रांची : डॉक्टरों पर एसीबी जांच, निजी प्रैक्टिस और वीआरएस के विरोधाभास को दूर करने के लिए रविवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ट्रॉमा सेंटर के सभागार में रिम्स के डॉक्टरों के साथ बैठक की.
रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह व अन्य अधिकारियों के बीच डाॅक्टराें ने अपनी समस्या व सुझाव को एक-एक कर रखा. टीचर्स एसोसिएशन के डॉ प्रभात कुमार ने डॉक्टरों की समस्या व उनकी मांग की जानकारी दी. वहीं, डॉ प्रभात कुमार ने मांग पत्र के आधार पर मुख्यमंत्री को एसीबी जांच, एपीए भत्ता में विरोधाभास, एकेडमिक एलाउंस सहित छह बिंदुओं पर डॉक्टरों की मांग के बारे में बताया.
सर्जरी विभाग के डॉ निशित एक्का ने रिम्स के वर्ष 2018 के रिपोर्ट कार्ड का उल्लेख करते हुए मुुख्यमंत्री को बताया कि पिछले साल 6,30,000 मरीजों का ओपीडी में परामर्श मिला. यानी एक दिन में 2100 मरीजाें को ओपीडी में देखा गया. 37,500 मरीजों का बड़ी-छोटी सर्जरी की गयी.
यानी प्रतिदिन 126 सर्जरी की गयी. इंडोर में 90,000 मरीजों को भर्ती कर इलाज किया गया. ऐसे में यह कहना कि रिम्स के डॉक्टर रिम्स के बजाय निजी प्रैक्टिस करते हैं. एसीबी की जांच की बात आ रही है. यह सुनकर मुख्यमंत्री ने कहा कि एसीबी जांच वैसे डॉक्टरों के लिए है, जो ईमानदारी से रिम्स में सेवा नहीं देते हैं. ड्यूटी के समय नौ से पांच में ईमानदारी से काम करना है. अभी आदत नहीं है, इसलिए दिक्कत हो रही है. बाद में आप लोगों की आदत में यह शामिल हो जायेगा.
सीएम से डॉक्टरों ने कहा : नहीं लेंगे वीआरएस
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि कौन दो डॉक्टरों ने वीआरएस लेने का आवेदन दिया है, वे खड़े हो जायें. इसके बाद मेडिसिन विभाग के डॉ संजय सिंह व डॉ विद्यापति खड़े हो गये. उनसे मुख्यमंत्री ने कहा कि आपलोग वीआरएस नहीं ले और ईमानदारी के साथ रिम्स की सेवा करें. आपकी प्रतिष्ठा का सरकार ख्याल रखेगी. यह सुनकर दोनों डॉक्टरों वीआरएस के आवेदन को वापस लेने का निर्णय लिया.