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रांची : हाथी-मानव द्वंद कम करने के लिए हो रहा रिसर्च, पिछले 10 साल में करीब 600 लोगों को मार चुके हैं हाथी

मनोज सिंह रांची : झारखंड में मानव और हाथियों में द्वंद की घटनाएं होती रहती हैं. इसके कारण काफी जान-माल का नुकसान होता है. इसको रोकने के लिए क्या-क्या प्रयास हो सकते हैं, इसका एक अध्ययन वन विभाग करा रहा है. वन विभाग की अनुसंधान इकाई ने इसके लिए रिसर्च स्कॉलरों की टीम बनायी है. […]

मनोज सिंह
रांची : झारखंड में मानव और हाथियों में द्वंद की घटनाएं होती रहती हैं. इसके कारण काफी जान-माल का नुकसान होता है. इसको रोकने के लिए क्या-क्या प्रयास हो सकते हैं, इसका एक अध्ययन वन विभाग करा रहा है. वन विभाग की अनुसंधान इकाई ने इसके लिए रिसर्च स्कॉलरों की टीम बनायी है. टीम के सदस्य झारखंड में मानव-हाथी द्वंद को कम करने और इसके कारणों पर अनुसंधान कर रिपोर्ट तैयार करेंगे. इस काम में जूनियर प्रोजेक्ट फेलो और जीआइएस एक्सपर्ट मदद कर रहे हैं. इस अनुसंधान को चार साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
अनुसंधान के बिंदु
वन विभाग अनुसंधान के लिए हर दिन हाथियों के मूवमेंट का डाटा का आकलन कर रहा है. हाथी ज्यादा समय कहां गुजार रहे हैं, इसका अध्ययन हो रहा है.
वहां खाने की क्या व्यवस्था है. वहां पानी की क्या व्यवस्था है, इसका डाटा तैयार किया जा रहा है. हाथियों के स्थायी पर्यावास (वन) में उपलब्ध खान-पान तथा हाथियों को खाने में क्या-क्या पसंद है, इसकी सूची तैयार करायी जा रही है. इसके साथ ही हाथियों के डंग (मल) भी इकट्ठा किये जा रहे हैं. इससे हाथियों के स्ट्रेस लेबल को समझने की कोशिश होगी. हाथी जब मानव के समीप आते हैं तो वे कितने तनाव में रहते हैं. यह समझने की कोशिश भी हो रही है.
मानव-हाथी द्वंद कम करने की कोशिश
विभाग के वन संरक्षक सह राज्य वन वृक्ष विज्ञानी कमलेश पांडेय का कहना है कि इसका उद्देश्य मानव-हाथी में हो रहे टकराव को कम करना है. अध्ययन से अगर यह समझ में आ जायेगा कि हाथियों के पर्यावास में उनके पसंद के भोजन कम हो रहे हैं, तो उसे बढ़ाया जा सकता है.
अगर पसंद बदल रही है, तो उस हिसाब से खाने के ट्रेंड को विकसित करना होगा. स्ट्रेस लेबल पता चलने से यह समझ आयेगा कि हाथी अादमी के पास पहुंच कर किस स्ट्रेस लेबल पर हैं. चार वर्षों के बाद कुछ समाधान खोज पाने की स्थिति में होंगे.
हर साल औसतन 60 लोगों को मारते हैं हाथी
झारखंड में पिछले 10 साल में करीब 600 लोगों को हाथी मार चुके हैं. पूरे देश में हाथी और मानव का सबसे अधिक टकराव झारखंड में ही हो रहा है. इस पर करीब नौ करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में बांटे जा चुके हैं. इस मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड में हाथियों का पर्यावास नष्ट हो रहा है. इस कारण हाथी जंगल से बाहर निकल रहे हैं. इससे मानव और हाथी में टकराव बढ़ रहा है.

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