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रांची : पुलिस ने नाबालिग को बताया बालिग, पाकुड़ सेशन कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा, हाइकोर्ट ने लगायी रोक

अमन तिवारी रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने हत्या के आरोपी नाबालिग दानियल उर्फ प्रेम मरांडी को सेशन कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा पर रोक लगा दी है. पाकुड़ पुलिस द्वारा नाबालिग अभियुक्त को बालिग बताने की वजह से पाकुड़ के एडिशनल सेशन जज ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. इसके बाद […]

अमन तिवारी
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने हत्या के आरोपी नाबालिग दानियल उर्फ प्रेम मरांडी को सेशन कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा पर रोक लगा दी है. पाकुड़ पुलिस द्वारा नाबालिग अभियुक्त को बालिग बताने की वजह से पाकुड़ के एडिशनल सेशन जज ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. इसके बाद अभियुक्त ने दो बार हाइकोर्ट में याचिका दायर की.
दोनों बार उसकी याचिका खारिज कर दी गयी. तीसरी बार याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने सजा पर रोक लगाने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि पुलिस अकादमी में ‘एज मेमो’ को ठीक से पढ़ाया जाये, ताकि भविष्य में ऐसी गलती नहीं हो. हाइकोर्ट ने फैसले की प्रति मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी और पुलिस अकादमी को भेजने और जांच अधिकारी से जवाब-तलब करने का भी निर्देश दिया है.
मई 2012 में एडिशनल सेशन जज ने सुनायी थी सजा : पाकुड़ के दतोई निवासी सुगन मरांडी की हत्या के आरोप में एडिशनल सेशन जज-1 ने (ट्रायल केस नंबर 172/2007) अभियुक्त दानियल उर्फ प्रेम मरांडी को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी.
मई 2012 में सेशन कोर्ट द्वारा दी गया सजा के खिलाफ अभियुक्त की ओर से खुद को नाबालिग बताते हाइकोर्ट में दो बार याचिका दाखिल की गयी. इसमें उसे मिली सजा पर रोक लगाने की मांग की गयी थी. हाइकोर्ट ने दोनों याचिका को खारिज कर दिया था. अभियुक्त की ओर से तीसरी बार वर्ष 2014 में खुद को नाबालिग बताते हुए याचिका दाखिल की गयी.
इसमें यह कहा गया कि अभियुक्त की जन्म तिथि 20 अक्तूबर 1993 है. हत्या की जिस घटना में उसे दोषी करार देते हुए सजा सुनायी गयी है, वह घटना 25 अप्रैल 2007 को हुई थी. यानी घटना के दिन अभियुक्त प्रेम मरांडी की उम्र 13 साल छह महीना पांच दिन थी. इस तरह जुबेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड) एक्ट 2000 की धारा 2(के) और 2(1) के तहत अभियुक्त नाबालिग था. तीसरी बार दायर याचिका पर हाइकोर्ट नेे पाकुड़ के जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड से रिपोर्ट मांगी. बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट ने 13 अप्रैल 2018 को अपनी रिपोर्ट हाइकोर्ट को सौंपी. इसमें यह कहा गया कि हत्या की घटना के दिन अभियुक्त नाबालिग था.
बोर्ड की इस रिपोर्ट के आधार पर हाइकोर्ट ने 31 अक्तूबर 2018 को प्रेम मरांडी की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति डीएन पटेल और एके गुप्ता ने पाकुड़ के सेशन जज द्वारा दी गया सजा पर सशर्त रोक लगा दी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियुक्त इस बात का बांड देगा कि वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा. साथ ही जब भी कोर्ट को जरूरत होगी, वह हाजिर रहेगा.
‘एज मेमो’ में बरती गयी लापरवाही से कोर्ट में भ्रम की स्थिति पैदा होती है : हाइकोर्ट ने प्रेम मरांडी की याचिका को निष्पादित करते हुए पुलिस को ‘एज मेमो ’ से संबंधित आदेश दिया है. इसमें कहा गया है कि ‘एज मेमो’ में पुलिस द्वारा बरती गयी लापरवाही से कोर्ट में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है. वरीय पुलिस अधिकारियों के इस तरह की भ्रम की स्थिति का निराकरण करना चाहिए. जुबेनाइल जस्टिस एक्ट के सेमिनार में कई बार ‘एज मेमो’ के बार में बताया गया है.
जब तक अनुसंधानकर्ता को ‘एज मेमो’ का कंसेप्ट क्लियर नहीं होगा, तब तक आरोप पत्र में इस तरह की गलतियाें के होने का अंदेशा बना रहेगा. इसलिए डीजीपी और उनकी टीम द्वारा पुलिस अकादमी में ‘एज मेमो’ के बारे में ठीक से पढ़ाया जाना चाहिए. डीजीपी की ओर से यह निर्देश भी जारी किया जाना चाहिए कि अनुसंधानकर्ता आरोप पत्र दायर करते समय ‘एज मेमो ’ के पूरे प्रारूप को सही ढंग से भरे. हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात सरकार बनाम किशन भाई एवं अन्य के मामले में दिये गये फैसले को उद्धृत करते हुए कहा कि जब किसी मामले में अभियुक्त बरी हो जाये, तो जांच अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए.
हाइकोर्ट ने कहा
25 अप्रैल 2007
महेशपुर के दतोई गांव निवासी सुगन मरांडी की हुई थी हत्या. घटना के दिन अभियुक्त प्रेम मरांडी की उम्र 13 साल छह महीना पांच दिन थी.
मई 2012
सेशन कोर्ट (पाकुड़) ने हत्या के आरोपी नाबालिग दानियल उर्फ प्रेम को सुनायी थी सजा
सजा पर रोक लगाने के लिए दानियल ने खुद को नाबालिग बताते हाइकोर्ट में दो बार याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया.
13 अप्रैल 2018
बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट हाइकोर्ट को सौंपी
31 अक्तूबर 2018
हाइकोर्ट ने प्रेम मरांडी की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया

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