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Friday, March 29, 2024

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रांची : मनी लाउंड्रिंग के आरोपी सीए नरेश ने किया सरेंडर

रांची : सुप्रीम कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपी चार्टर्ड अकाउंटेंट नरेश केजरीवाल को पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश के कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया है. साथ ही ट्रायल कोर्ट द्वारा अभियुक्त की नियमित जमानत याचिका पर फैसला होने तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में […]

रांची : सुप्रीम कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपी चार्टर्ड अकाउंटेंट नरेश केजरीवाल को पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश के कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया है. साथ ही ट्रायल कोर्ट द्वारा अभियुक्त की नियमित जमानत याचिका पर फैसला होने तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सीए ने विशेष न्यायाधीश की अदालत में सरेंडर कर दिया. हालांकि उसकी जमानत याचिका पर अभी फैसला नहीं हो सका है.
हाइकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से िकया इनकार : इडी द्वारा सीए केजरीवाल को मनी लाउंड्रिंग के मामले में आरोपी बनाये जाने के बाद ट्रायल कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी.
हाइकोर्ट ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अभियुक्त पर लगे आरोप गंभीर प्रकृति के हैं. साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की आशंका को देखते हुए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है. इसके बाद अभियुक्त ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने भी जमानत देने से इनकार कर दिया.
अदालत ने अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया. साथ ही ट्रायल कोर्ट द्वारा अभियुक्त की नियमित जमानत याचिका पर फैसला सुनाये जाने तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के आलोक में अभियुक्त सीए ने पिछले दिन ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करते हुए नियमित जमानत याचिका दायर की. हालांकि ट्रायल कोर्ट में अभियुक्त की नियमित जमानत याचिका पर फैसला नहीं हो सका है. उल्लेखनीय है कि मनी लाउंड्रिंग के इस मामले में पूर्व स्वास्थ्य सचिव डॉ प्रदीप कुमार, उनका भाई राजेंद्र कुमार और ठेकेदार श्यामल चक्रवर्ती जेल में हैं.
क्या है मामला : प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ दर्ज केस में सीए नरेश केजरीवाल को अभियुक्त बनाया है. इसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने डॉ प्रदीप कुमार की काली कमाई को जायज करार देने के लिए अलग-अलग हथकंडा अपनाया और संपत्ति खरीदने में मदद की. प्रदीप कुमार के सीए के रूप में काम करते हुए अभियुक्त ने अरुण कुमार की संपत्ति प्रदीप कुमार के भाई राजेंद्र कुमार के नाम खरीदने में मदद की. इसके लिए मेसर्स पाठक टेलीकॉम से राजेंद्र कुमार के नाम 20 लाख रुपये का कर्ज दिखाया.
हालांकि इस कर्ज की जानकारी राजेंद्र कुमार को नहीं थी. पाठक टेलीकॉम लिमिटेड के सीताराम पाठक भी उस व्यक्ति को नहीं जानते थे, जिसे उन्होंने 20 लाख रुपये का कर्ज दिया था. पाठक टेलीकॉम का सीए भी अभियुक्त ही था. उसने सीताराम पाठक को नंदलाल(एचयूएफ) के खाते में 20 लाख रुपये ट्रांसफर करने को कहा था. यह रकम बिना किसी लोन एग्रीमेंट के ट्रांसफर की गयी थी. सीबीआइ द्वारा कार्रवाई करने के बाद कर्ज की यह रकम लौटायी गयी, ताकि लेन-देन को सही साबित किया जा सके.
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