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रांची : पारसनाथ समेत आठ वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी इको सेंसिटिव जोन घोषित

सुनील चौधरी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना रांची : झारखंड के आठ वन्य जीव अभयारण्य (वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी) के इर्द-गिर्द इको सेंसिटिव (पारिस्थितिकी संवेदी) जोन घोषित कर दिया गया है. यानी इन अभयारण्य के सीमा क्षेत्र से सटे शून्य से पांच किमी तक के इलाके में किसी प्रकार की […]

सुनील चौधरी
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना
रांची : झारखंड के आठ वन्य जीव अभयारण्य (वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी) के इर्द-गिर्द इको सेंसिटिव (पारिस्थितिकी संवेदी) जोन घोषित कर दिया गया है.
यानी इन अभयारण्य के सीमा क्षेत्र से सटे शून्य से पांच किमी तक के इलाके में किसी प्रकार की माइनिंग या औद्योगिक या प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियां नहीं की जा सकेंगी. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक अगस्त 2019 से लेकर नौ अगस्त 2019 तक अलग-अलग अधिसूचना जारी कर दी है.
प्रत्येक वन्य जीव अभयारण्य के लिए अलग-अलग इको सेंसिटिव जोन निर्धारित किये गये हैं. साथ ही राज्य सरकारों को इसके अनुरूप ही कार्रवाई का निर्देश दिया है. केंद्र सरकार की इस अधिसूचना की जानकारी झारखंड के वन विभाग द्वारा खनन विभाग, उद्योग विभाग व अन्य विभागों को भेजकर इसके अनुरूप ही कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है. हालांकि इको सेंसिटिव जोन क्षेत्र में महत्वपूर्ण खनिजों के खदान नहीं आ रहे हैं. पर पत्थर के हजारों खदानें इस क्षेत्र के दायरे में जायेंगे, जहां पत्थर खनन नहीं किया जा सकेगा.
क्या नहीं हो सकता जोन में
वृहद वाणिज्यिक गतिविधि, आवासीय परिसर का निर्माण, औद्योगिक गतिविधि, खनन गतिविधि, प्रदूषण फैलाने वाले कार्य नहीं हो सकते हैं
ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण फैलाने वाले काम नहीं होंगे
नये आरा मिल की स्थापना नहीं हो सकेगी
क्या हो सकता है जोन में
प्रदूषण न फैलाने वाले लघु, कुटीर और ग्रामोद्योग को बढ़ावा दिया जा सकता है
पारिस्थितिकी पर्यटन के काम हो सकते हैं, पर होटल एक किमी दायरे के बाहर हो
प्राकृतिक जल स्त्रोत, प्राकृतिक संरचना, शैल संरचना, जल प्रपात, झरना, दर्रा, उपवन, गुफाएं, वन पथ की पहचान कर संरक्षित करना है
1.गौतम बुद्ध वन्य जीव अभयारण्य (हजारीबाग): 121 वर्ग किमी में यह क्षेत्र फैला हुआ है. यहां एलिफैंट कॉरीडोर भी है. यहां इसकी सीमा से शून्य से पांच किमी तक इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है.
2.हजारीबाग वन्य जीव अभयारण्य (हजारीबाग): 186.25 वर्ग किमी में यह क्षेत्र फैला हुआ है.यहां सबसे बड़ा हिरण प्रजाति सांभर का निवास था. भेड़िया व तेंदुआ भी दिखाई देते हैं. इसकी सीमा से 900 मीटर से पांच किमी तक की परिधि को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है.
3.पलामू वन्यजीव अभयारण्य, बेतला राष्ट्रीय उद्यान और महुआडांड़ भेड़िया अभयारण्य : इसकी सीमा गढ़वा और लातेहार जिला तक फैली है. 1042.52 वर्ग किमी में यह क्षेत्र है. यहां टाइगर रिजर्व भी है. यहां सीमा से शून्य से सात किमी की परिधि को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है.
4.उधवा झील पक्षी अभयारण्य (साहेबगंज) : यहां दो बड़े झील पटौरा झील 155 हेक्टेयर में और ब्रह्मा जमालपुर झील 410 हेक्टेयर में है. यह पक्षियों का प्रवास स्थल है. यहां सीमा से सटे 0.2 किमी से लेकर दो किमी तक के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है.
5.पालकोट वन्यजीव अभयारण्य (गुमला, सिमडेगा ) : यहां भालू प्रजाति महत्वपूर्ण है. यहां तेंदुआ, पिसूरी, अजगर, साल आदि भी पाये जाते हैं. यह 183.18 वर्ग किमी में फैला है. यहां सीमा से सटे 350 मीटर से लेकर पांच किमी तक की परिधि के क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन घोषित किये गये हैं.
6.पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य (गिरिडीह) व तोपचांची वन्य जीव अभयारण्य (धनबाद) : यह 62.15 वर्ग किमी में फैला है. इसकी सीमा से सटे शून्य से 25 किमी तक का क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है.
7.कोडरमा वन्य जीव अभयारण्य (कोडरमा) : यह 150.628 वर्ग किमी में फैला है. यहां इसकी सीमा से शून्य से पांच किमी की परिधि को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है.
8.लावालौंग वन्यजीव अभयारण्य (चतरा) : 211.03 वर्ग किमी इसका क्षेत्रफल है. इसकी अधिसूचना 9.8.2019 को जारी की गयी है. यहां इसकी सीमा से 1.80 किमी से लेकर पांच किमी तक इको सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है.
इको सेंसिटिव जोन वाले जिले : पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, चतरा, गिरिडीह, धनबाद, हजारीबाग, कोडरमा, साहेबगंज.

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