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रांची : बीमारी के नाम पर 13 दिनों की छुट्टी लेकर डॉक्टर ने विदेश में की 4 साल तक नौकरी, पासपोर्ट जांच में पकड़ाया

रांची : डॉक्टर अनिल भूषण शरण ने सरकार से 13 दिनों की छुट्टी ली और चार साल तक ड्यूटी से गायब रहे. इस अवधि में उन्होंने विदेश में नौकरी की. मामला पकड़ में आने के बाद मानसिक रोग के इलाज के लिए नेपाल जाने का बहाना बनाया. पर पासपोर्ट की जांच के बाद झूठ पकड़ी […]

रांची : डॉक्टर अनिल भूषण शरण ने सरकार से 13 दिनों की छुट्टी ली और चार साल तक ड्यूटी से गायब रहे. इस अवधि में उन्होंने विदेश में नौकरी की. मामला पकड़ में आने के बाद मानसिक रोग के इलाज के लिए नेपाल जाने का बहाना बनाया. पर पासपोर्ट की जांच के बाद झूठ पकड़ी गयी. अब सरकार ने उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही चलाने का फैसला किया है. इसके लिए आरोप गठित किया है.
कहा, नहीं मालूम था कि विदेश जाने से पहले सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है
क्या है मामला
डॉ अनिल भूषण शरण राज्य गठन के पहले पीएमसीएच धनबाद के शिशु रोग विभाग में चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित थे. वह छह सितंबर 2000 से 18 अगस्त 2004 तक ड्यूटी से गायब रहे. इस अवधि में उन्होंने विदेश में नौकरी की. इसके लिए सरकार से अनुमति नहीं ली. साथ ही विदेश जाने और नौकरी करने की बाद सरकार से छिपायी.
मामले के पकड़ में आने के बाद वह बीमारी का बहाना बनाते रहे. हालांकि बाद में उनकी झूठ पकड़ी गयी. अब वह अपनी गलती के लिए सरकार से माफी मांग रहे हैं. मामले की जांच में पाया गया कि उन्होंने छह सितंबर 2000 से 14 सितंबर 2000 तक के लिए सीएल का आवेदन दिया.
इसके बाद वह ड्यूटी से गायब हो गये. अगस्त 2004 में विदेश से लौटने के बाद उन्होंने अपनी लंबी बीमारी का बहाना बनाते हुए योगदान स्वीकृत करते हुए पदस्थापित करने के लिए आवेदन दिया. सरकार ने उन्हें पीएमसीएच में ही पदस्थापित कर दिया. इसके करीब 10 साल बाद उन्होंने सरकार को दूसरा आवेदन दिया. 18 मार्च 2015 को दिये गये आवेदन में उन्होंने अपनी लंबी बीमारी का हवाला देते हुए ड्यूटी से बिना अनुमति के गायब रहने की अवधि की छुट्टी स्वीकृत करने का अनुरोध किया.
इसके बाद सरकार को इस बात की जानकारी मिली कि उन्होंने इस अवधि में विदेश में नौकरी की. इसके बाद सरकार ने जुलाई 2017 में उनसे उनके पासपोर्ट की मांग की. इसके बाद उन्होंने सरकार को यह कहा कि वह मानसिक रूप से बीमार हो गये थे. इस जवाब के बाद सरकार ने उनसे मूल पासपोर्ट की मांग की. मूल पासपोर्ट मांगे जाने के बाद उन्होंने सरकार को मई 2018 में पत्र लिखा. इसमें यह कहा कि उनसे गलती हो गयी थी.
उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि विदेश जाने से पहले सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है. इसलिए उन्हें माफ कर दिया जाये. पर सरकार ने उनके इस अनुरोध को ठुकराते हुए विभागीय कार्यवाही चलाने का फैसला किया है.

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