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एक किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाती हैं, तो बुझती है प्यास

रांची : राजधानी से सटे ओरमांझी प्रखंड का जावाबेड़ा गांव जल संकट से जूझ रहा है़ करीब पांच सौ की आबादी वाले इस जनजाति बहुल गांव के लोगों को पीने का पानी लाने के लिए एक किलोमीटर दूर स्थित कुएं पर जाना पड़ता है. सुबह होते ही ग्रामीण बाल-बच्चों के साथ पानी ढोने में जुट […]

रांची : राजधानी से सटे ओरमांझी प्रखंड का जावाबेड़ा गांव जल संकट से जूझ रहा है़ करीब पांच सौ की आबादी वाले इस जनजाति बहुल गांव के लोगों को पीने का पानी लाने के लिए एक किलोमीटर दूर स्थित कुएं पर जाना पड़ता है. सुबह होते ही ग्रामीण बाल-बच्चों के साथ पानी ढोने में जुट जाते हैं.

गर्मी में उनकी परेशानी काफी बढ़ जाती है़ कुएं का पानी सूख जाने पर पहाड़ पर स्थित झरना से पानी ढोकर लाना पड़ता है़ मई-जून में तो पानी पीने के लायक भी नहीं रहता. ऐसे में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है़ लोग पीने का पानी तक जुटा नहीं पाते, खेती करना तो दूर की बात है़
गांव में नहीं है एक भी चापाकल
यह दुर्भाग्य है कि जावाबेड़ा गांव के अंदर एक भी चापाकल नहीं है़ वैसे कहने को तो गांव के सरकारी स्कूल में दो चापाकल है, लेकिन दोनों खराब हैं. कई बार बोरिंग का प्रयास भी किया गया, लेकिन वह फेल हो जाता रहा है़
झरना का पानी बांध कर दूर हो सकती है समस्या : जावाबेड़ा गांव में जल संकट को लेकर पूर्व मुखिया शीला देवी का कहना है कि चापाकल के लिए ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करके भेजा गया था़
लेकिन उस पर कोई काम नहीं हुआ है़ वहीं ग्राम प्रधान कमल बेदिया ने कहा कि बड़का पहाड़ से गिरने वाले झरना का पानी गांव के लिए बेहतर जल स्रोत है, जो रामगढ़ जिला के बारीडीह पंचायत होकर निकल जाता है़ अगर इस पानी को बांध दिया जाए, तो लोगों की जरूरतें सहित खेती में सुविधा होगी़ इसके लिए सरकार को आगे आना होगा़ यहां की स्थिति को जानना होगा़
प्रस्तुति – पल्लवी बेदिया, छात्रा, राय यूनिवर्सिटी
गर्मी में सिर पर पानी ढोना आसान नहीं होता
हम महिलाओं को एक किलोमीटर दूर से पानी लाने में बहुत दिक्कत होती है़ गर्मी में सिर पर पानी रख कर ढोना भी आसान नहीं होता़ सरकार को यहां शीघ्र पेयजल सुविधा मुहैया कराना चाहिए.
झानों देवी
गांव का तालाब दूर है़ नहाने के लिए पानी की दिक्कत होती है़ दो किलोमीटर जाकर पानी लाएं, तो घर का काम कब करेंगे़ ऐसी स्थिति रहेगी तो गांव का विकास कब होगा़ सरकार को गांव के विकास के लिए सोचना चाहिए़
बलराम बेदिया
बच्चों को पानी ढोता देख बहुत बुरा लगता है, पर क्या करें. गांव की जो स्थिति है, उसमें बच्चों को भी पानी ढोने के लिए लगा दिया जाता है़ ऐसी स्थिति में सरकार को इन बच्चों के भविष्य का अंदाजा लगा लेना चाहिए.
शांति कुमारी

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