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रांची : पुलिस अफसर नहीं पहचान पाये कुंदन पाहन को, कोर्ट ने दिया संदेह का लाभ, हो गया बरी

रांची : नामकुम के गरूढ़पीढ़ी जंगल में पुलिस के साथ वर्ष 2009 में नक्सलियों की हुई मुठभेड़ मामले में संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन को बरी कर दिया है. कुंदन ने रांची रेंज के डीआइजी अमाेल वेणुकांत होमकर के समक्ष मई, 2017 में सरेंडर किया था. एजेसी एसके सिंह […]

रांची : नामकुम के गरूढ़पीढ़ी जंगल में पुलिस के साथ वर्ष 2009 में नक्सलियों की हुई मुठभेड़ मामले में संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन को बरी कर दिया है. कुंदन ने रांची रेंज के डीआइजी अमाेल वेणुकांत होमकर के समक्ष मई, 2017 में सरेंडर किया था.
एजेसी एसके सिंह की अदालत ने अपने फैसले में लिखा है : तथ्यों और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से प्रतीत होता है कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ लगे आरोपों को साबित करने में असफल रहा है. इस वजह से अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया. कुंदन पाहन काे अभी जेल में ही रहना हाेगा, क्याेंकि कुंदन पाहन पर तमाड़ के पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड सहित दर्जनों मामले चल रहे हैं.
ऑपरेशन नाग के दौरान हुई थी मुठभेड़ : 31 मई, 2009 को बुंडू पुलिस अॉपरेशन नाग के तहत नक्सलियों के खिलाफ अभियान पर निकली थी. पुलिस दल में तत्कालीन एसडीपीअो आनंद जोसेफ तिग्गा, एसआइ नागेश्वर रजक सहित अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे.
पुलिस पहले बारहातू पिकेट पहुंची. इसके बाद सभी बारूहातू पहाड़ पहुंचे. वहां सर्च के दौरान पुलिस को नक्सलियों का एक बंकर मिला. पुलिस ने वहां से दवा सहित अन्य सामग्रियाें को जब्त किया. इसी दौरान नामकुम थाना पुलिस के साथ लाली टांगरटोली नामक स्थान पर नक्सलियों के साथ मुठभेड़ की सूचना बुंडू पुलिस को मिली. इसके बाद बुंडू पुलिस की टीम नामकुम के गरूढ़पीढ़ी जंगल में पहुंची.
वहां से लौटने के क्रम में घात लगाये नक्सलियों ने फायरिंग की, जिसका पुलिस ने जवाब दिया. इस मामले में कुंदन पाहन सहित अन्य के खिलाफ बुंडू थाना में कांड संख्या 51/2009 के तहत मामला दर्ज किया गया था. मामले के तीन गवाह सूचक नागेश्वर रजक, इंस्पेक्टर कौशलेंद्र कुमार झा व छापामारी टीम में शामिल कार्तिक उरांव ने गवाही के दौरान कुंदन पाहन की पहचान नहीं की.
नामकुम के गरूढ़पीढ़ी जंगल में वर्ष 2009 में हुई थी मुठभेड़
इन चर्चित वारदातों में भी शामिल रहने का आराेप
04 मार्च, 2007 : जमशेदपुर से झामुमो के सांसद रहे सुनील महतो की गोली मार कर हत्या.
21, मई 2008 : रांची-टाटा हाइवे पर निजी बैंक के कैश वाहन से साढ़े पांच करोड़ रुपये व एक किलोग्राम सोने की लूट.
30 जून, 2008 : लैंडमाइन विस्फोट कर डीएसपी प्रमोद कुमार समेत छह पुलिसकर्मियों की हत्या.
08 जुलाई, 2008 : जदयू नेता व पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की तमाड़ में गोली मारकर हत्या.
06 अक्तूबर, 2009: रांची-टाटा हाइवे पर विशेष शाखा के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की सिर काटकर हत्या.

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