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Friday, March 29, 2024

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रांची : फरवरी में हो सकता है एचइसी का अधिग्रहण

रांची : एचइसी फरवरी के अंत तक परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएइ) के अधीन जा सकता है. इसके लिए गठित कमेटी का रुख भी सकारात्मक है. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि कमेटी इस माह के अंत तक रिपोर्ट परमाणु ऊर्जा विभाग को देगा. इसके बाद एचइसी को भारी उद्योग मंत्रालय से परमाणु ऊर्जा विभाग के […]

रांची : एचइसी फरवरी के अंत तक परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएइ) के अधीन जा सकता है. इसके लिए गठित कमेटी का रुख भी सकारात्मक है. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि कमेटी इस माह के अंत तक रिपोर्ट परमाणु ऊर्जा विभाग को देगा.
इसके बाद एचइसी को भारी उद्योग मंत्रालय से परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन करने का प्रस्ताव ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी में जायेगा. वहां से प्रस्ताव के मंजूर होने के बाद ग्रुप ऑफ मिनिस्टर में जायेगा. इस प्रक्रिया में करीब डेढ़ माह का समय लगेगा.
सब कुछ ठीक रहा तो फरवरी के अंत में एचइसी परमाणु ऊर्जा विभाग के हाथ में चला जायेगा. कंपनी के अधिकारी ने बताया कि मार्च के बाद लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार फरवरी के अंत तक प्रक्रिया पूरी कर एचइसी को डीएइ के अधीन करना चाहती है. मालूम हो कि एचइसी के अधिग्रहण के मामले में बनी कमेटी 14 व 15 दिसंबर को एचइसी के तीनों प्लांटों का दौरा कर एवं प्रबंधन के साथ बैठक कर सभी स्थिति की जानकारी ले ली है.
एचइसी प्रबंधन से ली है जानकारी
कमेटी विभिन्न बिंदुओं पर अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट तैयार करेगी. इसके लिए एचइसी प्रबंधन से कई जानकारी ली गयी है. इसमें एचइसी के मैन पावर की स्थिति, कैपेक्स योजना, बिजनेस प्लान, कंपनी की देनदारी एवं मशीनों को अपग्रेड करने में कितना निवेश करना पड़ेगा आदि शामिल है. वहीं कमेटी ने रिपोर्ट देने के पहले एचइसी के पुराने ग्राहकों से भी राय लेगी.
एचइसी के अच्छे दिन आने वाले हैं : राणा संग्राम
रांची : हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री राणा संग्राम सिंह ने कहा कि एचइसी के अच्छे दिन आने वाले है. प्रतीक्षा की घड़ियां अब समाप्त होने वाली हैं. हमें जागरूक रहना है तथा औद्योगिक शांति बनाये रखकर मांगों को हासिल करना है. सिंह ने उक्त बातें मंगलवार को यूनियन ऑफिस में कर्मियों को संबोधित करते हुए कही. सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा विभाग के साथ संलग्न होने में ही एचइसी व एचइसी कर्मियों को फायदा है.
वर्ष 1997 के वेतन पुनरीक्षण की बकाया राशि लगभग 162 करोड़ रुपये है. इसे केंद्रीय कैबिनेट ने दो बार रिजेक्ट कर चुकी है. उन्होंने प्रबंधन से मांग की है कि उक्त राशि को देनदारी में रखे. बैठक में लीलाधर सिंह, गिरीश चौहान, कमलेश सिंह, सरयू सिंह, राम मोहन बैठा, नदीम अंसारी, आर शर्मा आदि उपस्थित थे.
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