जिसको सांप काटा है, उसे चलने-फिरने बिलकुल न दें
– जहां सांप काटा है, उस जगह को कपड़े से बांध दें
– कपड़े को हल्का ही बांधें, कसकर बांधने पर कई बार शरीर में गैंगरीन फैल जाता है
– तुरंत डाक्टर के पास ले जाएं
– झाड़ फूंक या देसी दवा के चक्कर में समय न गंवाएं
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