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ये है रांची का शाहीन बाग, दिल्ली की तर्ज पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में धरना-प्रदर्शन व आंदोलन शुरू

रांची : दिल्ली का शाहीन बाग इन दिनों संघर्ष का प्रतीक बना हुआ है. उसी की तर्ज पर रांची की महिलाएं भी अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में धरना शुरू कर दिया है. कडरू हज हाउस के ठीक सामने सर्द रातों में भी महिलाएं खुले आसमान के नीचे […]

रांची : दिल्ली का शाहीन बाग इन दिनों संघर्ष का प्रतीक बना हुआ है. उसी की तर्ज पर रांची की महिलाएं भी अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में धरना शुरू कर दिया है.

कडरू हज हाउस के ठीक सामने सर्द रातों में भी महिलाएं खुले आसमान के नीचे धरना दे रही हैं. सोमवार को शुरू हुआ धरना, मंगलवार को भी जारी रहा. रात नौ बजे भी महिलाएं धरना पर बैठी थीं. उनकी मानें तो जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता, तब तक वह अपने बच्चों के साथ ऐसे ही बैठी रहेंगी. इस दौरान बड़ी संख्या में घरेलू महिलाएं, स्कूली व कॉलेज छात्राएं, युवक-युवातियां भी थे.

वे न सिर्फ महिलाओं के आंदोलन में शरीक हाे रहे हैं, बल्कि धरना स्थल की जिम्मेवारी भी संभाल रही हैं. इस दौरान महिलाएं देशभक्ति के नगमे और मुट्ठी भींचे इंकलाब के नारे बुलंद करती दिखीं. ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा, ये शुभ दिन है हम सब का, लहरा लो तिरंगा प्यारा…, सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्ता हमारा, हम बुलबुले हैं इसकी, यह गुलिस्तां हमारा…, रहता है दिल वतन में, समझो वहीं हमें भी… जैसे गीतों से पूरा परिसर गूंज रहा था. धरना पर बैठी महिलाओं के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी थे. सबकी जुबां पर सीएए और एनआरसी के विराधे की ही बातें थीं. उनका कहना था कि जब तक केंद्र सरकार यह बिल वापस नहीं लेगी, हमारा विरोध जारी रहेगा.

शाहीनबाग तो एक जिद्द है…

धरना में शामिल सलमा कहती हैं कि कुछ तो ऐसा होगा, जिसने हम महिलाओं को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है. शाहीन बाग तो एक जिद्द है. सोमवार की दोपहर बाद चंद औरतें हाथों में तख्तियां लेकर धरने पर बैठी थीं. हमें देख कर महिलाएं आती गईं और भीड़ जुटती गई. सीएए पर क्या राय या डर है, इसका अंदाजा 60 वर्षीय मेहरुन्निशा की बातों से भी लग जाता है. वे कहती हैं कि ‘हमें इतना ही पता है कि इससे हमारे संविधान को, हमारे मुल्क को और हमारे बच्चों को खतरा है.

अत्यधिक भीड़ के कारण एक अतिरिक्त पंडाल बनाया गया

धरना में मंगलवार को अत्यधिक भीड़ होने के कारण मुख्य पंडाल के बगल में एक और पंडाल बनाया गया. वह भी पंडाल दिन में महिलाओं से पूरा भर गया था. इस कारण से काफी महिलायें इधर-उधर खड़े रह कर कार्यक्रम में शामिल हुईं. महिलाओं की देखरेख के लिए महिला वोलेंटियर तैनात की गयी हैं. वहीं, धरना स्थल पर पुरुष खड़े न हों, इसके लिए भी वोलेंटियर तैनात हैं. वो लोगों से दूर रह कर उन्हें नैतिक समर्थन देने की बात कह रहे हैं.

खाने-पीने का विशेष इंतजाम

रात के धरना में शामिल महिलाओं के खाने व रहने का विशेष इंतजाम स्थानीय कमेटी और अन्य लोगों के सहयोग से किया जा रहा है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए कडरू व आसपास के नौजवान रात भर बारी-बारी से पहरा दे रहे हैं. वहीं, ठंड को देखते हुए उनके लिए गर्म कपड़े व अलाव आदि की भी व्यवस्था की गयी है. समय-समय पर महिलाओं को चाय भी दी जा रही है. रात 10 से सुबह सात बजे तक सभा स्थगित रहती है. राष्ट्रीय गीत से इसकी शुरुआत होती है और इसी के साथ समापन भी होता है.

सीएए, एनपीआर के विरोध में महिलाएं रखेंगी रोजा

एनआरसी, सीएए और एनपीआर के विरोध में कांटाटोली की महिलाओं ने बैठक कर 23 व 24 जनवरी को रोजा रखने का निर्णय लिया है. रोजा के बाद शाम में सामूहिक इफ्तार का आयोजन सुल्तान कॉलोनी स्थित शबनम मुजीब के आवास पर किया जायेगा.

इसमें सामूहिक रूप से इस कानून को निरस्त करने के लिए सभी महिलाएं दुआ करेंगी. यह निर्णय शबनम की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया. इसके अलावा 25 जनवरी को डोरंडा में होनेवाले विशाल विरोध प्रदर्शन में भी महिलाएं हिस्सा लेंगी. शबनम ने रांची की महिलाओं से अपील की है कि विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर इस काले कानून का विरोध करें.

एक शाम संविधान के नाम कार्यक्रम 26 जनवरी को

कडरू ईदगाह मैदान में 26 जनवरी को ‘एक शाम संविधान के नाम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस दौरान विभिन्न मंच के कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया जायेगा. यह कार्यक्रम शाम चार बजे से शुरू होगा, जो देर रात तक चलेगा. इसमें गीत, संगीत, कविता, नाटक, फिल्म आदि के जरिये संविधान के बारे में बातें की जायेंगी.

हम चाहते हैं कि यह सीएए, एनआरसी को सरकार वापस ले ले, क्योंकि यह देश को बांटनेवाला कानून है. इसने हमें बांट दिया है. सभी को मिल कर सोचना होगा कि यह एक देश-एक भारतीयता की लड़ाई है.

– शमरीन अख्तर

शायद मोदी सरकार ये नहीं जानती कि इस बार उसका पाला हिंदुस्तान की औरतों से पड़ा है. आप बोलते हो कि हम नागरिकता देना चाहते हैं, लेना नहीं चाहते. प्रधानमंत्री जी हम भारतीयता खोना नहीं चाहते.

-नुशी बेगम

मोदीजी ने हमें घरों से बाहर निकालने की तैयारी कर ली है. अब हम सड़क पर ही तो आ चुके हैं. ऐसे में सड़क पर न बैठें तो कहां जाएं. वह अक्सर कहते हैं कि हम एक इंच नहीं हटेंगे, हम कहते हैं हम एक तिल नहीं हटेंगे.

-खुशबू खान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी को सीएए वापस लेना पड़ेगा और जब तक ऐसा नहीं होगा, हम चाहें मर-मिट जाएं, हम यहां से नहीं हिलेंगे. वे (सरकार) अपनी जिद दिखाएं और हम अपनी जिद दिखाएंगे.

-गजाला तसनीम

तीन तलाक कानून के वक्त मोदी जी ने हमें बहन कहा था. आज हमारे भैया कहां हैं. क्यों आज उनकी भावनाएं मर चुकी हैं. शायद भैया (प्रधानमंत्री) नहीं जानते कि आज हिंदुस्तान की औरतें उनकी वजह से सड़क पर हैं.

-शगुफ्ता यास्मीन

यह हम सब की भावना है एक होकर संविधान को बचाने की. इन गंभीर सवालों पर पहले सरकार विश्वास में लेती. आज रोजगार, महंगाई और इकोनॉमी देश के गंभीर सवाल हैं, पहले उनका हल खोजा जाना चाहिए.

-मेहर सऊद

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