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रांची : मौसमी बीमारी से पीड़ित बच्चों से पटा रिम्स का शिशु विभाग, फर्श पर किया जा रहा बच्चों का इलाज

बढ़ गया लोड : क्षमता से डेढ़ गुना अधिक बच्चे हैं वार्ड में भर्ती गैलरी के फर्श पर किया जा रहा बच्चों का इलाज रांची : रिम्स के शिशु विभाग का दोनों वार्ड (पीडियाट्रिक्स-वन व पीडियाट्रिक्स-टू) इन दिनों मौसमी बीमारी से पीड़ित बच्चों से भरा हुआ है. बच्चाें की संख्या इतनी अधिक हो गयी है […]

बढ़ गया लोड : क्षमता से डेढ़ गुना अधिक बच्चे हैं वार्ड में भर्ती
गैलरी के फर्श पर किया जा रहा बच्चों का इलाज
रांची : रिम्स के शिशु विभाग का दोनों वार्ड (पीडियाट्रिक्स-वन व पीडियाट्रिक्स-टू) इन दिनों मौसमी बीमारी से पीड़ित बच्चों से भरा हुआ है. बच्चाें की संख्या इतनी अधिक हो गयी है कि गैलरी के फर्श पर इलाज किया जा रहा है. क्षमता से डेढ़ गुना बच्चे वार्ड में भर्ती हैं. कई बच्चे ब्रेन मलेरिया व इंसेफलाइटिस से पीड़ित हैं. यहां 36 बेड हैं, लेकिन लगभग 54 बच्चों का इलाज चल रहा है. सबसे ज्यादा संख्या पीडियाट्रिक्स वन में है, जहां 20 से ज्यादा बच्चे फर्श पर हैं. शिशु विभाग में भर्ती गिरिडीह का 12 वर्षीय सुधीर कुमार व दो साल का आयुष कुमार मौसमी बुखार से पीड़ित है. वहीं गढ़वा की संगीता कुमारी इंसेफलाइटिस से पीड़ित है.
कुपोषित बच्चे का चल रहा इलाज
शिशु विभाग में डॉ मिन्नी रानी अखौरी की देखरेख में कुपोषण के शिकार बच्चे का इलाज चल रहा है. बच्चे का वजन बहुत कम है. इसे दवा के साथ-साथ किचन से अलग से कैलोरीयुक्त भोजन दिया जा रहा है. हाल ही में कुपोषण से पीड़ित एक बच्ची को यहां से स्वस्थ कर घर भेजा गया.
शिशु विभाग में मौसमी बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या अधिक है. ब्रेन मलेरिया व इंसेफलाइटिस से पीड़ित बच्चे भी हैं, जिसमें से कई ठीक होकर घर गये हैं. कुपोषण पीड़ित एक बच्चे का भी इलाज किया जा रहा है.
डॉ मिन्नी रानी अखौरी, शिशु रोग विशेषज्ञ
एनआइसीयू : क्षमता 17 बच्चों की, इलाज हो रहा 40 बच्चों का
रांची : रिम्स के शिशु विभाग के एनआइसीयू (न्यू बोर्न इंटेसिव केयर यूनिट या निक्कू) में 17 बच्चों को भर्ती कर इलाज करने की सुविधा है, लेकिन वार्ड में 40 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जाता है. निक्कू में लगे वार्मर मेेें कई बार दो से तीन बच्चाेें को रखना पड़ता है. फोटोथैरेपी मशीन में भी एक से अधिक बच्चों का इलाज किया जाता है.
बीमार बच्चों की संख्या इसलिए अधिक रहती है, क्योंकि रिम्स मेें आनेवाले मरीजों काे लौटाया नहीं जा सकता है. एनआइसीयू में सात वार्मर, चार फोटोथैरेपी मशीन व बेड की संख्या छह है. शिशु विभाग से मिले आंकड़े की मानें, तो निक्कू वार्ड में आठ सितंबर को 40, नौ सितंबर को 36 व 10 सितंबर को 35 बच्चे भर्ती थे. हालांकि सीमित संसाधन में अधिकांश बच्चों को स्वस्थ कर भेजा गया. उन्हीं बच्चों की मौत हुई, जो गंभीर अवस्था मेें निजी अस्पताल से रिम्स रेफर होकर आये थे.
शाम होते ही निजी अस्पताल से आने लगते हैं मरीज
रिम्स के शिशु विभाग के एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में शाम होते ही निजी अस्पतालों से बीमार बच्चे गंभीर अवस्था में आने लगते हैं. एक नर्स ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि शाम चार बजे से रात सात बजे तक गंभीर रूप से बीमार बच्चे रिम्स पहुंचने लगते हैं. हर दिन औसतन दो से तीन बच्चे निजी अस्पताल से भर्ती कराये जाते हैं.
निक्कू वार्ड की स्थिति
तिथि भर्ती बच्चे
आठ सितंबर 40
नौ सितंबर 36
10 सितंबर 35
11 सितंबर 30
12 सितंबर 28
13 सितंबर 29
एनआइसीयू की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रक्रिया चल रही है. हम गंभीर बीमार बच्चों को लौटा नहीं सकते हैं. इसलिए यह नौबत होती है. यह स्पष्ट निर्देश है कि आवश्यकता होने पर एसएनसीयू से कुछ उपकरण एनआइसीयू में लाकर उपयोग किया जाये.
डॉ आरके श्रीवास्तव, निदेशक, रिम्स

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